Nirmal Verma: निर्मल वर्मा की कहानी 'कव्वे और काला पानी' से चुनिंदा कोट्स
ज्योंही कोई व्यक्ति हमें छोड़कर चला जाता है, हम उसे अतीत में फेंक कर बदला चुका लेते हैं। बिना यह जाने कि वह अब भी मौजूद है, जीवित है अपने वर्तमान में जी रहा है लेकिन हमारे समय से बाहर है।
(कव्वे और काला पानी - निर्मल वर्मा)
हम रात उसी के साथ बिताते हैं जो बहुत आत्मीय हो या बिल्कुल अजनबी।
(कव्वे और काला पानी - निर्मल वर्मा)
कुछ सत्य बिल्कुल अनावश्यक होते हैं, उन्हें कहने न कहने से कोई अंतर नहीं पड़ता
(कव्वे और काला पानी - निर्मल वर्मा)
सब दुनियाएं धरती पर अलग-अलग बिखरी हैं - दिखती पास पास हैं। किंतु असल में एक-दूसरे से लाखों किलोमीटर दूर हैं। क्या इनका आपस में कोई संबंध नहीं। यह विचार ही मुझे भयंकर जा पड़ा।
(कव्वे और काला पानी - निर्मल वर्मा)
