लंबे इंतज़ार से गुजरी थी ढोला मारू की प्रेम कहानी…

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कहते हैं जिस प्रेम में इंतज़ार ना हो वो प्रेम सच्चा हो ही नहीं पाता। ये तो वो फल है जो जितना पके उतना ही मीठा होता है। ढोला मारू की प्रेम कहानी भी इसी इंतज़ार से जुड़ी हुई है। साल्हकुमार नरवर के राजा नल के पुत्र थे। उनका तीन साल की उम्र में ही …

कहते हैं जिस प्रेम में इंतज़ार ना हो वो प्रेम सच्चा हो ही नहीं पाता। ये तो वो फल है जो जितना पके उतना ही मीठा होता है। ढोला मारू की प्रेम कहानी भी इसी इंतज़ार से जुड़ी हुई है। साल्हकुमार नरवर के राजा नल के पुत्र थे। उनका तीन साल की उम्र में ही जांगलू देश के पंवार राजा पिंगलू की पुत्री मारवणी से विवाह कर दिया गया। उस समय राजकुमारी की उम्र बहुत छोटी थी इस कारण उसकी विदाई नहीं की गयी।

कुछ समय बीतने के बाद राजकुमार की शादी कहीं और कर दी गयी। समय बीत गया, साल्ह कुमार भी अपनी पहली पत्नी के विषय में सब भूल गये। दूसरी तरफ राजकुमारी जैसे जैसे बड़ी हो रही थी वैसे वैसे साल्ह कुमार और उसके प्रेम को लेकर उसके सपने भी बड़े हो रहे थे। इधर राजकुमारी के पिता ने पहले कई बार पुत्री की विदाई के संबंध में नरवर राज्य को बहुत बार संदेश भेजे थे लेकिन उधर से कोई जवाब नहीं आया था।

अंत में राजकुमारी मारवाणी के पिता ने एक चतुर ढोली को संदेश पहुंचाने का काम सौंपा। ढोली का काम होता था नगर नगर जा कर लोकगीत सुनाना। चतुर ढोली नरवर पहुंच गया तथा मल्हार राग में राजकुमारी के दिल का हाल अपने गीतों के द्वारा बयान करने लगा। उसकी मधुर आवाज से प्रभावित हो कर राजकुमार ने ढोली को बुलाया तब उसने राजकुमारी के दिल का सारा हाल तथा उनके विवाह की सारी बात राजकुमार को बता दी।

राजकुमार को सब याद आ चुका था तथा वो अपनी राजकुमारी से मिलने के लिए व्याकुल हो गये। उनकी दूसरी पत्नी मालवाणी ने उन्हें रोकने के बहुत प्रयास किए मगर राजकुमार अपना सबसे तेज ऊंठ लेकर राजकुमारी को लेने निकल पड़े। वर्षों बाद राजकुमार और राजकुमारी आमने सामने थे। दोनों का मिलन हो चुका था। लेकिन उन्हें वापस लौटने में बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।

रेगिस्तान की तपती रेत में जलना पड़ा, राजकुमारी को सांप का डंक झेलना पड़ा, इसके साथ ही दुश्मनों से भिड़ंत भी हुई लेकिन आखिरकार प्रेम की जीत हुई और दोनों अपने राज्य नरवर लौट आए। राजस्थान में राजकुमार और राजकुमारी की ये कहानी ढोला मारू की प्रेम कहानी के नाम से बहुत प्रचलित है।

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