Ramlila: वचनबद्ध तीन पीढ़ियों से कालरा परिवार कर रहा रामलीला का मंचन

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कानपुर, अमृत विचार। शहर में अलग-अलग जगह होने वाली रामलीला के मंचन के पीछे कोई न कोई कहानी जरूर छिपी है। ऐसे ही अनूठे रंगमंच को श्री रामलीला मित्र सोसायटी गोविंद नगर खुद में संजोये हुए है। जहां कालरा परिवार की वचनबद्ध तीन पीढ़ियां 70 सालों से रामलीला के मंच पर अभिनय कर रही हैं। …

कानपुर, अमृत विचार। शहर में अलग-अलग जगह होने वाली रामलीला के मंचन के पीछे कोई न कोई कहानी जरूर छिपी है। ऐसे ही अनूठे रंगमंच को श्री रामलीला मित्र सोसायटी गोविंद नगर खुद में संजोये हुए है। जहां कालरा परिवार की वचनबद्ध तीन पीढ़ियां 70 सालों से रामलीला के मंच पर अभिनय कर रही हैं। पिता के बाद बेटे और पौत्र रामलीला में किरदार निभा रहे हैं। परिवार का साथ कुछ अन्य सदस्य भी दे रहे हैं।

रामलीला का निर्देशन कर रहे गोविंद नगर निवासी नरेश कालरा ने बताया कि पिता होतू राम ने शहर में सन् 1949 में राम नाटक क्लब की शुरुआत की थी। जिसके बाद सन 1952 में श्री रामलीला मित्र सोसायटी का गठन हुआ। नरेश ने बताया कि पिता के निर्देशन में 4-5 साल की उम्र में उन्होंने रामलीला के मंच पर अभिनय शुरू कर दिया था। पिता ने मृत्यु से पहले वचन लिया था कि कुछ भी हो जाए रामलीला का मंचन बंद नहीं होना चाहिए। इसीलिए एक भाई को छोड़कर सभी पांच भाई राललीला में संचालन के साथ ही अलग-अलग किरदार निभा रहे हैं। नरेश ने बताया कि सभी भाइयों के पुत्र भी रामलीला में अपना योगदान दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि बेटा धीरज 11 साल की उम्र में रामलीला में अंगद, हनुमान का रोल अदा कर चुका है। लेकिन अब एमटेक करने के बाद उसकी मुंबई में जॉब लग लग गई है जिसके बाद वह मंचन से दूर हो गया है, बहू भी अफसर है।

रामलीला में बेटे
सुभाष कालरा, चंद्र कालरा, नरेश कालरा,हरीश कालरा, संजय कालरा

रामलीला में पौत्र
यश कालरा, हेमंत कालरा, हेमांग कालरा, कुणाल कालरा, अंकित कालरा, अंकुश कालरा

यह भी दे रहे निस्वार्थ योगदान
श्रीराम- विपिन ओबराय, लक्ष्मण- रवि गेरा, सीता- उदय भोला, भरत-विकास मल्होत्रा, शत्रुघन- अमित मल्होत्रा, रावण- सन्नी कपूर, कौशल्या- निपुण हांडा, कैकई- तरुण शर्मा, सुमित्रा- कार्तिक सिंह, दशरथ-संजय भंडारी

रामायण जोड़ना सिखाती है
नरेश ने कहा कि रामायण हमें जोड़ना सिखाती है। इसी वजह से हम सभी भाई 20 मीटर के दायरे में आज भी रहते हैं। उन्होंने बताया कि सभी कलाकार अपनी नौकरी व निजी व्यापार से छुट्टी के बाद रामलीला के मंचन में शामिल होते हैं। कोई भी अभिनय का पैसा नहीं लेता है। इस बार 67वां रामलीला का आयोजन किया जा रहा है। भावुक होते हुए संस्मरण बताया कि रामलीला के प्रति परिवार में ऐसा जुनून है कि एक बार एक पात्र के लिए कलाकार नहीं मिल रहा था तो बेटा मुंबई से फ्लाइट लेकर मंचन करने आ गया था।

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