बाइडेन ने भारतीय-अमेरिकी वैज्ञानिक आरती प्रभाकर को कैबिनेट में किया नियुक्त

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न्यूयॉर्क। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भारतीय-अमेरिकी वैज्ञानिक आरती प्रभाकर को ऑफिस ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी पॉलिसी (ओएसटीपी) के डायरेक्टर के पद के लिए नामित किया गया है। इसकी जानकारी व्हाइट हाउस ने दी। व्हाइट हाउस ने कहा कि उनका नामांकन बुधवार को सीनेट की मंजूरी के लिए भेजा गया है। दरअसल, पद ग्रहण करने …

न्यूयॉर्क। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भारतीय-अमेरिकी वैज्ञानिक आरती प्रभाकर को ऑफिस ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी पॉलिसी (ओएसटीपी) के डायरेक्टर के पद के लिए नामित किया गया है। इसकी जानकारी व्हाइट हाउस ने दी। व्हाइट हाउस ने कहा कि उनका नामांकन बुधवार को सीनेट की मंजूरी के लिए भेजा गया है। दरअसल, पद ग्रहण करने से पहले उन्हें सीनेट की मंजूरी की जरूरत होगी, जिसमें कुछ महीनों का वक्त लग सकता है। अगर सीनेट उन्हें मंजूरी देता है तो वह ओएसटीपी का नेतृत्व करने वाली पहली महिला और अश्वेत होंगी।

व्हाइट हाउस ने एमआरएनए आधारित कोविड 19 वैक्सीन को महामारी से बहुत पहले संभव बनाने में मदद करने का श्रेय दिया। व्हाइट हाउस ने कहा, आरती प्रभाकर ने 2012 से 2017 तक डिफेंस एडवांस रिसर्च प्रोजेक्ट एजेंसी (डीएआरपीए) के निदेशक के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान रैपिड-रिस्पांस एमआरएनए वैक्सीन तैयार करने में मदद की, जो कोविड-19 के जवाब में विश्व इतिहास में सबसे तेज सुरक्षित और प्रभावी वैक्सीन थी। बाइडेन ने कहा कि वह एक शानदार और सम्मानित इंजीनियर और अप्लाइड-फिजिस्ट हैं। वो हमारी संभावनाओं का विस्तार करने, हमारी सबसे मुश्किल चुनौतियों को हल करने और नामुमकिन को मुमकिन करने के लिए ओएसटीपी का नेतृत्व करेंगी। अगर सीनेट द्वारा उन्हें मंजूरी मिल जाती है, तो वह अमेरिकी कैबिनेट में सेवा देने वाली तीसरी भारतीय-अमेरिकी होंगी।

पहली निक्की हेली थीं, जिन्हें पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 2017 में कैबिनेट रैंक के साथ संयुक्त राष्ट्र में स्थायी प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त किया था। पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने प्रभाकर को 1993 में राष्ट्रीय मानक और प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईएसटी) का प्रमुख बनाया था। 34 साल की उम्र में एनआईएसटी का नेतृत्व करने वाली भी वह पहली महिला थीं। पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपने कार्यकाल के दौरान उन्हें डीएआरपीए का प्रमुख बनाया।
प्रभाकर ने सिलिकॉन वैली में एक कार्यकारी और एक उद्यम पूंजीपति के रूप में 15 वर्षो तक काम किया।

राष्ट्रपति बाइडन ने भारतीय-अमेरिकी विधि विशेषज्ञ अंजलि चतुर्वेदी को अहम पद पर नियुक्त किया

प्रमुख भारतीय-अमेरिकी कानूनी विशेषज्ञ अंजलि चतुर्वेदी को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने पूर्व सैनिक (वेटरन्स) मामलों के विभाग में जनरल काउंसल नामित किया है। व्हाइट हाउस की वेबसाइट के मुताबिक चतुर्वेदी अमेरिकी न्याय विभाग के अपराध प्रभाग में उप सहायक अटॉर्नी जनरल हैं। चतुर्वेदी को ‘यूएस डिपार्टमेंट ऑफ वेटरन्स अफेयर्स’ में जनरल काउंसल के पद पर नामित किया गया है। विभाग का मुख्य दृष्टिकोण पूर्व सैनिकों को उनके द्वारा अर्जित विश्व स्तरीय लाभ और सेवाएं प्रदान करना है – और ऐसा करने के लिए करुणा, प्रतिबद्धता, उत्कृष्टता, व्यावसायिकता, अखंडता, जवाबदेही और नेतृत्व के उच्चतम मानकों का पालन करना है। चतुर्वेदी ने अपने करियर के दौरान सरकार की तीनों शाखाओं में काम करने के साथ ही निजी प्रैक्टिस भी की है। सरकारी सेवा में लौटने से पहले, चतुर्वेदी नॉर्थ्रॉप ग्रुम्मन कॉरपोरेशन के लिए सहायक जनरल काउंसल और जांच निदेशक के तौर पर काम कर रही थीं तथा कंपनी की वैश्विक जांच टीम का नेतृत्व करती थीं।

चतुर्वेदी ने इससे पहले ब्रिटिश पेट्रोलियम में सहायक जनरल काउंसल और निक्सन पीबॉडी की वाशिंगटन डीसी लॉ फर्म में पार्टनर के रूप में काम किया था। निजी प्रैक्टिस में प्रवेश करने से पहले, वह एक संघीय अभियोजक थीं। न्याय विभाग में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने कोलंबिया जिले और कैलिफोर्निया के उत्तरी जिले में अमेरिकी अटॉर्नी कार्यालयों में सेवा दी, जिसमें घोर अपराध सुनवाई अनुभाग के उप प्रमुख और संगठित अपराध ‘स्ट्राइक फोर्स’ के प्रमुख और सीनेट न्यायपालिका समिति पर सीनेटर डियान फेनस्टीन के वकील के रूप में काम करना शामिल था। न्यूयॉर्क के कोर्टलैंड में जन्मीं चतुर्वेदी ने ‘‘डिस्ट्रिक्ट ऑफ कोलंबिया सुपीरियर कोर्ट’’ जज ग्रेगरी ई. मिज के लिए लिपिक के रूप में अपना कानूनी करियर शुरू किया। चतुर्वेदी ने जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी और हेस्टिंग्स कॉलेज ऑफ लॉ में एडजंक्ट प्रोफेसर के रूप में ट्रायल एडवोकेसी और क्रिमिनल प्रोसीजर भी पढ़ाया।

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