इतिहास के पन्नों में दर्ज है एक ऐसी प्रेम कहानी जो अधूरी रह कर भी मुकम्मल हो गई…

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प्रेम धरती की जड़ों में समाया है। हमारे देश की मिट्टी में एक तरफ जहां वीरों का खून मिला है। वहीं एक हिस्सा उन प्रेमियों के लहू से भी सना हुआ है, जिन्होंने दुनिया को प्रेम का असली मतलब समझाया। प्रेम करना भले ही आसान हो सकता है, मगर प्रेम निभाना आसान नहीं होता। इस …

प्रेम धरती की जड़ों में समाया है। हमारे देश की मिट्टी में एक तरफ जहां वीरों का खून मिला है। वहीं एक हिस्सा उन प्रेमियों के लहू से भी सना हुआ है, जिन्होंने दुनिया को प्रेम का असली मतलब समझाया। प्रेम करना भले ही आसान हो सकता है, मगर प्रेम निभाना आसान नहीं होता। इस प्रेम ने हमेशा प्रेमियों से बलिदान मांगा है, और इसी बलिदान ने प्रेम को हमेशा के लिए अमर कर दिया।

ऐसे ही बलिदानों ने इतिहास के पन्नों पर अपने खून से लिखी हैं कुछ प्रेम कहानियां, जो हमेशा ये बात चीख चीख कर बताती हैं कि प्रेम ठंडे पानी का चश्मा नहीं, बल्कि दहकते आग का दरिया है। कभी ये प्रेम तपते रेगिस्तान में जला तो कभी इसे दीवारों में चुनवाया गया। मगर जितनी भी बार इसे दबाने की कोशिश की गयी इतिहास ने उतने ही स्पष्ट अक्षरों में इनकी कहानी अपने सीने पर लिखी। तो चलिए आपको बताते हैं कुछ ऐसी ही प्रेम कहानी के बारे में जो अधूरी रह कर भी मुकम्मल हो गयीं।

सस्सी और पुन्नू की प्रेम कहानी पंजाब की पृष्ठभूमि पर लिखी गयी सर्वश्रेष्ठ व चर्चित प्रेम कहानियों में से एक मानी जाती है। सस्सी एक हिंदू राजा की बेटी थी मगर पाला उसे एक मुस्लिम धोबी ने था। सस्सी का जब जन्म हुआ था तभी एक भविष्यवाणी की गयी थी कि बड़ी होने पर ये निराला इश्क करेगी। समय बीतने के साथ ये भविष्यवाणी तब सच होती प्रतीत होने लगी जब सस्सी ने नदी के रास्ते आने वाले सौदागरों के पास एक युवक की तस्वीर देखी। तस्वीर देखने भर से ही वो उस पर मोहित हो गयी। उस युवक का नाम था पुन्नू।

सस्सी और पुन्नू किस्मत की मेहरबानी से मिले भी लेकिन कुछ ही दिनों में फिर जुदा हो गये। पुन्नू से बिछड़ कर सस्सी का बुरा हाल हो गया। जब वो बर्दाश्त ना कर पाई तो उसने फैसला किया कि वह रेगिस्तान को पार कर के पुन्नू के देश जाएगी और उसे वापस ले आएगी, लेकिन ये इतना आसान कहां था।

रेगिस्तान की तपिश को सस्सी की कोमल देह सह नहीं पाई और वह उसी रेगिस्तान की गर्म रेत में दफन हो गयी। इधर पुन्नू जब होश में आया तो उसे सबसे पहले सस्सी का ख़याल आया। वो उससे मिलने को तड़प उठा और चल पड़ा उसके राज्य की ओर। मगर रेगिस्तान में आने के बाद उसे एक चरवाहे से पता लगा कि उसकी सस्सी ने यहीं दम तोड़ दिया। बस फिर क्या था सस्सी के बिना भला पुन्नू का कैसा जीना। पुन्नू ने भी खुद को खत्म कर लिया। दोनों इस दुनिया से तो चले गये मगर इनकी प्रेम कहानी अमर हो गयी।

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