विपक्षी दलों ने निजीकरण, बैंक मजदूर संघों की हड़ताल का मुद्दा लोकसभा में उठाया

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नई दिल्ली। लोकसभा में विपक्षी दलों के सदस्यों ने मजदूर संगठनों द्वारा सरकार की निजीकरण की नीतियों के खिलाफ आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल का मुद्दा मंगलवार को सदन में उठाते हुए इसे समर्थन देने की घोषणा की। विपक्षी सदस्यों ने इस विषय पर निचले सदन में चर्चा कराने की मांग की। शून्यकाल में इस …

नई दिल्ली। लोकसभा में विपक्षी दलों के सदस्यों ने मजदूर संगठनों द्वारा सरकार की निजीकरण की नीतियों के खिलाफ आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल का मुद्दा मंगलवार को सदन में उठाते हुए इसे समर्थन देने की घोषणा की। विपक्षी सदस्यों ने इस विषय पर निचले सदन में चर्चा कराने की मांग की।

शून्यकाल में इस विषय को उठाते हुए तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने दावा किया कि इस हड़ताल को व्यापक समर्थन मिला है और यह सरकार की नीतियों के खिलाफ लोगों के रोष को प्रदर्शित करती है। राय ने कहा कि सरकार को समझना चाहिए कि सभी चीजों को बेचने की उसकी नीति से लोग अप्रसन्न हैं।

उन्होंने इस विषय पर सदन में चर्चा कराने की मांग की। शून्यकाल में कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि सम्पूर्ण विपक्ष ने मजदूर संघों को पूर्ण समर्थन दिया है जबकि पश्चिम बंगाल सरकार राज्य में हड़ताल को विफल बनाने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा से जुड़े भारतीय मजदूर संघ को छोड़कर अन्य सभी मजदूर संघों ने इस हड़ताल में हिस्सा लिया है और इनका सरकार से अग्रह है कि सरकार राष्ट्रीय संसाधनों की लूट को रोके।

चौधरी ने तृणमूल कांग्रेस सदस्यों पर हड़ताल के मुद्दे पर सदन को गुमराह करने का आरोप लगाया। नये श्रम कानूनों, सरकार की निजीकरण नीतियों और मनरेगा मजदूरी के भुगतान में देरी के विरोध में हड़ताल आयोजित की गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल में इनके पार्टी कार्यकर्ता (तृणमूल कांग्रेस के) श्रमिकों के हितों के खिलाफ काम कर रहे हैं जो दुखद है।

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