पाक का नया हथियार
कश्मीर में भारत के खिलाफ नशा छद्म युद्ध का नया हथियार बन रहा है। इसके जरिये वह एक तीर से कई निशाने साध रहा है। घाटी के युवाओं को अपने चंगुल में फंसाकर पाकिस्तान समर्थित आतंकी गतिविधियों के लिए मादक पदार्थों की तस्करी से धन जुटा रहा है। पाकिस्तान ने कश्मीर में संघर्ष को ज़िंदा …
कश्मीर में भारत के खिलाफ नशा छद्म युद्ध का नया हथियार बन रहा है। इसके जरिये वह एक तीर से कई निशाने साध रहा है। घाटी के युवाओं को अपने चंगुल में फंसाकर पाकिस्तान समर्थित आतंकी गतिविधियों के लिए मादक पदार्थों की तस्करी से धन जुटा रहा है। पाकिस्तान ने कश्मीर में संघर्ष को ज़िंदा रखने और घाटी के सामाजिक ताने-बाने को छिन्न-भिन्न करने के लिए दोहरी रणनीति अपनाई हुई है। इसके तहत वो सीमा पार से हथियारों के साथ-साथ ड्रग्स भी भेज रहा है।
पांच सालों में सिर्फ कश्मीर घाटी में हेरोइन के इस्तेमाल के मामलों में दो हजार गुना इजाफा देखने में आया है। पाकिस्तान अब आधुनिक ड्रोन का इस्तेमाल भी कर रहा है। जम्मू-कश्मीर के पुलिस प्रमुख दिलबाग सिंह भी स्वीकार करते हैं कि पाकिस्तान का नार्को टेरेरिज्म एक बड़ी चुनौती बनकर उभरा है। हाल के दिनों में दस लोग गिरफ्तार किए गए थे, जिनके पास से 45 करोड़ रुपए की हेरोइन, चीन में बने ग्रेनेड और चार पिस्तौलें बरामद हुई थीं।
आतंकवाद का ये मॉड्यूल पूरे जम्मू-कश्मीर में ही नहीं, उसके बाहर भी अपनी गतिविधियां चला रहा था। ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक कश्मीर में नार्को टेरेरिज्म में तेजी आई है। हालांकि, मजबूत सुरक्षा ग्रिड और विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के बीच बढ़ते समन्वय ने आतंकवादी गतिविधियों को प्रभावी ढंग से कम कर दिया है। जम्मू-कश्मीर से संविधान की धारा 370 को हटाया गया था तो स्थानीय प्रशासन ने वादा किया था कि वो राज्य के ड्रग माफिया के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगा। लेकिन सच्चाई इसके बिल्कुल उलट होने का इशारा करती है।
आज कश्मीर के बहुत से राजनेता और अलगाववादी ड्रग्स की तस्करी में शामिल हैं। उनके संरक्षण का नतीजा ये हुआ कि आज ड्रग तस्करी करने वाले माफिया बड़े आराम और आत्मविश्वास के साथ कश्मीर घाटी में अपना काला धंधा चला रहे हैं। तीन दशक से भी ज्यादा वक्त से जारी हिंसा के चलते कश्मीर घाटी के समाज पर, यहां के निवासियों के ऊपर गहरा मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ा है।
तबाही की बुरी यादें, हमेशा संगीनों के साये में रहने के भय ने कश्मीर घाटी की जनता के बीच, अवसाद की समस्या को बहुत व्यापक बना दिया है। इस कारण से युवाओं में चिंता और तनाव बढ़ा है। वो कुछ ज्यादा ही अवसाद के शिकार हो रहे हैं। इसका एक नतीजा ये भी हो रहा है कि कश्मीर के युवा ड्रग की लत के शिकार बड़ी आसानी से बन जाते हैं। अब चूंकि, ड्रग का कारोबार, हथियारबंद आतंकवाद और लंबे समय से चला आ रहा हिंसक संघर्ष एक दूसरे से जुड़े हुए हैं तो, कश्मीर के भविष्य से जुड़े सभी वर्गों को एक साथ आकर काम करना होगा।
