लखीमपुर-खीरी: तीन महीने रेकी के बाद अंतरराज्यीय गैंग ने बैंक में की थी चोरी, तीन गिरफ्तार

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Published By Moazzam Beg
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लखीमपुर-खीरी, अमृत विचार। सदर कोतवाली पुलिस ने जिला सहकारी बैंक शाखा में 32 लाख रुपये की चोरी का बुधवार को खुलासा कर दिया है। पुलिस ने पेशेवर अंतरराज्यीय गैंग के महाराष्ट्र निवासी मास्टर माइंड समेत तीन लोगों को गिरफ्तार कर चार लाख पांच हजार रुपये और चोरी में प्रयुक्त किया गया सामान बरामद किया है। एसपी के मुताबिक गैंग सिर्फ जिला सहकारी बैंकों को ही निशाना बनाता था अंतरराज्यीय गैंग ने अक्टूबर महीने में लखीमपुर आकर बैंक की रेकी की थी। पुलिस घटना में शामिल अन्य लोगों की भी तलाश कर रही है।

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एसपी गणेश प्रसाद साहा ने घटना का खुलासा करते हुए बताया कि 13 जनवरी 23 की रात चोर लखीमपुर शहर की मंडी समिति राजापुर में स्थित जिला सहकारी बैंक शाखा में घुस गए थे और गैस कटर से लॉकर काटकर 32 लाख पांच हजार 30 रुपये चोरी कर ले गए थे। सदर कोतवाली पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर सर्विलांस और क्राइम ब्रांच की टीम के सहयोग से गडरुआ माइनर पुलिया के पास एक संदिग्ध कार को रोककर तलाशी ली और उसमें बैठे महाराष्ट्र के मोरशी अमरावती निवासी सुरेश उमक उर्फ सागर देशमुख, प्रतापगढ़ के देवकली करनपुर निवासी तुषार कुमार और हरिप्रसाद को पकड़ लिया। 

पुलिस ने जब तीनों से कड़ाई से पूछताछ की तो आरोपियों ने बताया कि हम लोग मिलकर बैंकों की रैकी करते हैं और उसके बाद जो बैंक एकांत में मिलती हैं उसी बैंक में मौका पाकर चोरी तब करते हैं जब दो या तीन दिन के लिए बैंक बंद होती है। पुलिस ने तलाशी के दौरान गाड़ी की डिग्गी में रखा गैस कटर समेत अन्य उपकरण भी बरामद किए। एसपी ने बताया कि पकड़ा गया गैंग पेशेवर गैंग है। गैंग का लीडर सुरेश उमक है। यह गैंग सिर्फ जिला सहकारी बैंक की शाखाओं को ही निशाना बनाकर घटना को अंजाम देता है। 

उन्होंने बताया कि घटना के बाद पुलिस को बैंक के बाहर वायर कटर का रेपर, नीली और काली प्लास्टिक की कैप और एक पर्स मिली थी, जिस पर मोबाइल नंबर भी पड़ा था। बैंक के सीसीटीवी कैमरे में दो लोगों की फुटेज भी कैद हुई थी। पुलिस ने फुटेज के आधार पर लोहे की दुकानों पर वेल्डिंग आदि का काम करने वाले लोगों की भी जांच की। साथ ही शहर में लगे अन्य सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली तो गोविंद डेयरी के पास लगे कैमरे में दिख रहे दो दो लोग पहलवान ट्रेडर्स की दुकान पर जाते दिखाई दिए। 

पुलिस टीम ने जब दुकानदार से पूछताछ की तो उसने दोनों युवकों की शिनाख्त कर वायर कटर ले जाने की बात स्वीकार की। उसने पुलिस को बताया कि एक युवक की भाषा दूसरे प्रदेश की थी। जिस पर पुलिस ने जांच का दायरा बढ़ाया और सीसीटीवी फुटेज के आधार पर शहर के एक होटल में पहुंची। जहां पुलिस ने जब जांच की तो इस बात की पुष्टि हुई सुरेश उमक, तुषार और हरिप्रसाद होटल में ठहरे थे। यहां पर हरिप्रसाद और तुषार की आईडी लगी थी। मोबाइल नंबर भी सही दर्ज था। यहीं से सीसीटीवी कैमरे की मदद से पुलिस को एसेंट कार का कार का नंबर मिला। कार का नंबर महाराष्ट्र का था।  

