उत्तराखंड के 10 लजीज पकवान, जो पौष्टिकता के साथ-साथ स्वाद में भी हैं भरपूर
कहते हैं दिल का रास्ता पेट से होकर जाता है। लजीज व्यंजन अगर सामने हों तो बिगड़ा मूड भी ठीक हो जाता है। बात अगर उत्तराखंड के पकवानों की करें तो यहां एक बार जिसने इन व्यंजनों का स्वाद चख लिया तो वह ताउम्र इनका स्वाद नहीं भूल सकता। स्वाद के साथ-साथ पौष्टिकता की वजह …
कहते हैं दिल का रास्ता पेट से होकर जाता है। लजीज व्यंजन अगर सामने हों तो बिगड़ा मूड भी ठीक हो जाता है। बात अगर उत्तराखंड के पकवानों की करें तो यहां एक बार जिसने इन व्यंजनों का स्वाद चख लिया तो वह ताउम्र इनका स्वाद नहीं भूल सकता।
स्वाद के साथ-साथ पौष्टिकता की वजह से उत्तराखंड के पकवानों की चर्चा देश-दुनिया में रहती है। आज हम आपको ऐसे ही कुछ चुनिंदा पकवानों के बारे में बताने जा रहे हैं जो स्वाद में लजीज होने के साथ ही सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद हैं। जिनमें मुख्य तौर पर मडुए की रोटी, बड़ी, झोली, सिसौणे का साग, भांग की चटनी, झंगोरे की खीर, भट्ट की चुड़काणी, डुबुके, आलू के गुटके, ककड़ी का रायता, पालक का कापा प्रसिद्ध हैं।

भट की चुणकाणी
स्वाद और पौष्टिकता से भरपूर भट की दाल से बनने वाली चुणकाणी उत्तराखंड में लोकप्रिय व्यंजन है। लोहे की कढ़ाई में बनने वाली इस दाल में आयरन के साथ-साथ प्रोटीन की भी प्रचुरता होती है। यही वजह है कि चुणकाणी का स्वाद हर उम्र के लोगों को भाता है।

पालक का कापा
पालक के हरे पत्तों को पीस कर गर्म मसालों के साथ जब पकाया जाता है तो स्वाद से भरपूर लजीज कापा तैयार होता है। जाड़ों के दिनों में कापा बेहद पसंद किया जाता है। यह फाइबर, विटामिन की खूबियों से भरपूर होता है।

डुबुके
गहत, चना, भट की दालों को पीसकर तैयार होने वाले डुबुके उत्तराखंड की सदाबहार डिश है। डुबुकों में प्रीटीन, फाइबर की प्रचुरता होती है। यही वजह है कि डुबुके का स्वाद बेहद लाजवाब होता है।

झोली
दही और नीबू के रस से तैयार होने वाली झोली स्वाद के साथ सेहत के लिए बेहद लाभकारी होती है। विटामिन सी के गुणों से भरपूर झोली में हींग, पोदीना मिलाने के बाद स्वाद दोगुना हो जाता है।

बड़ी
ककड़ी, लौकी, भुज या मूली को बारीक करने के बाद उड़द की पीसी दाल में मिलाकर बड़ी तैयार होती हैं। यह स्वाद में लजीज होने के साथ ही सबसे ज्यादा खाए जाने वाला व्यंजन है।

मडुए की रोटी
मडुए की रोटी मडुए के आटे से बनती है। यह एक स्थानीय अनाज है और इसमें बहुत ज्यादा फाइबर होता है। मडुए का दाना गहरे लाल या भुरे रंग का होता है। मडुए की रोटी को घी, दूध या भांग व तिल की चटनी के साथ परोसा जाता है। कई बार पूरी तरह से मडुए की रोटी के अलावा इसे गेंहू की रोटी के अंदर भरकर भी बनाया जाता है। ऐसी रोटी को लेसु रोटी भी कहा जाता है।

भांग की चटनी
भांग की चटनी काफी खट्टी बनाई जाती है और इन्हें कई तरह के स्नैक्स और रोटी के साथ खाया जाता है। भांग की चटनी बनाने के लिए भांग के दानों को पहले गर्म तवे या कढ़ाई में भूना जाता है। इसमें जीरा पावडर, धनिया, नमक और मिर्च स्वादानुसार डालकर अच्छे से पीस लिया जाता है। बाद में नींबू का रस डालकर इसे आलू के गुटके या अन्य स्नैक्स व रोटी आदि के साथ परोसा जाता है।

आलू के गुटके
आलू के गुटके उत्तराखंड के प्रसिद्ध व्यंजनों में से एक है। अगर कहें कि आलू के गुटके कुमाऊं के हर घर का पसंदीदा व्यंजन है तो कहना गलत नहीं होगा। रोटी हो या पूड़ी, आलू के गुटके हर किसी को खूब भाते हैं।

झिंगोरे की खीर
झिंगोरा एक अनाज है और यह उत्तराखंड के पहाड़ों में उगता है। झिंगोरे की खीर का स्वाद लाजवाब होता है। यह विटामिन, प्रोटीन का जबर्दस्त स्त्रोत है।

ककड़ी का रायता
कुमाऊं का रायता देश के अन्य हिस्सों के रायते से काफी अलग होता है। इसमें बड़ी मात्रा में ककड़ी (खीरा), सरसों के दाने, हरी मिर्च, हल्दी पाउडर और धनिए का इस्तेमाल होता है।
