शर्मनाक: साधु की हत्या में आरोपी साथी को आजीवन कारावास, परिजनों को मिलेगा मुआवजा
विधि संवाददाता, बरेली। मढ़ी पर रहने वाले साधु की गला दबाकर हत्या कर शव को कुंए में फेंकने के आरोपी साथी और मढ़ी पर रहने वाले अलीगंज परपरागंज निवासी चन्दन गिरि उर्फ चन्दरपाल कश्यप को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। अपर सत्र न्यायाधीश अविनाश कुमार सिंह ने आरोपी को दोषी पाते हुए 25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। जुर्माने की पूरी रकम मृतक के परिजनों को बतौर मुआवजा दी जाएगी।
सरकारी वकील हरेन्द्र राठौर ने बताया कि वादी मुकदमा थाना शाही औरंगाबाद निवासी रमेश चन्द्र दिवाकर ने थाना बहेड़ी में तहरीर देकर बताया था कि 17 फरवरी 2014 को अखबार पढ़ा और सूचना पर मैं पूरनलाल, विक्की दिवाकर, गंगाचरन गंगवार व दीपचन्द्र सक्सेना के साथ थाना बहेड़ी पर आया। वहां पर फोटो व कपड़ो की पोटली खोलकर हमें दिखाए तो फोटो व कपड़े देखकर हम सबने पहचाना कि यह कपड़े और फोटो मेरे बड़े भाई बाबूराम दिवाकर के हैं। बड़े भाई बाबूराम साधू हो गए थे, इसलिए वह अपना नाम बाबूराम गिरि लिखते थे और यही नाम उन्होंने अपने बांये हाथ पर गुदवाया हुआ था।
वह गांव में मढ़ी पर रहते थे, घर पर नहीं रहते थे और शादी भी नहीं की थी। गांव में 27/28 जनवरी 2014 को भंडारा हुआ, जिसमें यह मौजूद थे। इसके बाद इनके साथी चन्दन गिरि मढ़ी पर गांव में आए थे। चन्दन गिरि से उनका पुराना साथ था। पुलिस ने हत्या, साक्ष्य छिपाने की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर विवेचना में आरोपी चन्दन गिरि का नाम प्रकाश में लाया। विवेचना उपरांत आरोप पत्र कोर्ट भेजा था। मुल्जिम ने अदालत में विकलांग होने व बाबा होने पर रहम की गुहार लगायी। कोर्ट ने आजीवन कारावास का दण्डादेश सुनाया। अभियोजन ने 9 गवाह 12 सबूत कोर्ट में पेश किये।
मोबाइल की आईएमईआई ने खोला हत्या का राज
पुलिस ने मृतक बाबूराम गिरि के मोबाइल सेट की आईएमईआई रन करायी, जिससे एक मोबाइल नंबर का पता चला। इस नंबर के आधार पर पुलिस ने जांच शुरू की और आरोपी तक पहुंची। मोबाइल नंबर अनमोल अग्रवाल की नानी का था, जो खुर्रम गौटिया में रहती थीं। पुलिस ने जब उनसे बात की, तो पता चला कि उनके यहां काम करने वाला धर्मेन्द्र नाम का लड़का है, जिसने 12 फरवरी 2014 को मोबाइल सिम को चेक किया था। धर्मेन्द्र ने बताया कि उसने चन्दन गिरि उर्फ चन्दरपाल कश्यप के फोन में सिम डाला था। पुलिस ने चन्दन गिरि से फोन को बतौर सबूत कब्जे में लिया और आगे की जांच शुरू की। इस मामले में चन्दन गिरि को दोषी पाया गया और उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।
