मुरादाबाद  : अवार्ड पाने की मंशा पर पानी फेर सकती है मानव संसाधन की कमी, पढ़ें पूरी खबर

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Published By Bhawna
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जनवरी में भ्रमण और निरीक्षण के लिए आएगी केंद्रीय गुणवत्ता नियंत्रण प्रबंधन की टीम, जिला अस्पताल प्रबंधन को मिलेंगे 15.40 लाख रुपये

जिला अस्पताल स्थित बर्न यूनिट और जिला अस्पताल स्थित ट्रामा सेंटर।

मुरादाबाद,अमृत विचार। जिला पुरुष अस्पताल में मानव संसाधन की कमी अवार्ड पाने की मंशा पर पानी न फेर दे।  इसके लिए अस्पताल प्रशासन मशक्कत कर रहा है। जनवरी में भ्रमण के लिए केंद्रीय गुणवत्ता नियंत्रण प्रबंधन की टीम के आने पर यदि मानक पर सब कुछ खरा रहा तो अस्पताल को 15.40 लाख रुपये तीन साल तक मिल सकता है। ऐसे में प्रबंधन सुविधाओं के साथ मानव संसाधन बढ़ाने में जुटा है। 

मंडल मुख्यालय के जिला अस्पताल में 187 बेड स्वीकृत हैं। हालांकि इस समय अस्पताल में क्रियाशील बेड की संख्या 220 है। इसमें ट्रामा सेंटर, एनआरसी और जिरियाट्रिक वार्ड में 10-10 बेड शामिल हैं। केंद्रीय टीम अपने निरीक्षण में इंफ्रास्ट्रक्चर, क्वालिटी, मानव संसाधन, मरीजों की संतुष्टि, इलाज प्रबंध आदि बिंदुओं की मानीटरिंग कर नंबर और ग्रेडिंग देगी।

हालांकि अस्पताल में बेहतर सुविधाओं के चलते कई बार कायाकल्प अवार्ड भी मिल चुका है। इससे बढ़े उत्साह के साथ चिकित्साधिकारी टीम के निरीक्षण की तैयारी में जुटे हैं। लेकिन सबसे बड़ी अड़चन अस्पताल में महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट ट्रामा सेंटर, बर्न एंड प्लास्टिक सर्जरी यूनिट में चिकित्साधिकारी, विशेषज्ञ चिकित्सक और अन्य स्टाफ की कमी है। अस्पताल में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की संख्या भी कम है। जिला अस्पताल के हास्पिटल मैनेजर रजनीश चौधरी का कहना है मानव संसाधन के साथ ही एमआरआई मशीन आदि के लिए कई बार पत्र लिखा गया है। जनवरी में केंद्रीय टीम निरीक्षण के लिए आएगी। इसके लिए तैयारी चल रही है। 

ट्रामा सेंटर में केवल दो ईएमओ
जिला अस्पताल परिसर में गंभीर मरीजों और दुर्घटना के गंभीर घायलों को त्वरित और प्रभावी इलाज एक छत के नीचे देने के लिए ट्रामा सेंटर भवन बना है। इस भवन में सुविधाएं पूरी तरह क्रियाशील नहीं हुई हैं। दो वर्ष तक तो एक भी ईएमओ और अन्य स्टाफ की तैनाती शासन स्तर से नहीं हुई, जिससे इसमें 24 घंटे सातों दिन चिकित्सा सेवा दी जा सके। अब यहां तीन ईएमओ की बजाय दो की तैनाती हुई है। लेकिन अन्य कर्मचारियों की कमी है। हां यह जरूर है कि अस्पताल प्रशासन इस यूनिट में आपातकालीन वार्ड के मरीजों को अब भर्ती करा रहा है। उनका इलाज ईएमओ कर रहे हैं। 

प्लास्टिक सर्जन न होने से भवन निष्प्रोज्य 
परिसर में 199 लाख रुपये की लागत से प्लास्टिक एंड बर्न सर्जरी भवन बना है। इसका लोकार्पण भी मुख्यमंत्री ने करीब दो साल पहले कर दिया है। प्लास्टिक सर्जन और अन्य चिकित्सीय स्टाफ की तैनाती नहीं होने से यह भवन किसी काम का नहीं है। हालांकि बेड आदि डाल दिए गए हैं। वहीं इसके अलावा एमआरआई भवन भी दिखावा साबित हो रहा है। कई साल से इसमें एमआरआई मशीन आने का इंतजार है।

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