नैनीताल: हाईकोर्ट ने अधिवक्ता की सुरक्षा अवधि बढ़ाई, महिला सिपाही को नोटिस जारी

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नैनीताल, अमृत विचार। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने अधिवक्ता प्रभात बोरा के साथ कोतवाली पिथौरागढ़ के कोतवाल रमेश तंवर द्वारा अभद्रता करने के आरोपों के मामले में दायर सुरक्षा दिलाए जाने वाली याचिका पर गुरुवार को सुनवाई की। मामले को सुनने के मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने याचिककर्ता की सुरक्षा अवधि …

नैनीताल, अमृत विचार। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने अधिवक्ता प्रभात बोरा के साथ कोतवाली पिथौरागढ़ के कोतवाल रमेश तंवर द्वारा अभद्रता करने के आरोपों के
मामले में दायर सुरक्षा दिलाए जाने वाली याचिका पर गुरुवार को सुनवाई की।

मामले को सुनने के मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने याचिककर्ता की सुरक्षा अवधि आगे बढ़ाते हुए कांस्टेबल सुनीता गिरी को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई के लिए 3 नवंबर की तिथि नियत की गई है।

मामले में गुरुवार को याचिकाकर्ता द्वारा कोर्ट में संशोधित प्रार्थना पत्र देकर कहा गया कि इस मामले की जांच सीबीआई से कराई जाए। आरोप लगाया कि कांस्टेबल सुनीता गिरी भी इस मामले में शामिल है, जिसे पक्षकार बनाया जाए और उन्हें मुआवजा दिलाया जाए, थाने में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं। न्यायालय ने संशोधित प्रार्थनापत्र को स्वीकार करते हुए सरकार से जवाब पेश करने को कहा है।

मामले के अनुसार, अधिवक्ता प्रभात बोरा ने आरोप लगाते बताया कि वे किसी केस के सिलसिले में कोतवाली पिथौरागढ़ गए थे। इस बीच गाड़ी की पार्किंग को लेकर उनके व कोतवाल के बीच कहासुनी हो गयी। आरोप है कि अधिवक्ता द्वारा जब कोतवाल से ढंग से बात करने को कही तो उन्होंने उनसे गालीगलौज कर थाने से धक्के मारकर बाहर कर दिया। जब उनके द्वारा इसकी शिकायत एसपी सुखबीर सिंह से की गई तो उनकी शिकायत पर कोतवाल को लाइन हाजिर कर दिया गया। लेकिन उनका कहना है कि कोतवाल का इस तरह से पेश आना अमानवीयता है, उनके खिलाफ इस अव्यावहारिक आचरण करने के लिए विभागीय कार्यवाही की जाए। उनको और उनके परिवार को सुरक्षा भी दिलाई जाए।

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