रामनगर: झोला छाप डॉक्टर से इलाज कराना पड़ा महंगा, हुई किशोरी की मौत                    

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Published By Bhupesh Kanaujia
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रामनगर, अमृत विचार। पीरुमदारा में पीलिया के लिए उपचार के दौरान एक नाबालिग किशोरी की मौत हो गई। बताया जाता है कि किशोरी का पीरूमदारा बाजार में स्थित एक बंगाली डॉक्टर के यहां उपचार चल रहा था।  

किशोरी की मौत के बाद बंगाली क्लीनिक में मृतका के परिजनों ने हंगामा काटना शुरू किया तभी क्लीनिक में तोड़फोड़ की आशंका को देखते हुए पुलिस ने क्लीनिक में ताला लगाकर किसी तरह भीड़ को शांत करते हुए शव को पोस्टमार्टम के लिए रामनगर भेज दिया गया है।

बताया जाता है कि भगतपुर तड़ियाल निवासी सोलह वर्षीय दीपिका नेगी उपचार के लिए दो दिन पूर्व उपचार के लिए बंगाली क्लीनिक पर आई थी। वहीं उसका उपचार चल रहा था। बीते दिवस भी बंगाली डॉक्टर को दिखाया गया।आरोप है कि उसने फोड़े फुंसी होने की बात कहते हुए ई इंजेक्शन लगा दिया जिससे उसकी हालत बिगड़ गयी।  हालत में सुधार न होने की वजह से उसे पीरूमदारा प्राथमिक केंद्र में दिखाने के बाद काशीपुर ले गए जहां चिकित्सको ने दीपिका को मृत घोषित कर दिया।

परिजनों का आरोप है बंगाली डॉक्टर ने उनकी बच्ची को  गलत इंजेक्शन लगाया जिससे उसकी मौत हो गयी। क्षेत्र के कई लोगो का आरोप है कि यहां कठिया पुल संपर्क मार्ग स्थित मुख्य बाजार  में हरिशंकर सरकार नाम से बंगाली क्लीनिक है। आरोप है कि बंगाली क्लीनिक के डॉक्टर के पास कोई डिग्री नहीं है।

वह  झोलाछाप चिकित्सक है। उसके गलत  गलत उपचार से एक किशोरी की मौत हो गयी। किशोरी की मौत के बाद बंगाली क्लीनिक पर मृतका के परिजनों एवम स्थानीय कई लोगो ने हंगामा काटते हुए मामले की जांच कर दोषी चिकत्सक के खिलाफ कार्यवाही की मांग की है।

हंगामा बढ़ते देख मोके पर पहुंचे चौकी इंचार्ज राजेश जोशी ने क्लिनिक पर ताला जड़ दिया। साथ ही शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। चौकी इंचार्ज जोशी ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद किशोरी की मौत का पता चलेगा। मृतका के परिजनों द्वारा अभी रिपोर्ट दर्ज नही कराई गई है।

उनकी प्राथमिकी के बाद ही मुकदमा दर्ज किया जायेगा। समाचार लिखे जाने तक सम्बंधित डॉक्टर मोके से नदारद था। पोस्टमार्टम के उपरांत मृतका के परिजनों द्वारा पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई जाएगी।


 कई बार क्लीनिक में लगे ताले
 लोगों का कहना है कि तथाकथित डॉक्टर के  खिलाफ पूर्व में भी कई बार विभागीय जांच हुई है । बंगाली क्लीनिक पर ताले भी लगाए गए मगर हर बार  उसके खिलाफ जांच को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। लोगों ने चिकत्सक की वास्तविक डिग्री की भी जांच किए जाने की है।

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