हाई कोर्ट ने बिल्डर रघुनाथ की मौत के मामले की जांच सीबीआई को सौंपी
बेंगलुरु। कर्नाटक हाई कोर्ट ने भवन निर्माण क्षेत्र से जुड़े कारोबारी के. रघुनाथ की मौत के मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी है। रघुनाथ की पत्नी एम. मंजुला और बेटे रोहित ने इस संबंध में हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। दिवंगत शराब कारोबारी और व्यवसायी डी.के. आदिकेशवालु के बेटे डी.ए. …
बेंगलुरु। कर्नाटक हाई कोर्ट ने भवन निर्माण क्षेत्र से जुड़े कारोबारी के. रघुनाथ की मौत के मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी है। रघुनाथ की पत्नी एम. मंजुला और बेटे रोहित ने इस संबंध में हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
दिवंगत शराब कारोबारी और व्यवसायी डी.के. आदिकेशवालु के बेटे डी.ए. श्रीनिवास और बेटी डी.ए. कल्पजा मामले के आरोपियों में शामिल हैं। न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना ने तीन सितंबर के अपने फैसले में सीबीआई को मामले की जांच करने और छह महीने के भीतर संबंधित अदालत को अपनी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया। चार मई 2019 को व्हाइटफील्ड इलाके में श्रीनिवास के गेस्ट हाउस में रघुनाथ का शव फंदे पर लटका पाया गया था।
मृतक की पत्नी और बेटे का आरोप है कि घटना से दो दिन पहले रघुनाथ और कल्पजा ने रघुनाथ को बुलाया था। शिकायत में दावा किया गया है कि रघुनाथ के आदिकेशवालु के साथ घनिष्ठ संबंध थे। पूर्व संसद सदस्य आदिकेशवालु का 24 अप्रैल 2013 को निधन हो गया था।
आरोप लगाया गया है कि आदिकेशवालु की मौत के बाद श्रीनिवास ने रघुनाथ से यह दावा करना शुरू कर दिया कि उनके (रघुनाथ) नाम पर बेंगलुरु में विभिन्न स्थानों पर खरीदी गई संपत्ति में उनके पिता (आदिकेशवालु) द्वारा दिया गया धन लगा है। शिकायत के मुताबिक, श्रीनिवास चाहते थे कि वे संपत्तियां उन्हें वापस कर दी जाएं।
पीड़ित परिवार का दावा है कि रघुनाथ ने जोर देकर कहा था कि संपत्तियां उनके अपने पैसे से खरीदी गई थीं। आरोप है कि श्रीनिवास के परिसरों पर आयकर विभाग की छापेमारी के लिए रघुनाथ को जिम्मेदार ठहराया गया था। इस बीच, रघुनाथ ने वसीयत करते हुए अपनी संपत्ति पत्नी के नाम कर दी थी।
रघुनाथ चार मई, 2019 को एक संपत्ति बेचने की योजना बना रहे थे और इसकी भनक लगने पर श्रीनिवास और कल्पजा ने उन्हें दो मई, 2019 को मिलने बुलाया था। रघुनाथ ने कथित तौर पर चार मई की सुबह अपनी पत्नी को फोन कर उनकी जान को खतरा होने की बात कही थी। जब रघुनाथ का बेटा उनके बारे में जानकारी जुटाने पहुंचा तो पिता को फांसी पर लटका पाया।
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