Photos: ‘समरकंद’…तैमूर, बाबर और सिकंदर से वास्ता रखने वाला सदियों पुराना शहर, अतीत के झरोखे से देखिए इसका इतिहास
समरकंद। इस बार Shanghai Cooperation Organisation (SCO) का शिखर सम्मलेन उज्बेकिस्तान के समरकंद में हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी एससीओ में हिस्सा लेने के लिए उज्बेकिस्तान के समरकंद शहर पहुंचे हैं। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी वहां मौजूद हैं। उज्बेकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन के शिखर …
समरकंद। इस बार Shanghai Cooperation Organisation (SCO) का शिखर सम्मलेन उज्बेकिस्तान के समरकंद में हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी एससीओ में हिस्सा लेने के लिए उज्बेकिस्तान के समरकंद शहर पहुंचे हैं। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी वहां मौजूद हैं। उज्बेकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन पहले भी तीन बार हो चुके हैं, मगर ये तीनों सम्मेलन राजधानी ताशकंद में हुए थे। इस साल उज्बेकिस्तान में पहली बार एससीओ की शिखर बैठक समरकंद में हो रही है।

समरकंद इतिहास के पन्नों का एक अहम हिस्सा है। एक खूनी योद्धा के तौर मशहूर हुए तैमूर या तैमूरलंग का जन्म समरकंद में ही हुआ था। समरकंद दक्षिणपूर्वी उज्बेकिस्तान में स्थित एक ऐसिहासिक शहर है, जिसे मध्य एशिया के सबसे पुराने शहरों में भी गिना जाता है। ये शहर पुराने वक्त से ही अपनी खास स्थिति यानी लोकेशन की वजह से महत्वपूर्ण रहा है। वहीं, ये मध्य एशिया से गुजरने वाले ऐतिहिसिक व्यापारिक रूट रेशम मार्गों के सबसे महत्वपूर्ण स्थलों में से भी एक है।
समरकंद का इतिहास विश्व के कई बड़े सम्राटों से भी रहा है, जिसमें सिकंदर, तैमूर लंग, बाबर और चंगेज खान भी शामिल हैं। तैमूर लंग का जन्म (1336) समरकंद में ही हुआ था। वहीं, इस शहर को कभी विश्व को जीतने निकले सिकंदर महान ने सिकंदर महान ने 329 ईसा पूर्व में अपने कब्जे में ले लिया था।
वहीं, बाबर को उज्बेकिस्तान का फरगना विरासत में मिला था, लेकिन वो समरकंद को भी जीतना चाहता था। उसकी कई कोशिशों के बाद वो समरकंद को जीत पाया था, लेकिन बाद में ये शहर उसके हाथ से निकल गया। वहीं, इस शहर पर कभी मंगोल शासक चंगेज खान का भी नियंत्रण रहा है। अपनी पुरानी इमारतों और अतीत के साथ ये शहर आज भी महत्व रखता है।
समरकंद की प्राचीन इमारतों की सबसे बड़ी खासियत इन इमारतों के शानदार दरवाजे, रंगीन गुंबद, और माजोलिका, मोज़ेक, संगमरमर और सोने से लिपटी बाहरी सजावट है। बता दें कि इस ऐतिहासिक शहर को 2001 में यूनेस्को की विश्व धरोहर में भी शामिल किया जा चुका है।
उजबेक का शहर समरकंद चीन और भारत के व्यापारिक शहरों का जंक्शन भी माना जाता था, बता दें कि प्राचीन और मध्ययुगीन काल में समरकंद का चीन और भारत के बीच व्यावसायिक महत्व काफी ज्यादा था. 1888 में रेलवे की शुरूआत के साथ, समरकंद शराब, सूखे और ताजे फल, कपास, चावल, रेशम और चमड़े के निर्यात का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गया।
हालिया दौर में शहर का उद्योग मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है, जिसमें कपास की जुताई, रेशम की कताई और बुनाई, फलों की डिब्बाबंदी, और शराब, कपड़े, चमड़े और जूते और तंबाकू की पैदावारी की जाती है। इसी शहर में ट्रैक्टर और ऑटोमोबाइल पार्ट्स बड़े पैमाने पर बनाए जाते हैं, इसके अलावा समरकंद मध्य एशिया से गुजरने वाले रेशम के कारोबार का सबसे बिजनेस एरिया माना जाता है।
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