शिक्षक भर्ती घोटाला : कोर्ट का पश्चिम बंगाल की याचिका पर विचार करने से इनकार
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को पश्चिम बंगाल सरकार की एक याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई थी। उच्च न्यायालय ने शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी), 2014 के आधार पर प्राथमिक विद्यालयों में सहायक शिक्षकों की भर्ती में कथित अनियमितताओं को लेकर दायर याचिका की पोषणीयता पर राज्य की प्रारंभिक आपत्ति को खारिज कर दिया था।
ये भी पढ़ें - तमिलनाडु सरकार की पूरे देश के लिए आदर्श होगी ‘मुख्यमंत्री नाश्ता योजना’ : राज्यपाल
इस फैसले के खिलाफ प्रदेश सरकार ने उच्चतम न्यायालय में अपील की थी। उच्च न्यायालय में याचिका में आरोप लगाया गया है कि टीईटी 2014 में 42,897 उम्मीदवारों का चयन किया गया था लेकिन लिखित परीक्षा या साक्षात्कार में प्राप्त अंकों का खुलासा करने वाली कोई मेधा सूची प्रकाशित नहीं की गई थी और न ही आरक्षित श्रेणी-वार सूची प्रकाशित नहीं की गई थी।
न्यायमूर्ति एस.के. कौल और न्यायमूर्ति ए.एस. ओका की पीठ ने कहा कि वह उच्च न्यायालय के पिछले साल 12 जुलाई के आदेश के खिलाफ पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका पर विचार नहीं करेगी। पीठ ने कहा कि राज्य उच्च न्यायालय के समक्ष अपना बचाव करने के लिए स्वतंत्र है। उच्च न्यायालय के समक्ष, राज्य ने इस आधार पर याचिका की पोषणीयता पर प्रारंभिक आपत्ति उठाई थी कि यह मामला 2016-17 की भर्ती प्रक्रिया से संबंधित है और जनहित याचिका (पीआईएल) दाखिल करने में देरी हुई थी।
राज्य की ओर से पेश वकील ने शीर्ष अदालत में तर्क दिया कि एक सेवा मामले में जनहित याचिका सुनवाई योग्य नहीं थी और यह टीईटी के आठ साल बाद दायर की गई है। उन्होंने तर्क दिया कि इस मुद्दे पर एक अन्य जनहित याचिका को पहले उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था।
पीठ ने कहा, ‘‘हम इस एसएलपी (विशेष अनुमति याचिका) पर विचार नहीं करना चाहेंगे... राज्य के लिए वहां (उच्च न्यायालय में) इसका बचाव करने का रास्ता खुला है। कहने की आवश्यकता नहीं है कि विधि के सभी प्रश्नों का जवाब नहीं दिया गया है।’’
ये भी पढ़ें - कश्मीर के पहले ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता रचनाकार रहमान राही का निधन, मनोज सिन्हा ने कहा- उनकी मृत्यु से ‘एक युग का अंत’
