...तो पीलीभीत के बर्तन व्यापारी ने कबाड़ी को बेच दिया रेलवे का लोहा, जानिए पूरा मामला

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Published By Vikas Babu
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जिस व्यापारी का उछला नाम, वह बोला- लोहा तो बेचा मगर सरकारी नहीं

प्रतीकात्मक फोटो

पीलीभीत, अमृत विचार। दो दिन पहले शहर के एक बर्तन व्यापारी के छोटे भाई द्वारा नाबालिग कारीगर को गुमराह करते हुए बेचे गए लोहे का मामला रविवार को गर्मा गया। बाजार में बेचे गए लोहे के रेलवे से जुड़ा होने का शोर मचा रहा। इसे लेकर जब व्यापारी नेताओ की ओर से पड़ताल की गई तो वह खुद भी इन चर्चाओं को सही करार दे गए लेकिन कोई शिकायत न होने की वजह से मामला आसानी से दबता चला गया। उधर जिस व्यापारी का नाम उछलता रहा वह यह कहकर बचाव कर गया कि उसने लोहा तो बेचा मगर वह विवादित संपत्ति से ज्यादा निजी था और यह सिविल मेटर है। फिलहाल इस मामले में तस्वीर अभी भी पूरी तरह से साफ नहीं हो सकी है। 

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घटना शुक्रवार की है। बताते हैं कि वार्ड नंबर दो के रहने वाले एक व्यक्ति का नाबालिग पुत्र बर्तन की दुकान पर काम करता है। उसके अनुसार व्यापारी के गोदाम पर सरकारी लोहा रखा हुआ था। एक दिन पहले व्यापारी के भाई ने गोदाम से लोहा निकालकर किशोर को तौल कराने के लिए भेज दिया। चूंकि वह दुकान पर काम करता था तो व्यापारी के भाई का कहना मानते हुए चुपचाप चला गया।

व्यापारी के भाई ने यह बात किसी को बताने से मना कर दिया था। सामने की दुकान पर आने वाले एक कबाड़ी के हाथों इस लोहे की बिक्री की गई। लोहा पांच कुंतल से अधिक था, जिसका भुगतान करीब 20 हजार रुपये दो बार में होना बताना गया।  शुक्रवार दोपहर को व्यापारी को इसकी जानकारी हो गई। उसके बाद व्यापारी ने नौकर को थप्पड़ जड़ दिए, जबकि लोहा उसके ही भाई न बिकवाया था। किशोर (कर्मचारी) रोते हुए घर पहुंचा और पूरी बात बताई।

उसके बाद परिवार वाले दुकान पर पहुंच गए। इसे लेकर सवाल जवाब किए गए। फिर कुछ देर तक हंगामा चलता रहा। दोनों पक्षों के बीच बातचीत चलती रही और सुलह हो गई थी। दो दिन बाद अब इस मामले में नया मोड़ आया। प्रकरण की चर्चा बाजार में फैल गई और फिर रेलवे का लोहा बेचे जाने का शोर मच गया। एक बर्तन व्यापारी का नाम इसमें चर्चित रहा। व्यापारी नेता भी इसकी हामी भरते रहे। 

पहले नकारा, फिर निजी बताकर टाला
इस प्रकरण में एक व्यापारी का नाम चर्चित हो रहा था। इसमें पहले दुकान संचालक के वरिष्ठ संचालक से बात की गई तो उनका कहना था कि उनके यहां लोहे का काम नहीं होता। फिर जब उनके एक अन्य रिश्तेदार जोकि उसी दुकान पर बैठते थे तो उनका कहना था कि लोहा रेलवे का नहीं है। उनकी एक विवादित संपत्ति है, उसी का लोहा था। इसमें सिविल मेटर है। 

व्यापारी नेता बोले-  बात तो सही पता लग रही
इस मामले में रविवार को शोर बड़ने के बाद तमाम व्यापारी नेता भी सत्यता का पता लगाने में जुट रहे। एक ने तो यह कहा कि जिसका नाम आ रहा है, वह तो इसी तरह का काम करता रहता है। दूसरे ने बताया कि कुछ व्यापारियो से पता किया है। इसमें रेलवे का लोहा बेचने की बात ही पता लग रही है। इन तमाम चर्चाओ के बाद एक बड़े घपले की ओर इशारा जाता रहा। फिलहाल व्यापारी नेता भी इसे लेकर अब सच का पता लगाने में जुट गए है।

फिलहाल अभी इस तरह का कोई मामला अभी तक संज्ञान में नहीं आया है। लेकिन एक अन्य मीडियाकर्मी द्वारा भी इसे लेकर पूछा गया है। अगर, रेलवे का लोहा बेचा गया है तो सोमवार को टीम भेज प्रतिष्ठान पर छापा मारा जाएगा। दोषी पाए जाने पर कड़ी कर्रवाई की जाएगी। बरखेड़ा में भी इस तरह का मामला सामने आया था। जिस पर कड़ी कार्रवाई की गई--- शहनवाज हुसैन, थानाध्यक्ष, आरपीएफ।

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