अलविदा लता दी… बड़े शौक से सुन रहा था जमाना, तुम ही खामोश हो गए दास्तां कहते-कहते

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मुरादाबाद, अमृत विचार। मधुर गायन के क्षेत्र में स्वर कोकिला का खिताब हासिल कर चुकी भारत रत्न लता मंगेशकर की आवाज हमेशा के लिए खामोश हो गई। उनके सुरों की गूंज इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई है, जिसे सदियों तक याद किया जाता रहेगा। रविवार को मुंबई के अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस …

मुरादाबाद, अमृत विचार। मधुर गायन के क्षेत्र में स्वर कोकिला का खिताब हासिल कर चुकी भारत रत्न लता मंगेशकर की आवाज हमेशा के लिए खामोश हो गई। उनके सुरों की गूंज इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई है, जिसे सदियों तक याद किया जाता रहेगा। रविवार को मुंबई के अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली तो महानगर के कला जगत के अलावा उनके अन्य प्रशंसकों में शोक की लहर दौड़ गई।

मखमली आवाज की मलिका लता मंगेशकर ने उस्ताद अमान अली खान और अमानत खान से संगीत की शिक्षा ली थी। प्रारंभ में उन्हें आजीविका चलाने के लिए संघर्ष करना पड़ा। उन्होंने 1942 में 13 साल की उम्र में अपनी संगीत यात्रा शुरू की थी। पहला गाना वसंत जोगलेकर की मरीठी फिल्म किटी हसाल के लिए गाया था। लेकिन, बाद में इसे फिल्म से हटा दिया गया था। इसके पांच साल बाद देश स्वतंत्र हुआ और उन्होंने हिंदी फिल्मों में गाना शुरू किया।

‘आपकी सेवा में’ उनकी पहली फिल्म थी, जिसे उन्होंने अपने गायन से सजाया था। लेकिन, उनके गाने ने कोई विशेष चर्चा नहीं हुई। उनके भाग्य का सितारा पहली बार 1949 में चमका और ऐसा चमका कि उसकी कोई मिसाल नहीं मिलती। इस वर्ष चार फिल्में रिलीज हुईं, ‘बरसात’, ‘दुलारी’, ‘महल’ और ‘अंदाज’। ‘महल’ में उनका गाया गाना ‘आएगा आने वाला, आएगा’ के फौरन बाद हिंदी फिल्म इंडस्ट्री ने मान लिया था कि यह नई आवाज बहुत दूर तक जाएगी। यह वह दौर था जब हिंदी फिल्मी संगीत पर शमशाद बेगम, नूरजहां और जोहराबाई अंबाले वाली जैसी वजनदार आवाज वाली गायिकाओं का राज चलता था।

लता मंगेशकर को शुरू के वर्षों में काफी संघर्ष करना पड़ा। कई निर्माताओं और संगीत निर्देशकों ने यह कहकर उन्हें गाने का अवसर देने से इनकार कर दिया था कि उनकी आवाज बहुत महीन है। लेकिन, एक बार जो वह आवाज हिट हुई तो उसके बाद बॉलीवुड पर छाती चली गई। उस आवाज का तोड़ आज तक इंडस्ट्री को नहीं मिल पाया। उन्होंने 20 से अधिक भारतीय भाषाओं में 30 हजार से अधिक गाने गाए। मधुबाला से लेकर नए दौर की कई अभिनेत्रियों को उन्होंने आवाज दी। 90 वर्ष की अवस्था में भी उनकी आवाज किसी युवती की आवाज के समान लगती थी।

तुम मुझे यूं भुला न पाओगे…
प्रेम, खुशी अथवा दुख हर भाव से ओतप्रोत गीत को उन्होंने अपना स्वर देकर अविस्मरणीय बना दिया। तुम मुझे यूं भुला न पाओगे व रहें न रहें हम महका करेंगे… उनके ये गीत हमेशा उनकी याद दिलाते रहेंगे। इसके अलावा दुश्मन न करे दोस्त ने वह काम किया है…, जिंदगी प्यार का गीत है, आवाज दो हमको, हम खो गए… तथा दो पल का ख्वाबों का कारवां, लग जा गले, दिल तो पागल है… आदि कई ऐसे गीत हैं, जो उनके चाहने वालों के दिलों में रचे बसे हैं।

