जब किन्नर के किरदार के लिए किसी अभिनेता को मिला था सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरुस्कार

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अल्मोड़ा के छोटे से गांव में साल 1962 में जन्मे निर्मल पांडे ने अपनी कलाकारी के दम से बॉलीवुड इंडस्ट्री में अपना नाम कमाया था। रामलीला में अभिनय के दौरान इसके प्रति उनका रुझान बढ़ा। रंगमंच से निर्मल को इतना लगाव था कि उन्होंने अपनी सरकारी नौकरी तक छोड़ दी थी। 80 के दशक में …

अल्मोड़ा के छोटे से गांव में साल 1962 में जन्मे निर्मल पांडे ने अपनी कलाकारी के दम से बॉलीवुड इंडस्ट्री में अपना नाम कमाया था। रामलीला में अभिनय के दौरान इसके प्रति उनका रुझान बढ़ा। रंगमंच से निर्मल को इतना लगाव था कि उन्होंने अपनी सरकारी नौकरी तक छोड़ दी थी। 80 के दशक में भीमताल के विकासखंड ब्लॉक कार्यालय में सरकारी नौकरी करते हुए उन्होंने मल्लीताल की रामलीला में सेनापति सुमंत का जीवंत किरदार निभाया था, जिसे आज भी बुज़ुर्ग लोग नहीं भूलते।

भले ही एनएसडी से ली तालीम ने उनकी अभिनय क्षमता को तराशा, लेकिन उनके अभिनय की नींव नैनीताल में रामलीला से ही पड़ी। निर्मल की प्राथमिक से लेकर इंटर तक की पढ़ाई नैनीताल में ही हुई और उसके बाद यहीं के डीएसबी कॉलेज से उन्होंने अपना पोस्ट ग्रेजुएशन किया। हिंदी सिनेमा का बड़ा स्टार बनने के बाद भी नैनीताल वासियों के लिए वह हमेशा उनके परवा डॉन या नानू दा ही रहे।

भले ही निर्मल ने फिल्मों में हमेशा विलेन की भूमिका निभाई, लेकिन असल जिंदगी में वह इसके बिल्कुल विपरीत थे। उनकी एक इच्छा अधूरी रह गई थी, वह कुमाऊं में एक एक्टिंग स्कूल खोलना चाहते थे, जिससे युवा कलाकारों को रंगमंच से जुड़ी सीख मिले, लेकिन उनका यह सपना अधूरा ही रह गया। उनके रामलीला के किरदार और कुमाऊं की प्रसिद्ध नृत्य नाटिका भस्मासुर में उनके अभिनय को आज भी लोग याद करते हैं।

किन्नर के किरदार के लिए मिला था सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरुस्कार
अमोल पालेकर द्वारा निर्देशित दायरा हिन्दी सिनेमा की सबसे जबरदस्त फिल्मों में गिनी जाती है। निर्मल पांडे ने इस फिल्म में एक किन्नर का किरदार निभाया था। इस फिल्म में शानदार अभिनय के लिए 1997 में निर्मल पांडे को फ्रांस में बेस्ट एक्टर वैलेंटी अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए यह पुरस्कार पाने वाले निर्मल विश्व के पहले अभिनेता थे।

वहीं तारा ग्रुप्स के साथ उन्होंने लंदन में 125 नाटकों की लंबी सीरीज की थी। बैंडेट क्वीन, औजार, ट्रेन टू पाकिस्तान और न जाने, हम तुम पे मरते हैं, जब प्यार किया तो डरना क्या…जैसी फिल्मों में गिनाया जाय जिनमें निर्मल पांडे ने सशक्त किरदार निभाया। 48 साल की कम उम्र में ही निर्मल पांडे की मृत्यु हो गई। उनकी आखिरी फिल्म लाहौर थी।

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