मुरादाबाद : सर्दी के मौसम में Old Monk के दीवाने परेशान, जानिए क्या है वजह

मुरादाबाद : सर्दी के मौसम में Old Monk के दीवाने परेशान, जानिए क्या है वजह

आशुतोष मिश्र/ मुरादाबाद, अमृत विचार। ओल्ड मॉन्क रम यानी नाम अंग्रेजी। जिसका असर शब्दो में बांधना मुश्किल है। 168 साल पहले इसने भारत में दस्तक दी थी। तब अंग्रेजी सेना के जवानों के लिए इसकी खोज की गयी। दो सदी से इसका जादू भारतीय शौकीनों के सिर चढ़ कर बोल रहा है। अब दुनिया के बड़े और सभी समृद्ध देशों में इसकी मांग और आपूर्ति है। इसके चाहने वालों को कोई दूसरी शराब नहीं जंचती। यानी की यह ब्रांड लोगों को अपना दीवाना बनाने में सदियों से सफल है। मगर, मंडल में इसके चाहने वाले उदास हैं। ठंड में इसकी चाहत को पंख लग जाते हैं। कहते हैं कि उत्तर भारत में इसको पसंद करने वालों को मौसम का इंतजार रहता है। मगर, मंडल में इसकी उपलब्धता में दिक्कतों ने घर कर लिया है। या यूं कहें कि बाजार में इसकी कमी दिखाकर विक्रेता और दुकानदार शौकीनों को दूसरी ब्रांड परोस रहे हैं। जिन्हें ओल्ड मॉन्क मिल रही है उनसे अधिक कीमत वसूली जा रही है। 

कसौली से उत्पादन शुरू
ओल्ड मॉन्क रम की शुरुआत सन 1855 के आसपास हिमाचल प्रदेश के कसौली से हुई थी। यहां पर एडवर्ड अब्राहम डायर नामक एक बिजनेसमैन ने एक ब्रेवरीज की स्‍थापना की थी। इसका उद्देश्य ब्रिटिश फौज को सस्ती बीयर आपूर्ति करना था। निर्माता के बेटे रेनिगाल्‍ड एडवर्ड हैरी डायर ब्रिटिश फौज में कर्नल थे। कसौली में बनी इस ब्रेवरीज ने पूरी इंडस्‍ट्री को बदलकर रख दिया। बाद में इसे साल 1954 में लॉन्च किया गया था। इसे बनाने वाले कपिल मोहन एक भारतीय थे और भारतीय सेना से ब्रिगेडियर पद से रिटायर होने के बाद अपने पिता की कंपनी चलाना शुरू किया था। साल 2010 में उन्हें पद्मश्री सम्मान से भी नवाजा गया। वैसे तो इस कंपनी की नींव 1855 में पड़ी थी। इसे स्कॉटलैंड के रहने वाले जनरल डायर के पिता एडवर्ड अब्राहम डायर ने हिमाचल प्रदेश के कसौली में शुरू किया था। साल 1949 में कपिल के पिता एनएन मोहन ने डायर की इस कंपनी को खरीद लिया था। इसके बाद साल 1966 में इस कंपनी का नाम बदलकर ‘मोहन मीकिन ब्रेवरीज’ रखा गया था और कपिल मोहन इसके चेयरमैन बने थे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यह ब्रॉन्ड लोगों में प्रसिद्ध हो गया। जिसके बाद इसका उत्पादन कई शहरों सहित अन्य देशों में होने लगा। इसके कई दीवाने तो इसे हर दिन की दवा के नाम से भी जानते हैं।

संभल
कड़ाके की सर्दी में रम की बिक्री में तेजी आई है। सबसे अधिक पंसद का ब्रांड (ओल्ड मॉन्क) शराब की दुकानों से गायब हो गया है। इसे मांगने वाले को कॉन्टेसा, बकार्डी जैसे ब्रांड के रम थमाए जा रहे हैं। कारोबार से जुड़े लोगों का कहना है कि अचानक ज्यादा मांग की वजह से ओल्ड मॉन्क का स्टाक शार्ट हो गया था। जनपद में देसी शराब की126, अंग्रेजी 27 और बीयर की 26 दुकानें हैं। दिसंबर माह में देसी की खपत 4.50 लाख लीटर थी।

बिजनौर 
ओल्ड मॉन्क रम मिलना मुश्किल हो रहा है। ठंड के मौसम में दुकानों में इसकी कमी है। जनवरी माह में अधिक होती है। आबकारी निरीक्षक धामपुर उपेंद्र कुमार शुक्ला ने बताया कि ठंड के चलते इस ब्रांड की मांग बढ़ जाती है। लेकिन प्रतिदिन आपूर्ति हो रही है।

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यह है ओल्ड मॉन्क ब्रांड की शराब का इतिहास
देश-दुनिया में शराब के शौकीनों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। देश में भी बड़ी संख्या में लोग शराब पीते हैं। जिसमें देश की सबसे पुरानी रम (ओल्ड मॉन्क) है। इस ब्रांड की 50 देशों में खपत है। सदी से भारतीयों पर इसका जादू सिर चढ़कर बोल रहा है। देश में हर साल इस ब्रांड के करीब 80 लाख बॉटल्‍स बिकते हैं। यह आंकड़ा साल 2002 से लगातार बढ़ रहा है। चलिए, बताते हैं इसमें ऐसा क्या खास है, जिससे लोग इसे इतना पसंद करते हैं। 

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