भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय मत्स्य आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो में मनाया गया 'विश्व मृदा दिवस'
अमृत विचार लखनऊ। भोजन, वस्त्र, आश्रय, और दवाओं की बुनियादी मानवीय आवश्यकताओं के लिए मृदा अर्थात मिट्टी महत्वपूर्ण है। वैश्विक खाद्य उत्पादन का लगभग 95% मृदा पर निर्भर करता है जो आवश्यक पारिस्थितिकी तंत्र के कार्यों और समग्र कृषि विकास के लिए नींव का निर्माण करता है, इस प्रकार धरती पर जीवन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मिट्टी मुख्य रूप से खनिजों, कार्बनिक पदार्थों, तरल पदार्थों, गैसों और सूक्ष्मजीवों से बनी है जो सामूहिक रूप से जीवन की रक्षा करते हैं। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अपने 68वें सत्र में प्रत्येक वर्ष 5 दिसंबर को 'विश्व मृदा दिवस' के रूप में मनाने का निर्णय लिया ताकि दुनिया में जीवन को बनाए रखने में स्वस्थ मिट्टी के महत्व पर ध्यान केंद्रित किया जा सके और मृदा संसाधनों के स्थायी प्रबंधन की वकालत की जा सके। ये चर्चा सोमवार को राजधानी में स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय मत्स्य आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो में आयोजित 'विश्व मृदा दिवस' के मौके पर विशेषज्ञों ने की।
कृषि क्षेत्र में प्रशिक्षण देने का लक्ष्य निर्धारित
कार्यक्रम के मौके पर संस्थान के निदेशक डॉ. उत्तम कुमार सरकार ने कार्यक्रम में आए अतिथियों और अन्य प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि इस दिवस को मनाने का उद्देश्य किसानों को उनके कृषि क्षेत्रों में उर्वरकों और पोषक तत्वों के उपयोग के संबंध में मार्गदर्शन और प्रशिक्षण देना है। अब तक, अधिकांश किसान अधिकतम उत्पादन प्राप्त करने के लिए अपने खेतों में असंतुलित तरीके उर्वरकों का प्रयोग करते रहे हैं। किए गए अध्ययनों के अनुसार, यह पाया गया कि उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग से न केवल लागत में वृद्धि होती है बल्कि उत्पादकता में भी कमी आती है और मिट्टी की गुणवत्ता खराब होती है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में, सरकार ने उर्वरकों के प्रयोग से पहले मिट्टी की क्षमता की जांच करना आवश्यक समझा।
मिट्टी के पोषक तत्वों की स्थिति के निर्धारण की मिल रही मदद
निदेशक ने बताया कि सरकार द्वारा विगत वर्षों में शुरू किए गये मृदा स्वास्थ्य कार्ड कार्यक्रम से किसानों को उनके खेतों/तालाबों की मिट्टी में पोषक तत्वों की स्थिति का निर्धारण करने में मदद मिल रही है, और यह उन्हें उत्पादन प्रणालियों के अनुकूलन के लिए मिट्टी की आवश्यकता के अनुसार खाद और उर्वरकों का उपयोग करने के लिए मार्गदर्शन कर रहा है। डॉ. सरकार ने इस बात पर जोर दिया कि उच्च और स्वस्थ मछली उत्पादकता के लिए कृषि फसल के खेतों की तरह मछली के तालाबों की मिट्टी और पानी का भी परीक्षण किया जाना चाहिए। इसके विपरीत, जलीय कृषि तालाब में उर्वरकों के अधिक या कम उपयोग से अलाभकारी परिणाम सामने आते हैं।