यू ट्यूब पर खूब सर्च किए गए लता दीदी के गाने
रविवार को उनके देहांत का समाचार सुन युवा वर्ग भी शोक में डूब गया। सोशल साइट्स पर उन्हें श्रद्धांजलि देने वालों का तांता लगा हुआ था। फेसबुक, इंस्टाग्राम व ट्विटर हर जगह उन्हें दी जाने वाली संवेदनाएं ही नजर आ रही थीं। व्हाट्सएप व फेसबुक पर लोगों ने अपनी डीपी व स्टेटस पर भी उन्हें श्रद्धांजलि देते चित्र लगाए। वहीं यू ट्यूब पर भी रविवार का दिन लता दीदी के नाम रहा। इस दिन उनके गाने खूब सर्च किए गए।

हमेशा गुनगुनाएं जाएंगे उनके गीत
महानगर के कवियों, कलाकारों, संगीतकारों तथा अन्य वर्ग से जुड़े लोगों ने भी उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। अमृत विचार से बातचीत में सबका कहना था कि संगीत जगत ने एक अनमोल हीरा खो दिया, जिसकी भरपाई नहीं की जा सकती। उनके गानों सदियों तक लोगों की जुबां पर गुनगुनाए जाते रहेंगे।

सदियों तक याद की जाती रहेगी लता मंगेशकर
भारतरत्न लता मंगेशकर का निधन इस लोक की सरस्वती का परलोक गमन है। उनके देहावसान से एक युग का अंत हो गया है, जिसकी कमी को सदियों तक महसूस किया जाता रहेगा। युवा कलाकारों के लिए वह संगीता का विश्वविद्यालय थीं। -माहेश्वर तिवारी, नवगीतकार

संगीतकार बाल सुंदरी तिवारी ने कहा, तुम मुझे यूं भुला न पाओगे, जब कभी भी सुनोगे गीत मेरे, संग संग तुम भी गुनगुनाओगे। लता जी की ये पंक्तियां स्वयं उन पर घटित हो गईं। सच है स्वर की इस देवी को संगीत जगत कभी नहीं भूल पाएगा। विनम्र हार्दिक श्रद्धांजलि।

रंगकर्मी प्रदीप शर्मा ने कहा कि सुर सम्राज्ञी लता मंगेशकर का निधन संगीत जगत के लिए अपूर्णीय क्षति है। महान गायिका के आकस्मिक निधन से न केवल संगीत प्रेमी, बल्कि जो भी उन्हें जानता था, वह बहुत शोकाकुल है।

कवि राजीव प्रखर ने कहा, लता दीदी के देहावसान से, कला के प्रति सच्ची साधना व समर्पण के एक गौरवशाली तथा प्रेरक अध्याय ने विराम लिया है। लेकिन, वह अपने गीतों व संगीत साधकों के हृदयों में अमर हैं। मैं उन्हें अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

संगीतकार अनुराग रोहिला ने कहा, भारत रत्न से सुशोभित भारत की प्रथम महिला स्वर कोकिला लता दीदी का जाना संगीत जगत की अपूर्णीय क्षति है। 92 वर्ष की उम्र में भी संगीत के प्रति उनका लगाव देखते ही बनता था। उनके आकस्मिक निधन से सभी स्तब्ध हैं।

कवि डॉ. मुहम्मद आसिफ ने कहा कि हिंदुस्तान की गौरव लताजी का जाना यकीनन बड़ा नुकसान है। वह अपने गीतों के माध्यम से हमेशा याद की जाती रहेंगी। उन्होंने अपने सुरों से हिंदी फिल्म जगत को अलग पहचान दी। भावभीनी श्रद्धांजलि।

संगीतकार आदर्श भटनागर ने कहा कि लता दीदी के जाने से निश्चित ही संगीत साम्राज्य को एक गहरा आघात लगा है। वह भौतिक रूप से भले ही हमारे बीच अब न हो परंतु आपनी साधना व समर्पण के रूप में वह सदैव अपने प्रशंसकों के दिलों में रहेंगी तथा उनकी यह साधना सभी को प्रेरित करती रहेगी।

