Earthquake : दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के तेज झटके कई सेकेंड तक महसूस किए गए, उत्तराखंड में भी हिली धरती
नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर में मंगलवार दोपहर करीब 2.28 बजे भूकंप के तेज झटके करीब 30 सेकेंड तक महसूस किए गए। भूकंप का केंद्र नेपाल के कालिका से 12 किलोमीटर दूर था। इसका असर नेपाल, भारत और चीन तक पड़ा। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक, नेपाल में आज दोपहर 2:28 बजे रिक्टर पैमाने पर 5.8 तीव्रता का भूकंप आया।
बताया जा रहा है कि भूकंप के झटके उत्तराखंड, यूपी समेत अन्य राज्यों में महसूस किए गए। भूकंप के झटके महसूस होते ही लोग बाहर निकल गए। फिलहाल अभी तक किसी भी नुकसान की सूचना नहीं है। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून, पिथौरागढ़ और अल्मोड़ा में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए।
बता दें कि इसके पहले 5 जनवरी को भी अफगानिस्तान में 5.9 की तीव्रता का भूकंप आया था और दिल्ली तथा आसपास के क्षेत्रों में भी इसके झटके महसूस किये गये थे। यह भूकंप अफगानिस्तान के हिंदूकुश इलाके में आया था। इस भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान के फायजाबाद के 79 किलोमीटर दक्षिण में 200 किलोमीटर की गहराई में था। राहत की बात यह रही कि भूकंप में किसी बड़े नुकसान की खबर नहीं आई थी।
नेपाल में पिछले महीने आया था भूकंप
इससे पहले नेपाल के अलग-अलग इलाकों में 28 दिसंबर को भूकंप के 3 झटके महसूस किए गए थे। राष्ट्रीय भूकंप निगरानी और अनुसंधान केंद्र के मुताबिक बागलुं जिले में 2 घंटे 5 मिनट के अंतराल में भूकंप के 3 झटके महसूस किए गए थे। बता दें कि 25 अप्रैल 2015 को नेपाल के गोरखा जिले में 7.8 तीव्रता का भूकंप आया था जिसमें 9 हजार लोगों की मौत हुई थी और करीब 50 हजार घरों को नुकसान पहुंचा था।
दिल्ली में नए साल के दिन भी आया था भूकंप
भूकंप दिल्ली में नए साल के पहले दिन यानी रविवार देर रात भी आया था। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र ने बताया कि देर रात 1:19 बजे 3.8 तीव्रता का भूकंप आया था। इसका केंद्र हरियाणा के झज्जर में था। इसकी गहराई जमीन से 5 किमी नीचे थी। हालांकि इसमें कोई नुकसान नहीं हुआ था।
भूकंप क्यों आता है ?
भूकंप आने की वजह को लेकर कहा जाता है कि पृथ्वी के अंदर 7 प्लेट्स होती हैं, जो लगातार घूमती रहती हैं। ऐसे में जहां प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है। बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ जाते हैं। जब इन पर ज्यादा दबाव बनता है तो यही प्लेट्स टूटने लगती हैं। ऐसे में नीचे की ऊर्जा बाहर आने का रास्ता तलाशती है। इस डिस्टर्बेंस के कारण भूकंप आता है। इन्हें टेक्टॉनिक प्लेट कहते हैं। इसके कारण भूकंप के अलावा ज्वालामुखी विस्फोट की आशंका भी रहती है। मालूम हो कि प्रशांत महासगरीय क्षेत्र के अलावा हिंद महासगर के कुछ क्षेत्र भूकंप के लिहाज से काफी संवेदनशील माने जाते हैं।
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