कोहरा बढ़े तो घटा लें रफ्तार, जान बहुत कीमती है... लगातार बढ़ रहा हादसों का ग्राफ
बीते साल-2024 में 4,845 लोगों ने असमय गंवाई है जान
नीरज मिश्र, लखनऊ, अमृत विचार: ठंड बढ़ने के साथ ही कोहरा गहराने लगा है। राजधानी ही नहीं सूबे के ज्यादातर ''हाइवे'', ''एनएच'' और ''फोरलेन'' दिन ढलते ही कोहरे के आगोश में समा जाते हैं। देर शाम तक धुंधलके की यह चादर इस कदर गहरा जाती है कि मार्गों पर दृश्यता (विजिबिल्टी) बहुत कम हो जाती है। ऐसे में रफ्तार भरने का जोखिम न उठाएं। वाहन की गति नियंत्रित कर लें और मार्ग पर लंबी दूरी तक दृश्यता स्पष्ट होने का इंतजार करें और तब गाड़ी को धीरे-धीरे आगे बढ़ाएं। मामूली लापरवाही आपके परिवार को न भूलने वाला ऐसा दंश दे जाती है जिसकी भरपाई संभव नहीं। बीते साल 2024 में कोहरे के दौरान 9,075 हादसों में 4,845 लोगों ने जान गंवाई थी। बीते तीन साल के आंकड़ों का अवलोकन करें तो ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में जब बहुत जरूरी हो तभी वाहनों से दूर का सफर करें।
कोहरे के करीब 45 दिन में औसतन प्रतिदिन होती हैं 107 मौत
सर्दी के सीजन में करीब डेढ़ माह यानी 45 दिन कोहरे का माना जाता है। इस लिहाज से अगर बीते वर्ष 2024 के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो धुंध में औसतन 107 मौतें रोज हुई हैं। जान पर भारी पड़ने वाले इन 45 दिनों में 4,845 मौत हुई हैं। जो भयावह तस्वीर पेश कर रही हैं।
वर्ष- 2022
मौसम -हादसे -मौत -गंभीर घायल
कोहरा -7,183 - 3,920 - 4,840
वर्ष-2023
कोहरा -8,191 - 4,408 - 3,671
वर्ष-2024
कोहरा- 9,075- 4,845- 4,677
वाहन चालक ध्यान दें...
-बहुत जरूरी हो तभी वाहन से सफर पर निकलें
-धीमी गति में वाहन चलाएं और लेन में ही रखें
-वाहन की हेडलाइट को लो-बीम पर ही जलाएं
-वाहनों के बीच में दूरी बनाकर गाड़ी आगे बढ़ाएं
-व्यवसायिक वाहन रेट्रो रिफ्लेक्टिव टेप अवश्य लगाएं
-फॉग लाइट और जलने-बुझने वाली डी-फॉगर का करें इस्तेमाल
-वाहन में वाइपर चालू रखें, विंड स्क्रीन और खिड़की के शीशों को साफ करते रहें
-वाहन मोड़ने से पहले कम से कम से दस से 15 सेकेंड के लिए इंडीकेटर का प्रयोग करें
-शून्य की स्थिति में पेंटेड लेन मार्किंग को पकड़ उसी के सहारे धीरे-धीरे वाहन को आगे बढ़ाएं
