विधानमंडल सत्र में बड़ा बदलाव: समितियों की बैठकों पर पूरी रोक, शासन ने जारी किए सख्त निर्देश
सदन की कार्यवाही के दौरान समितियों की बैठकों पर रहेगी रोक, विधानमंडल सत्र के दौरान नहीं होंगी सांसद-विधायक वाली समितियों की बैठकें
लखनऊ, अमृत विचार: प्रदेश में विधानमंडल सत्र के दौरान सदन की कार्यवाही को निर्बाध और प्रभावी बनाए रखने के उद्देश्य से सभी प्रशासनिक समितियों की बैठकों पर रोक रहेगी। संसदीय कार्य विभाग की ओर से जारी शासनादेश के अनुपालन के लिए मंडलायुक्तों और जिलाधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं।
प्रमुख सचिव जेपी सिंह-II की ओर से जारी शासनादेश में स्पष्ट किया गया है कि संसद या राज्य विधानमंडल के सत्र के दौरान मंडल, जिला अथवा अन्य स्तरों पर गठित ऐसी किसी भी समिति की बैठक आयोजित नहीं की जाएगी, जिनमें सांसद या विधायक सदस्य अथवा नामित सदस्य हों। शासनादेश में वर्ष 1998 में जारी पूर्व आदेश का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि यह व्यवस्था इसलिए लागू की गई है, ताकि विधायकों की विधायी जिम्मेदारियों में किसी प्रकार का व्यवधान न आए और वे सत्र की कार्यवाही में पूरी तरह सहभागी रह सकें। शासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि केवल विशेष परिस्थितियों में ही इस व्यवस्था से अपवाद संभव होगा और वह भी तब, जब लोकसभा, राज्यसभा अथवा राज्य विधानमंडल का सत्र लगातार तीन दिनों के लिए स्थगित हो।
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश विधानमंडल का तृतीय सत्र-2025, 19 दिसंबर से प्रारंभ हो रहा है। इसे ध्यान में रखते हुए शासन ने सभी मंडलायुक्तों और जिलाधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे अपने-अपने स्तर पर इस आदेश का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराएं। इसके लिए संबंधित विभागों, कार्यालयाध्यक्षों और अधिकारियों को प्राथमिकता के आधार पर आवश्यक निर्देश जारी करने को कहा गया है। शासनादेश की प्रतिलिपि सभी अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों, सचिवों, पुलिस महानिदेशक, विधानसभा एवं विधान परिषद सचिवालय सहित अन्य संबंधित अधिकारियों को भेज दी गई है। शासन ने स्पष्ट किया है कि आदेश के उल्लंघन की स्थिति में संबंधित स्तर पर जिम्मेदारी तय की जाएगी।
प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, इस व्यवस्था का उद्देश्य विधानमंडल सत्र के दौरान जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति और सक्रिय सहभागिता सुनिश्चित करना, साथ ही शासन-प्रशासन के कामकाज में स्पष्टता और समन्वय बनाए रखना है।
शासनादेश की मुख्य बातें
• विधानमंडल/संसद सत्र के दौरान समितियों की बैठकें नहीं होंगी
• सांसद या विधायक सदस्य वाली सभी प्रशासनिक समितियां दायरे में
• वर्ष 1998 के शासनादेश के प्रावधानों का हवाला
• केवल तब छूट, जब सत्र लगातार तीन दिन स्थगित हो
