राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय व चिकित्सालय की अनोखी पहल, अब ऐसे किया जाएगा गठिया का उपचार
लखनऊ स्थति राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय व चिकित्सालय के गठिया उपचार एवं उन्नत शोध केंद्र की अनोखी पहल को लकर तैयारियां शुरू हो गई हैं। आदर्श चुनाव आचार संहिता के समापन के साथ ही अगले महीने के अंतिम सप्ताह में उत्सव की तैयारी है। गठिया के रोगियों को नि:शुल्क परामर्श , जांच, एवम औषधियां उपलब्ध होंगी। …
लखनऊ स्थति राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय व चिकित्सालय के गठिया उपचार एवं उन्नत शोध केंद्र की अनोखी पहल को लकर तैयारियां शुरू हो गई हैं। आदर्श चुनाव आचार संहिता के समापन के साथ ही अगले महीने के अंतिम सप्ताह में उत्सव की तैयारी है। गठिया के रोगियों को नि:शुल्क परामर्श , जांच, एवम औषधियां उपलब्ध होंगी।

संयोजक व आयुर्वेद गठिया विभाग के प्रमुख डॉ. संजीव रस्तोगी ने बताया कि रोगियों को इस दिन गठिया से संबंधित खान-पान, व्यायाम तथा जीवन शैली में आवश्यक बदलाव से संबंधित जानकारी भी उपलब्ध कराई जाएगी। महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. प्रकाश चंद्र सक्सेना के संयोजन में उत्सव होगा।

डॉ. संजीव रस्तोगी ने बताया कि गठिया के रोगी जोडों की तकलीफ़ों के कारण अपने रोज के काम ठीक तरह से नहीं कर पाते। बीमारी के लंबे समय तक चलने और कई बार बीमारी के पूरी तरह ठीक होने की संभावना न होने पर गठिया के तमाम रोगी मानसिक अवसाद का शिकार हो जाते हैं। यह अवसाद उनकी रोग से लड़ने की क्षमता को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।

नतीजन उन्हें दवाओं से मिलने वाले लाभ कम हो जाते हैं और वे दर्द को औरों की अपेक्षा अधिक महसूस करते हैं।पीड़ित एक अलग प्रकार का ‘गठिया व्यक्तित्व’ बना लेते हैं जिसमें उनका मुख्य विचार बिंदु उन्हें जोडों में हो रही तकलीफ़ तक ही केंद्रित रहता है।

अवसाद के रोगी न केवल दर्द को अधिक गहराई से और लंबे समय तक महसूस करते हैं बल्कि उन्हें दर्द की दवाओं का प्रभाव भी औरों की अपेक्षा कम होता है। ऐसे में यदि किसी प्रकार ऐसे रोगियों का ध्यान कुछ समय के लिये दर्द से हटा कर उत्साह बढाने वाली और खुशी देने वाली कुछ अन्य गतिविधियों पर कर दिया जाए तो उनकी दर्द की अनुभूति कम हो जाती है और दवाएं उनके रोग पर बेहतर काम कर पाती हैं।

महाविद्यालय के गठिया उपचार एवम उन्नत शोध केंद्र ने इस वैज्ञानिक तथ्य को अमली जामा पहनाते हुए ‘आमवातोत्सव’ मनाने की एक अनूठी पहल की है जिसमें गठिया के रोगियों को उनके व्यक्तित्व के अनेक अनछुए पहलुओं को सामने लाए जाने का प्रयास किया जाएगा।

उन्हें यह विश्वास दिलाए जाने के लिए कि अभी भी वे अनेक ऐसे काम कर सकते है जो वे पूर्व में करते आ रहे थे, गंभीर प्रयास किया जाएगा। मार्च के अंतिम सप्ताह में यह अनोखा उत्सव होगा। इसका स्लोगन रखा गया है कि आइए मिलकर गठिया को हराएं। हम सब जीवन का उत्सव मनाएं।