पुलिस ने कार के नंबर की जांच की तो वह अमरावती (महाराष्ट्र) की एक स्कूटी का निकला। इसके बाद से कड़ियां जुड़ती गई और पुलिस शातिर गैंग तक पहुंच गई। एसपी ने बताया कि पूछताछ में आरोपियों ने पुलिस को बताया कि वह पहले एक टीम को भेजकर रेकी कराते हैं। उसके बाद आकर अपने साथियों के साथ घटना को अंजाम देते हैं। अक्टूबर में मास्टर माइंड सुरेश उमक ने अपनी दूसरी टीम को भेजकर बैंक शाखा की रेकी करवाई थी।

पुलिस को आशंका है कि इस रेकी करने में स्थानीय अपराधियों का भी कनेक्शन हैं। पुलिस स्थानीय अपराधी कौन है। इसका उसे अभी तक पता नहीं चल सका है। एसपी का कहना है कि रेकी करने आने वाली टीम के सदस्यों के पकड़े जाने पर ही इसका खुलासा हो सकेगा। पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से घटना में प्रयुक्त एक वायर कटर, प्लास, गैस पाइप, चाकू कटर, दो स्क्रू ड्राइवर, दो नंबर प्लेट, एक टार्च, लोहा आरी ब्लेट, पाइप क्लिप, स्क्रू रिंच बरामद किया है।  

गैस कटर से काटते समय जल गए थे लाखों रुपये
एसपी गणेश प्रसाद साहा ने बताया कि बैंक की खिड़की उखाड़कर घुसे चोरों ने सीसीटीवी कैमरे का तार काटने की कोशिश की थी, लेकिन उसके दूसरे साथी ने तार काटने से मना कर दिया था और बैंक की मेन बिजली लाइन बंद करा दी थी। इसके बाद गैस कटर से बैंक का लॉकर काटा था। लॉकर काटते समय उसमें रखे बड़ी संख्या में नोट भी जल गए थे। चोरी के बाद आरोपियों ने जले लाखों के नोट बोरी में भरकर हनुमान मंदिर के पास दबा दिया था। पुलिस ने आरोपियों की निशानदेही पर कुछ जले नोट भी बरामद किए हैं।

मास्टर माइंड ने 12 साल पहले कराई थी चेहरे की प्लास्टिक सर्जरी
एसपी गणेश प्रसाद साहा ने बताया कि गैंग के सरगना मास्टरमाइंड सुरेश उमक उर्फ सागर देशमुख विभिन्न राज्यों में अपना नाम बदलकर रहता है। वह महाराष्ट्र में ही वेल्डिंग आदि का काम करता था। उसने  जरायम की दुनिया में वर्ष 1991 में कदम रखा था। उसके बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा। सुरेश उमक पर महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में चोरी आदि के 24 आपराधिक मामले दर्ज हैं। उसने अपनी पहचान छुपाने के लिए वर्ष 2010 में प्लास्टिक सर्जरी कराई थी। उसे वर्तमान समय में चार राज्यों की पुलिस बैंक चोरी के मामले में तलाश कर रही थी। खासबात यह है कि वर्ष 2019 के बाद मास्टरमाइंड पुलिस के हाथ नहीं लगा।

खुलासे में शामिल रही टीम
प्रभारी निरीक्षक सदर चंद्रशेखर सिंह, इंस्पेक्टर प्रभातेश श्रीवास्तव, प्रभारी स्वाट टीम एसआई निर्मलजीत यादव, एसाई टीटू कुमार, हेड कांस्टेबल अविनाश सिंह, अजयदीप सिंह, देवेंद्र सिंह, योगेश तोमर, शरद राज, विकास चौहान, महताब आलम, मांगेराम, सिकंदर, विक्रांत, गोल्डन, आनंद सिंह, तुषार व परीक्षित चौरसिया।

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