नासमझी : नन्ही उम्र में प्यार से जीवन हो रहा बर्बाद

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जूही/अमृत विचार। यह उम्र उनके खेलने और पढ़ने की है। उम्र के इस पड़ाव में उनको अपने अच्छे-बुरे का अहसास नहीं होता है। शायद यही वजह है कि चकाचौंध की इस दुनिया में वह अपना जीवन ‘फिल्मी’ बना लेती है। नतीजा कम उम्र में प्यार के पचड़े में पड़कर किशोरियां अपनी जिंदगी का गलत हाथों …

जूही/अमृत विचार। यह उम्र उनके खेलने और पढ़ने की है। उम्र के इस पड़ाव में उनको अपने अच्छे-बुरे का अहसास नहीं होता है। शायद यही वजह है कि चकाचौंध की इस दुनिया में वह अपना जीवन ‘फिल्मी’ बना लेती है। नतीजा कम उम्र में प्यार के पचड़े में पड़कर किशोरियां अपनी जिंदगी का गलत हाथों में ‘सौदा’ कर देती हैं। यह नासमझी उनका जीवन तो खराब करती है, साथ ही मां-बाप को भी समाज से कटने के लिए मजबूर कर देती है। किशोरियों द्वारा खुद का जीवन बर्बाद करने की कुछ यही तस्वीर निकलकर सामने आ रही है चाइल्ड लाइन के आंकड़ों से। मुरादाबाद जिले में हर माह 20-25 किशोरियां प्यार के चक्कर में फंसकर अपने घर की दहलीज लांघ रहीं हैं।

वर्षों से जगह के अभाव का रोना
चाइल्ड लाइन के पदाधिकारियों का कहना है कि मौजूदा समय में भवन तंग हो गया है। वहीं, मुकदमों से संबंधित मामलों में बरामद नाबालिग के मेडिकल, बयान और उनकी सुपुर्दगी के संबंध में निर्णय नहीं हो पाता है तो बच्चियों को चार-पांच दिन दिन तक चाइल्ड लाइन के भवन में रखना पड़ रहा है। ऐसे में बच्चियों के साथ ही उनकी सुरक्षा में लगी महिला आरक्षी भी चाइल्ड लाइन के भवन में ठहरती हैं। जबकि नियमानुसार 24 घंटे तक ही बच्चियों को चाइल्ड लाइन में रख सकते हैं। वर्षों से भवन के लिए मांग की जा रही है, लेकिन कोई समाधान नहीं हो सका।

मनोविशेषज्ञ डॉ. मीनू मेहरोत्रा के अनुसार- ये हैं कारण

  • परिवार में संवाद की कमी
  • ऊर्जा का सदुपयोग न होना
  • घर का वातावरण तनावपूर्ण होना
  • आर्थिक स्थिति कमजोर होना
  • मित्र एवं सहेलियों की गलत संगत
  • आपस में भाई-बहनों के बीच खराब संबंध
  • पिता या बड़े सदस्यों के अनुशासन में कमी
  • अपने जीवन का कोई उद्देश्य न होना

घर में ऐसा रखें वातावरण

  • घर का वातावरण सकारात्मक होना चाहिए।
  •  माता-पिता का व्यवहार बच्चो से मित्रवत होना चाहिए।
  •  किशोरों को उनकी आयु के अनुरूप आकांक्षा रखे, समस्या आने पर भी उसे सुरक्षा की भावना का बोध कराए।
  • अति दंडात्मक अनुशासन भी घातक है।
  • दिन में एक समय घर के सभी सदस्य बैठकर वार्तालाप करें।
  • बच्चों व्यवहार की पूरी निगरानी रखें, बदलाव पर तुरंत एक्शन ले।
  •  अति अपेक्षाएं न रखे, बच्चो की रुचियों का भी ध्यान रखे।

छह माह के आंकड़ों पर एक नजर
माह -संख्या
जुलाई -18
अगस्त -20
सितंबर -21
अक्टूबर -23
नवंबर- 20
दिसंबर -24
जनवरी 2022 05 (अब तक)

इमरजेंसी हेल्पलाइन है, जहां 18 साल से नीचे के खोए-पाए बच्चों को रखने की व्यवस्था है। चाइल्ड लाइन को शेल्टर होम के लिए कोई बजट नहीं मिलता है। किशोरियों को 24 घंटे रखने का ही प्रावधान है, लेकिन जिले में कोई व्यवस्था नहीं होने से तीन से चार दिन तक यहां रखा जाता है।-श्रद्धा शर्मा, प्रभारी, चाइल्ड लाइन

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