Augmented reality भविष्य की टेक्नोलॉजी, बिना छुए इस्तेमाल करें अपना स्मार्ट फोन
मुम्बई। क्या आप एक ऐसे भविष्य की कल्पना कर सकते हैं। जहां कंप्यूटर निर्मित ग्राफिक या किसी यूजर इंटरफेस को वर्चुअल रियलिटी (आभासी वास्तविकता) में अपनी आंखों के सामने देख सकते हैं।
अगर इसे दूसरे शब्दों में कहा जाए तो अगर आप Amazon या Flipcart जैसी ई-कॉमर्स साइट से कोई प्रोडक्ट खरीदते हैं तो वहां आपको एक बायनाउ के बटन पर क्लिक करना पड़ता है। जिसके बाद आप उस प्रोडक्ट को बुक कर पाते हैं।

मैं आपसे कहूं कि वही Buy Now का बटन बिना किसी डिवाइस इस्तेमाल किए वर्चुअलई आपकी आंखों के सामने आए और आप हाथ के इशारे से उस पर क्लिक कर सकें।
जी हां दोस्तों इसी को हम ऑगमेंटेड रियलिट कहते हैं। आज एप्पल, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट जैसी कई बड़ी कंपनियां इस पर रिसर्च और आरएंडी में लगी है।
ऑगमेंटेड रियलिट और वर्चुअल रियलिटी मे बस थोड़ा सा ही अंतर है। वर्चुअल रियलिटी मैं हम एक डिवाइस की मदद से वह इमेज या ग्राफिक या कोई प्रोग्राम देख सकते हैं जो कि पहले से ही उस डिवाइस में स्टोर है पर एआर में बिना किसी डिवाइस के ही किसी चीज का थ्री डायमेंशनल इमेज हमारे सामने उपस्थित होता है।
एआर को हम वीआर का अपडेट वर्जन कह सकते हैं ऑगमेंटेड रियलिटी में आपके आसपास के वातावरण से मेल खाता हुआ एक कंप्यूटर जनित वातावरण तैयार किया जाता हैं। ऑगमेंटेड रियलिटी के काम करने का तरीक तीन चीज़ों पर निर्भर करता है।

मोशन ट्रैकिंग – आप जब अपने फ़ोन का कैमरा चालू करते है तो कमरे के साथ गयरोस्कोप भी चालू रहता है। गयरोस्कोपे एक सेंसर होता है जो अमूमन हर फ़ोन में होता है। ये गयरोस्कोपे आप के फ़ोन की स्तिथि देख कर आपकी पोजीशन और आपका फ़ोन कितनी डिग्री पर झुका है ये सब जान लेता है। इससे ऑगमेंटेड रियलिटी को मोशन ट्रैकिंग में सहयता मिलती है।
लाइट एस्टिमेशन – आपके डिवाइस के सेंसर आस पास की मौजूद लाइट को माप लेता है। इससे वो ऑगमेंटेड रियलिटी के आकारों की परछाई भी बना लेता है। इससे ऑगमेंटेड रियलिटी के किरदार बिकुल असली जैसे ही लगते हैं।
फ्लैट सरफेस – वातावरण में फ्लैट सरफेस ढूंढ़ने के बाद ही ऑगमेंटेड रियलिटी आपने काम कर पाती है। अगर आप उबड़ खाबड़ जगह में इसका उपयोग करने की कोशिश करेंगे तो आप नाकाम रहेंगे। इसको फ्लैट सरफेस की जरुरत होती है ताकि वह अपना मॉडल स्थापित कर पाए और आपके साथ इंटरेक्शन कर पाए।
यह भी पढ़ें: Curved display के साथ Realme ने भारत में लॉन्च किए दो स्मार्टफोन्स, जानें फीचर्स-कीमत
यानी ए आर वास्तविक और वर्चुअल दुनिया का मिश्रण है एआर हमारी नजर में आने वाली दुनिया में ही कोई जानकारी या ग्राफिक दिखाता है और हम एक अलग ही दुनिया में पहुंच जाते हैं।

इसका इस्तेमाल करने के लिए कई तरह के डिवाइस इस मौजूद है जैसे एआर ग्लास जिसे पहन कर सब कुछ सामान्य रूप से ही दिखता है पर एक बटन दबाते ही ग्राफिक्स के साथ कहीं की भी जानकारी आपकी आंखों के सामने आ जाती है।

एआर का इस्तेमाल सिर्फ पर्सनल यूज के लिए ही नहीं बल्कि प्रशिक्षण देने के लिए भी किया जाता है। इसका सबसे अच्छा उदाहरण एयरप्लेन सिम्युलेटर को कह सकते हैं।
जिसका इस्तेमाल एयरप्लेन यहां फ्लाइट के पायलेटस को प्रशिक्षण देने के लिए किया जाता है इसमें पायलेट के लिए कॉकपिट की नकल की जाती है।
जहां एक स्क्रीन कुछ सेंसर और साउंड इफेक्ट की मदद से एक असली एनवायरनमेंट बनाया जाता है और पायलट को परिस्थितियों से निपटने की ट्रेनिंग दी जाती है।
जो उसे प्लेन उड़ाते समय काम आ सकती हैं सिर्फ यही नहीं और भी कई डिवाइस, एप्लीकेशन है जो कि इसी टेक्नोलॉजी से प्रेरित होकर बनाई गई है जैसे गूगल लेंस पोकीमॉन गो गेम अन्य और उम्मीद है जल्द ही यह टेक्नोलॉजी पूरी तरह विकसित होकर मार्केट में आएगी और सब इसका इस्तेमाल कर पाएंगे।
यह भी पढ़ें: Elon Musk धीरे से देंगे जोर का झटका, उड़ा देंगे 1.5 Billion Twitter Accounts
