चित्रकूट: रामा रामा रटते-रटते बीती रे उमरिया …मधुबनी की मैथिली ने मधुर राग छेड़ किया मंत्रमुग्ध

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चित्रकूट। मधुबनी (बिहार) गायिका मैथिली ठाकुर ने भारत रत्न नानाजी देशमुख की जयंती पर शरदोत्सव की पहली सांस्कृतिक संध्या में भक्तिरस की वो तान छेड़ी कि लोग भक्तिरस में डूब गया। अन्य कलाकारों ने भी अपनी प्रस्तुतियों से लोगों का भरपूर मनोरंजन किया। तेजी से ख्याति की सीढ़ियां चढ़ रहीं भजन गायिका मैथिली ठाकुर और …

चित्रकूट। मधुबनी (बिहार) गायिका मैथिली ठाकुर ने भारत रत्न नानाजी देशमुख की जयंती पर शरदोत्सव की पहली सांस्कृतिक संध्या में भक्तिरस की वो तान छेड़ी कि लोग भक्तिरस में डूब गया। अन्य कलाकारों ने भी अपनी प्रस्तुतियों से लोगों का भरपूर मनोरंजन किया।
तेजी से ख्याति की सीढ़ियां चढ़ रहीं भजन गायिका मैथिली ठाकुर और उनकी मंडली ने तीर्थक्षेत्र में भक्तिरस का समां बांध दिया।

रामा रामा रटते रटते, बीती रे उमरिया। रघुकुल नंदन कब आओगे, भिलनी की डगरिया… सुनकर देर तक लोग भक्तिभाव में डूबे बैठे रहे। मंत्रमुग्ध होकर कई लोग तो अपने स्थान पर खड़े हो गए। इसके अलावा ओ मईया तैने का ठानी मन में…, सजा दो घर को गुलशन सा, मेरे सरकार आए हैं….आदि भजनों के साथ हारमोनियम और तबले की जुगलबंदी ने पूरा माहौल मानो बदल दिया।

इनके अलावा भोपाल से आईं नृत्यांगना डॉ. लता सिंह मुंशी व उनकी साथियों ने भरतनाट्यम शैली में रामकथा का पुष्पांजलि शीर्षक से प्रस्तुतिकरण किया। ‘जाके प्रिय ना राम वैदेही…’ , ‘ठुमक चलत रामचंद्र बाजे पैजनियां….’ आदि भजनों पर आधारित नृत्य प्रस्तुतियां भी बढ़िया रहीं।

जीवन भर सीखना चाहती हूं
मैथिली ठाकुर ने पत्रकारों से बातचीत में पूरी जिंदगी सीखने की इच्छा जताई। कहा कि सुर और संगीत का क्षेत्र जीवन भर सीखने का है। बताया कि पिता रमेश ठाकुर ने ही शास्त्रीय संगीत की शिक्षा दी, वही उनके असली गुरु हैं। उधर, राष्ट्रऋषि नानाजी के 106 वें जन्मदिवस पर शरदपूर्णिमा की चांदनी में लोगों को दीनदयाल शोध संस्थान ने खीर का प्रसाद दिया।

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