बीबीसी की विवादास्पद डॉक्यूमेंट्री पर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

बीबीसी की विवादास्पद डॉक्यूमेंट्री पर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय 2002 के गुजरात दंगों पर आधारित बीबीसी के एक वृत्तचित्र पर प्रतिबंध लगाने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करने के लिए सोमवार को राजी हो गया। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे बी परदीवाला की पीठ ने वकील एम एल शर्मा और वरिष्ठ वकील सी यू सिंह की दलीलों पर गौर किया। दोनों वकीलों ने इस मुद्दे पर अपनी अलग-अलग जनहित याचिकाओं पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया था। 

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सुनवाई की शुरुआत में शर्मा ने याचिका का उल्लेख करते हुए कहा कि लोगों को गिरफ्तार किया जा रहा है। इस पर सीजेआई ने कहा, इस पर सोमवार को सुनवाई की जाएगी। वरिष्ठ अधिवक्ता सी यू सिंह ने इस मुद्दे पर वरिष्ठ पत्रकार एन राम और वकील प्रशांत भूषण द्वारा दायर एक अलग याचिका का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि कैसे आपातकालीन शक्तियों का कथित तौर पर इस्तेमाल कर राम और भूषण के ट्वीट हटाए गए। उन्होंने यह भी बताया कि ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (बीबीसी) के वृत्तचित्र को दिखाने पर अजमेर में छात्रों को निलंबित कर दिया गया। इस पर प्रधान न्यायाधीश ने कहा, हम इस पर सुनवाई करेंगे।

 शर्मा ने वृत्तचित्र पर प्रतिबंध लगाने के केंद्र के फैसले के खिलाफ जनहित याचिका दायर करते हुए आरोप लगाया कि यह दुर्भावनापूर्ण, मनमानी और असंवैधानिक है। जनहित याचिका में उच्चतम न्यायालय से बीबीसी के वृत्तचित्र - पहले और दूसरे भाग पर गौर करने तथा उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का अनुरोध किया गया है जो 2002 के गुजरात दंगों में प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से शामिल थे और उसके लिए जिम्मेदार थे। सूत्रों के अनुसार, केंद्र सरकार ने 21 जनवरी को विवादास्पद बीबीसी वृत्तचित्र इंडिया : द मोदी क्वेशन के लिंक साझा करने वाले कई यू ट्यूब वीडियो और ट्विटर पोस्ट को ब्लॉक करने के निर्देश जारी किए थे। 

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