गीतकार ‘व्योम’ योगेंद्र वर्मा  ने कहा, लता जी का जाना भारतीय संगीत के स्वर्णिम सुगंधित स्वर का शांत हो जाना है। हमारे जीवन की हर प्रसन्नता और दुख के क्षणों में अपनी मिठास भरी आवाज से हर क्षण साथ रहने वाली लता जी संगीत का एक युग थीं। कई पीढ़ियां उनकी सुरीली आवाज की साक्षी रही हैं।

गायिका कोमल नेहा ने कहा, सुरीली शख्सियत के जाने से संगीत को बहुत क्षति हुई है। हर गायक के लिए लता जी एक स्कूल थीं। उन्होंने हमेशा अपनी गायकी की सादगी से यह साबित किया कि गायन की कला को किसी ग्लैमर की आवश्यकता नहीं होती।

शायर जिया जमीर ने कहा कि स्वर कोकिला लता मंगेशकर भारत की आवाज थीं। उनका जाना एक मखमली आवाज का चला जाना है। यह वह खालीपन है, जिसे कोई दूसरी आवाज भर नहीं सकती। भावभीनी श्रद्धांजलि।

कवि डॉ. मक्खन मुरादाबादी ने कहा कि सुर सम्राज्ञी लता मंगेशकर के निधन से सभी स्तब्ध हैं। यह राष्ट्र की स्वर संपदा की बड़ी हानि है, जिसकी क्षतिपूर्ति संभव नहीं है। वह देश की अनमोल धरोहर थीं। उनका स्वर देश-विदेश में सदा गूंजता रहेगा और स्वर संधान को दिशा देता रहेगा। विनम्र श्रद्धांजलि।

हमेशा याद की जाएंगी लता दीदी
दि बार एसोसिएशन के अध्यक्ष आदेश कुमार श्रीवास्तव कहते हैं कि हमारे बीच से स्वर कोकिला, भारत रत्न लता दीदी अपनी जीवन यात्रा पूरी कर बह्मलोक चली गईं। मां सरस्वती की लाडली पुत्री का स्वर हमेशा के लिए शांत हो गया। इनरव्हील क्लब की पास्ट डिस्ट्रिक्ट चेयरमैन रेनू गुप्ता कहती हैं कि स्वर लोक की ममतामयी मूरत स्वर्ग लोक की महायात्रा के लिए प्रस्थान कर गई। हमारी मंगल ध्वनियों, भाव गंगोत्री को गीत करने वाला कंठ, परम विश्रांति की गोद में सो गया। स्वरों की महान आत्मा ममतामयी ,त्यागमयी लताजी आप हमारी स्मृतियों में हमेशा रहोगी। समाज सेविका मोनिका कहती हैं जिनकी सुरीली आवाज में लोगों को मंत्रमुग्ध करने की अद्वितीय क्षमता थी। भारत रत्न, लता जी की उपलब्धियां अतुलनीय रहेंगी। वह हमेशा हमारी यादों में जिंदा रहेंगी। अनुराधा खुराना ने कहा कि मां सरस्वती विसर्जन में अपने साथ लता मां को ले गईं। उनकी इससे अच्छी विदाई नहीं हो सकती थीं। संगीत की दुनिया में वह हमेशा स्मरणीय रहेंगी। नए गायकों के लिए वह प्रेरणास्रोत हैं।

लता मंगेशकर के निधन की सूचना अति-दुःखद
व्यवसायी गुरप्रीत सिंह ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि अपनी सुरीली व मनमोहक आवाज से लोगों के दिल-दिमाग पर कई दशकों तक राज करने वाली लता मंगेशकर के निधन की सूचना अति-दुःखद रही। उनका जाना गीत-संगीत जगत के लिए अपूर्णीय क्षति है। एलएलबी की छात्रा काम्या का कहना है कि अगर सुरों की महफिल सजे और लता जी के गीत न गाए जाएं तो अधूरा सा लगता है। युवाओं के लिए वह एक प्रेरणा रहीं। संगीत की दुनिया में उनका स्थान कोई नहीं ले सकता।

 

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