सीतापुर: जिंदा नवजात शिशु को डॉक्टर ने बताया मृत, जानें फिर क्या हुआ?

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रेउसा/सीतापुर। जहां एक तरफ सरकार द्वारा सुरक्षित प्रसव व नवजात शिशु की मृत्यु दर कम करने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर विभिन्न योजनाये चलाई जा रही है, वही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रेउसा में चिकित्सकों व एएनएम की लापरवाही से एक जीवित बच्चे को मृत बताकर उसके माता-पिता को सौंप दिया गया। परिजन बच्चे के …

रेउसा/सीतापुर। जहां एक तरफ सरकार द्वारा सुरक्षित प्रसव व नवजात शिशु की मृत्यु दर कम करने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर विभिन्न योजनाये चलाई जा रही है, वही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रेउसा में चिकित्सकों व एएनएम की लापरवाही से एक जीवित बच्चे को मृत बताकर उसके माता-पिता को सौंप दिया गया। परिजन बच्चे के अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहे थे, तभी गांव के एक युवक द्वारा बच्चे की जांच कर उसे जीवित बताया गया। जिसके बाद बच्चे को प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया।

जहां मंगलवार को दोपहर में उसकी मृत्यु हो गई। घटना के अनुसार रेउसा के बरौली निवासी रूपेंद्र कुमार पांडे की पत्नी सरिता पांडे को सोमवार की शाम प्रसव पीड़ा हुई। जिसके बाद उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रेउसा ले जाया गया। बताया जाता है कि जहां प्रसूता ने 18/19 की रात करीब साढ़े तीन बजे एक पुत्र को जन्म दिया। जन्म के कुछ देर बाद ही ड्यूटी पर तैनात दाई व डॉक्टर द्वारा नवजात शिशु को मृत घोषित कर उसके परिजनों को सौंप दिया गया।

मृत शिशु को लेकर परिजन अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहे थे, तभी गांव के ही एक युवक द्वारा बच्चे को जीवित होने की बात कही गयी। परिजनों ने उसे रेउसा के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया। जहां मंगलवार दोपहर में नवजात की मौत हो गई। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में की गई लापरवाही के संबंध में स्वास्थ्य केंद्र अधीक्षक डॉ अनूप पांडे ने बताया कि डिलीवरी के बाद बच्चे को गंभीर हालत में रेफर किया गया था। अब उसके बाद परिजन उसे कहां ले गए, यह जानकारी नहीं है। बच्चे को अस्पताल में मृत घोषित नहीं किया गया था।

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