जापान की पुलिस ने 1970 के दशक से वांछित आतंकवादियों की फिर से शुरू की तलाश

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टोक्यो। तोक्यो पुलिस ने 1970 और 1980 के दशक में हुए हमलों में कथित भूमिका के लिए वांछित जापानी रेड आर्मी के सदस्यों की तलाश सोमवार को तेज कर दी। उम्रदराज आतंकवादियों की तस्वीरों के साथ एक वीडियो जारी कर चेतावनी दी गई है कि ”मामला” अभी बंद नहीं हुआ है। वीडियो मध्य जापान के …

टोक्यो। तोक्यो पुलिस ने 1970 और 1980 के दशक में हुए हमलों में कथित भूमिका के लिए वांछित जापानी रेड आर्मी के सदस्यों की तलाश सोमवार को तेज कर दी। उम्रदराज आतंकवादियों की तस्वीरों के साथ एक वीडियो जारी कर चेतावनी दी गई है कि ”मामला” अभी बंद नहीं हुआ है।

वीडियो मध्य जापान के लॉज में 1972 के असामा सांसो बंधक संकट के 50 साल पूरा होने पर जारी किया गया। इस घटना में दो पुलिस अधिकारी एक गोलीबारी में मारे गए थे। वीडियो में कहा गया है, ”जापानी रेड आर्मी के सदस्य अब भी फरार हैं और वे आपके आस-पास कहीं भी मौजूद हो सकते हैं। वीडियो में चेतावनी देते हुए कहा गया है कि मामला अभी बंद नहीं हुआ है।

जापानी रेड आर्मी का फलस्तीनी उग्रवादियों के साथ संबंध था। इसका गठन 1971 में किया गया था और इसने कई अंतरराष्ट्रीय हमलों की जिम्मेदारी ली है, जिसमें 1975 में कुआलालंपुर, मलेशिया में अमेरिकी वाणिज्य दूतावास पर कब्जा भी शामिल है। संगठन पर 1972 में तेल अवीव, इजराइल के बाहर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर गोलीबारी और ग्रेनेड हमले में संलिप्त होने का भी संदेह है।

आतंकवादियों की पहचान का अभियान मई के अंत में जेल में बंद संगठन की नेता फुसाको शिगेनोबु (76) की निर्धारित रिहाई से कुछ महीने पहले शुरू हुआ है। शिगेनोबु को 1974 में नीदरलैंड के हेग में फ्रांसीसी दूतावास पर कब्जा करने की कार्रवाई का सरगना होने के आरोप में 20 साल जेल की सजा सुनाई गई थी। वर्ष 2000 में उसे ओसाका में गिरफ्तार किया गया था, जहां वह छिपी हुई थी।

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