हल्द्वानी: अग्निपथ योजना का विरोध कर रहे युवाओं पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया, लेकिन अफसरों ने स्वीकार नहीं किया
हल्द्वानी, अमृत विचार। अग्निपथ योजना और एक साल पूर्व हुई अधूरी आर्मी भर्ती के विरोध के सड़कों पर उतरे युवाओं पर लाठीचार्ज किया गया। युवाओं को सड़क पर दौड़ा-दौड़ा कर पीटा गया, लेकिन अफसर लाठीचार्ज को सिरे से नकार गए। इस लाठीचार्ज को हल्का बल प्रयोग बताया जा रहा है और अब जल्दबाजी में लिए …
हल्द्वानी, अमृत विचार। अग्निपथ योजना और एक साल पूर्व हुई अधूरी आर्मी भर्ती के विरोध के सड़कों पर उतरे युवाओं पर लाठीचार्ज किया गया। युवाओं को सड़क पर दौड़ा-दौड़ा कर पीटा गया, लेकिन अफसर लाठीचार्ज को सिरे से नकार गए। इस लाठीचार्ज को हल्का बल प्रयोग बताया जा रहा है और अब जल्दबाजी में लिए गए लाठीचार्ज के फैसले को गंभीर धाराओं वाली रिपोर्ट से दर्ज करने की कोशिश की गई है।
17 जून की सुबह युवा सड़क पर थे और इसकी शुरुआत हुई रामलीला मैदान से। यहां से जुलूस की शक्ल में निकले युवाओं ने तिकोनिया में नेशनल हाईवे जाम कर दिया। प्रदर्शनकारी युवा रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट को मौके पर बुलाने की मांग कर रहे थे। हालंकि उनकी योजना उनके आवास को घेरने की थी। बात नहीं तो जाम लगाया गया और जाम को जबरदस्ती पार करने वाले राहगीरों से बदसलूकी की गई। जिसमें बैंक में काम करने वाली एक दिव्यांग स्कूटी सवार महिला भी थी। भीड़ में मौजूद उपद्रवियों को चिह्नित करने पर कुछ लोगों से पत्थर फेंकने शुरू कर दिए। बात हाथ से निकलती, इससे पहले ही पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। जब ये हुआ तो मौके पर सिटी मजिस्ट्रेट, एसडीएम, एडीएम, एसपी सिटी, एसपी क्राइम और सीओ सिटी समेत तमाम लोग मौजूद थे। युवाओं को नेशनल हाईवे और ठंडी सड़क पर दौड़ा-दौड़ा कर पीटा गया। बचने के लिए कुछ ने नहर में छलांग लगाई और कुछ इमारतों के बेसमेंट में छिपे, लेकिन पुलिस से नहीं बच सके।
पुलिस द्वारा लाठीचार्ज का वीडियो चंद मिनटों में ही सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। जिसके बाद पुलिस की आलोचना शुरू हुई और फिर शुरू हुआ मामले को किसी भी तरह निपटाने का काम। मौके पर प्रदर्शनकारियों को पीटने का फरमान सुनाने वाले अधिकारी भी चंद मिनट में अपनी बात से पलट गए। लाठीचार्ज को शाम ढलते तक हल्का बल प्रयोग करार दे दिया गया और इस बयान को बल देने के लिए 300 से 400 प्रदर्शनकारियों पर रिपोर्ट दर्ज कर ली गई। फिलहाल, पुलिस का इरादा इस कार्रवाई को रिपोर्ट तक ही सीमित करने का है। फिलहाल, प्रदर्शनकारियों पर आईपीसी की धारा 147, 149, 332, 342, 353, 427, 504 व 7 क्रिमिनल लॉ (अमेन्डमेन्ट) एक्टके तहत रिपोर्ट दर्ज की गई है।
भीड़ उग्र हो चुकी थी, राहगीरों से बदसलूकी की जा रही थी। भीड़ से कुछ ने पत्थर फेंकने भी शुरू कर दिए। हमने चार घंटे तक बिना नेतृत्व वाली भीड़ को समझाने की कोशिश की, लेकिन माहौल बिगड़ता जा रहा था। ऐसे में हल्का बल प्रयोग कर भीड़ को तितर-बितर किया गया। – पंकज भट्ट, एसएसपी, नैनीताल
हम सुबह से ही प्रदर्शनकारियों के साथ थे और उन्हें शांति पूर्वक प्रदर्शन करने के लिए भी कह रहे थे, लेकिन जब भीड़ उग्र हुई तो हल्का बल प्रयोग कर स्थिति को काबू करने की कोशिश की गई, लेकिन लाठीचार्ज के आदेश नहीं दिए गए। – ऋचा सिंह, सिटी मजिस्ट्रेट
भविष्य का सवाल है, कोई नहीं आएगा सामने
पुलिस ने गंभीर धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की है और इन धाराओं में चिह्नित होने वालों का भविष्य अंधकारमय होना भी तय है। यदि इस मामले में सेना में भर्ती होने की ख्वाहिश रखने वाले युवा फंसे तो ये ख्वाहिश ख्वाब ही रह जाएगी। ऐसे में इतना तो तय है कि पुलिस एक्शन के खिलाफ आवाज उठाने के लिए एक भी युवा सामने नहीं आएगा।
