हल्द्वानी: ड्रग माफियाओं ने उत्तराखंड-उत्तर प्रदेश की सीमा पर बनाया नया ठिकाना
हल्द्वानी, अमृत विचार। विधानसभा चुनाव के दौरान कुमाऊं में पुलिस ने बड़ी मात्रा में स्मैक की बरामदगी की। इस स्मैक की तस्करी के तार बरेली और रामपुर से जुड़े मिले। जिसके बाद यह खुलासा हुआ कि ड्रग तस्करों का एक बड़ा कुनबा उत्तराखंड और बरेली की सीमा पर अपना नया ठिकाना बना चुका है। ये …
हल्द्वानी, अमृत विचार। विधानसभा चुनाव के दौरान कुमाऊं में पुलिस ने बड़ी मात्रा में स्मैक की बरामदगी की। इस स्मैक की तस्करी के तार बरेली और रामपुर से जुड़े मिले। जिसके बाद यह खुलासा हुआ कि ड्रग तस्करों का एक बड़ा कुनबा उत्तराखंड और बरेली की सीमा पर अपना नया ठिकाना बना चुका है। ये नया ठिकाना उत्तर प्रदेश की बड़ी कार्रवाई के बाद बना है, जिसे तोड़ना अब दोनों राज्यों की पुलिस के चुनौती है।
इन नए ठिकानों की खबर जब पुलिस को लगी तो पुलिस के भी कान खड़े हो गए। पता लगा कि ये नशे के नए सौदागर नहीं है, बल्कि उत्तर प्रदेश के पुराने ड्रग सप्लायर है और इनमें से कई तो ड्रग्स बनाने में भी माहिर हैं। बता कि बरेली में मीरगंज, फतेहगंज पूर्वी, फरीदपुर, फतेहगंज पश्चिमी, सिरौली ये वो इलाके हैं जो जहां से कभी मादक पदर्थों की तस्करी पूर्वांचल, हरियाणा, दिल्ली और मुम्बई तक की जाती थी।
इन इलाको में देश के अलग अलग राज्यों की पुलिस छापेमारी कर चुकी है। हालांकि असल कार्रवाई योगी आदित्यनाथ के प्रथम कार्यकाल में शुरू हुई। उत्तर प्रदेश पुलिस ने इन ड्रग कारोबारियों दोहरी मार की। इन्हें न सिर्फ जेल पहुंचाया बल्कि इन पर आर्थिक चोट भी की। जिससे बिखर गए। कई जेल गए और जो बच गए उन्होंने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सीमा पर नए ठिकाने तलाश लिए। फिलहाल तो इनको पकड़ना पुलिस के लिए मुश्किल साबित हो रहा है और इसके पीछे ड्रग माफिया के काम-काज में बदलाव।
सूत्रों क मानें तो ड्रग तस्कर अब माल बेचने के लिए सीधे डील करने से गुरेज कर रहे हैं। जबकि पहले ऐसा नहीं था। पहले एक हाथ से पैसे दो और दूसरे हाथ से माल लो, लेकिन अब ड्रग माफिया इस तरह कारोबार नहीं कर रहे। सूत्र बताते हैं कि अब डील कहीं होती, पैसे कहीं लिए जाते हैं और पैसे लेने के बाद माल की डिलीवरी कहीं और दी जाती है। इससे होता यह है कि अगर मुखबिरी भी होती है तो सिर्फ माल और आदमी पकड़ा जाता है, जबकि पैसा माफिया के पास सुरक्षित बच जाता है।
तैमूर के बूते छोटे खां ने बिछाया ड्रग तस्करी का जाल
हल्द्वानी। बरेली के पढ़ेरा गांव का प्रधान छोटे खां और उसका भतीजे राजू करीब पांच माह पहले बरेली पुलिस के हत्थे चढ़े। इनके पास से पुलिस ने 20 किलो स्मैक बरामद की थी। जिसकी कीमत करीब 20 करोड़ आंकी गई। पता लगा कि पढ़ेरा का प्रधान छोटे खां नशे का बड़ा तस्कर है। उसके तार दिल्ली के दो लाख के इनामी तैमूर उर्फ भोला से जुड़े हैं। दिल्ली पुलिस तैमूर की दो साल से तलाश में है। तैमूर के जरिए प्रधान छोटे खां ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मुंबई और दिल्ली में ड्रग सप्लायरों में पैठ बना ली थी।
ये हैं बरेली के बड़े ड्रग माफिया
– पूर्व प्रधान शहीद, तैमूर उर्फ भोला, नन्हे उर्फ लंगड़ा, उस्मान निवासी, इस्लाम, इरफान, फैय्याज, छोटे प्रधान, रिफाकत
तीन बार चख ली तो फिर छूटती नहीं
हल्द्वानी। स्मैक की लत एक बार में नहीं लगती और लग जाए तो फिर छूटती नहीं। स्मैक के काले कारोबार से जुड़े कारोबारियों की मानें तो अगर स्मैक की तीन डोज किसी को दे दी जाए तो फिर लत लग जाती है और फिर छूटती नहीं। ये तीन डोज तीन दिन तक लगातार दी जाती है। इसके बाद लोग स्मैक के आदी हो जाते हैं और इसके बिना रह नहीं पाते।
पैडलर बनाने के लिए दी जाती है तीन डोज
हल्द्वानी। उत्तराखंड और इसके प्रवेश द्वार हल्द्वानी को स्मैक माफिया ने अपना डिपो बना लिया है। यहां स्मैक की सप्लाई को आसान बनाने के लिए ये माफिया युवाओं को स्मैक की लत लगा रहे हैं। पहले इन्हें स्मैक के मुफ्त डोज दिए जाते हैं और जब युवाओं को इसकी लत लग जाती है तो ये माफिया इन्हीं युवाओं को पैडलर बनाकर स्मैक तस्करी कराते हैं।
पुलिस की लगातार कार्रवाई के चलते स्मैक माफिया ने सौदेबाजी का ट्रेंड बदल दिया है। अब ये माफिया माल के साथ सौदा नहीं करते, बल्कि पैसे लेने कोई और आता है और माल की सप्लाई किसी और स्थान पर की जाती है। ऐसे में माफिया को रंगेहाथ पकड़ना मुश्किल हो जाता है। जबकि पहले माल के साथ सौदा होता था।
पंकज भट्ट, एसएसपी नैनीताल
