अयोध्या : ट्रस्ट को राम जन्मभूमि परिसर में संग्रहालय निर्माण से मिली निजात
रामकथा संग्रहालय के हस्तांतरण को मंजूरी, संस्कृति विभाग व श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र के बीच होगा 15 साल का एमओयू
अमृत विचार, अयोध्या। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को रामजन्मभूमि परिसर में संग्रहालय निर्माण से निजात मिल गयी है। मंदिर निर्माण समिति चेयरमैन व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पूर्व सलाहकार नृपेन्द्र मिश्र के प्रस्ताव पर त्वरित कार्रवाई करते हुए शासन ने अंतरराष्ट्रीय रामकथा संग्रहालय को हस्तांतरित करने का निर्णय ले लिया है। इस हस्तांतरण की राज्यपाल ने सशर्त हरी झंडी दे दी है। अब संस्कृति विभाग व तीर्थ क्षेत्र के बीच 15 साल के लिए एमओयू किया जाएगा।
प्रमुख सचिव संस्कृति मुकेश मेश्राम ने निदेशक, संस्कृति विभाग को भेजे गये पत्र की प्रतिलिपि अध्यक्ष तीर्थ क्षेत्र को भी भेजी है। इस पत्र में राज्यपाल की ओर से निर्धारित शर्तों की जानकारी दी गयी, जिसमें बताया गया कि संग्रहालय व आर्ट गैलरी का स्वामित्व संस्कृति विभाग का है व उसके प्रबंधन, रखरखाव व आवंटन का अधिकार विभाग के पास है। पुन: इसका संचालन व प्रबंधन श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र द्वारा किया जाएगा। बताया गया कि प्रबंधन समिति के सदस्य रूप में निदेशक राज्य संग्रहालय व निदेशक अयोध्या शोध संस्थान भी रहेंगे।
शासन के पत्र में कहा गया कि रामकथा संग्रहालय में कार्यरत कर्मचारियों को दूसरे संग्रहालय में समायोजित किया जाएगा। रामकथा संग्रहालय व आर्ट गैलरियों में प्रदर्शित कलाकृतियां, पुरावशेष जो कि एक्सेशन रजिस्टर में पंजीकृत है, उन्हें भी श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र को दीर्घ ऋण के रुप में हस्तांतरित किया जा रहा है। तीर्थ क्षेत्र पर ही कलाकृतियों व पुरावशेषों की सुरक्षा की जिम्मेदारी रहेगी। प्रमुख सचिव के पत्र के अनुसार तीर्थ क्षेत्र को संग्रहालय के साथ आडीटोरियम, कार्यालय कक्ष व पुस्तकालय भी हस्तांतरित किया जा रहा है। इसका रखरखाव व अनुरक्षण करने के अलावा विद्युत बिल समेत सभी प्रकार का भुगतान तीर्थ क्षेत्र ही करेगा। कहा गया कि विभागीय शैक्षिक कार्यक्रम के अन्तर्गत आवश्यकता पड़ने पर विभाग को संग्रहालय का आडीटोरियम नि:शुल्क एवं वरीयता के आधार पर उपलब्ध कराया जाएगा। यह भी कि तीर्थ क्षेत्र बिना संस्कृति विभाग की सहमति लिए संग्रहालय के नामकरण में कोई परिवर्तन नहीं करेगा। पत्र के अनुसार तीर्थ क्षेत्र शासन की अनुमति के बिना कोई परिवर्तन, परिवर्द्धन एवं भू-उपयोग में परिवर्तन के अलावा किसी तीसरे को लीज पर भी नहीं देगा।
गुमनामी बाबा की दो गैलरियों पर ऊहापोह है बरकरार
प्रमुख सचिव उत्तर प्रदेश संस्कृति मुकेश मेश्राम के पत्र में आर्ट गैलरियों में प्रदर्शित कलाकृतियों व पुरावशेषों के बारे में दीर्घ ऋण के रूप में हस्तांतरित किए जाने का उल्लेख है, लेकिन गुमनामी बाबा के बारे में स्पष्ट नहीं किया गया है। इस कारण ऊहापोह की स्थिति कायम है। विदित हो कि गुमनामी बाबा के सामानों की प्रदर्शनी हाईकोर्ट द्वारा 31 जनवरी 2013 को दिए आदेश के बाद लगाई गयी। यह आदेश नेताजी सुभाषचंद्र बोस की भतीजी ललिता बोस द्वारा 1986 में याचिका दाखिल की गयी। याचिका की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने दिया था। इसी रिट से सम्बन्धित एक अन्य याचिका भाजपा नेता शक्ति सिंह ने भी दायर की थी। इसके कारण दोनों याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई हुई। इसी आदेश में गुमनामी बाबा के शख्सियत की जांच का भी आदेश कोर्ट ने दिया था। इस आदेश पर तत्कालीन राज्य सरकार ने जस्टिस विष्णु सहाय की अध्यक्षता में एक सदस्यीय आयोग गठित किया था।
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