पुलिस ने किया लाठीचार्ज के नियमों का उल्लंघन
एसएसपी पंकज भट्ट ने पहले ही पुलिस को ब्रीफ कर दिया था और साफ कह दिया था कि जरूरत पड़ने पर ही हल्का बल प्रयोग किया जाए। एसएसपी के ब्रीफ को दरकिनार करते हुए पुलिसकर्मियों ने न सिर्फ लाठीचार्ज किया बल्कि लाठीचार्ज के नियमों का भी उल्लंघन किया। लाठियां प्रदर्शनकारी युवाओं की कमर के ऊपर कंधे तक चलाई गईं।
क्या कहती हैं अज्ञात प्रदर्शनकारियों पर लगी धाराएं
– आईपीसी की धारा – 147, 149, 332, 342, 353, 427, 504 के तहत रिपोर्ट दर्ज की गई है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 147 के अनुसार, अगर कोई भीड़ में शामिल होकर हिंसा करता है और वो उपद्रव करने का दोषी है तो उसे 2 से 3 साल की अवधि के लिए कारावास की सजा का प्रावधान है। जिसे दो वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है या आर्थिक जुर्माना या फिर दोनों ही लगाया जा सकता है।
आईपीसी की धारा- 149
भारतीय दंड संहिता की धारा 149 के अनुसार, अगर कानून के खिलाफ जनसमूह में शामिल कोई व्यक्ति या सदस्य किसी लक्ष्य को पूरा करने के लिए कोई अपराध करता है या कोई ऐसा अपराध किया जाता है जिसे उस जनसमूह के सदस्य जानते थे तो उसमें शामिल हर व्यक्ति उस अपराध का दोषी होगा।
आईपीसी की धारा- 332
भारतीय दंड संहिता की धारा 332 के अनुसार, अगर कोई शख्स किसी लोक सेवक को डियूटी करते वक्त या विधिपूर्ण कार्य करते समय डराकर, धमकाकर जान बूझकर गंभीर चोट पहुंचाता है, तो वह इस धारा को तहत दोषी होगा। उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा हो सकती है। जिसे तीन वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है।
आईपीसी की धारी 342
भारतीय दंड संहिता की धारा 342 के अनुसार, जो भी कोई किसी व्यक्ति को ग़लत तरीके से प्रतिबंधित करेगा तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा जिसे एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है या एक हजार रुपए तक का आर्थिक दण्ड या दोनों से दण्डित किया जाएगा।
आईपीसी की धारी 353
भारतीय दंड संहिता की धारा 353 के अनुसार जो भी किसी ऐसे व्यक्ति पर, जो लोक सेवक हो, उस समय जब लोक सेवक के नाते वह अपने कर्तव्य का निष्पादन कर रहा हो या उस व्यक्ति को लोक सेवक के नाते अपने कर्तव्य के निर्वहन से निवारित या भयोपरत करने के आशय से या लोक सेवक के नाते उसके अपने कर्तव्य के विधिपूर्ण निर्वहन में किए गये या किए जाने वाले किसी कार्य के परिणामस्वरूप हमला या आपराधिक बल का प्रयोग करेगा तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा, जिसे दो वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है या आर्थिक दंड या दोनों से दंडित किया जाएगा।
आईपीसी की धारी 427
भारतीय दंड संहिता की धारा 427 के अनुसार जो भी ऐसी कोई कुचेष्टा करेगा और जिससे पचास रुपए या उससे अधिक की हानि या नुकसान हो तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा, जिसे दो वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है या आर्थिक दंड या दोनों से दंडित किया जाएगा। यह एक जमानती, गैर-संज्ञेय अपराध है और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
आईपीसी की धारी 504
आईपीसी की धारा 504 के तहत जो कोई भी किसी व्यक्ति को उकसाने के इरादे से जानबूझकर उसका अपमान करता, इरादतन या यह जानते हुए कि इस प्रकार की उकसाहट उस व्यक्ति को लोकशांति भंग होने या अन्य अपराध कारित होता है तो वह इस धारा के तहत दोषी होगा।
