पीरियड में महिलाओं को लीव देने की मांग वाली याचिका पर 24 फरवरी को 'सुप्रीम' सुनवाई
नई दिल्ली। छात्राओं व कामकाजी वर्ग की महिलाओं के लिए पीरियड लीव का प्रावधान करने के लिए राज्यों को निर्देश देने की मांग वाली जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 24 फरवरी को सुनवाई करेगा। हाल ही में केंद्रीय शिक्षा राज्यमंत्री सुभाष सरकार ने लोकसभा में कहा था कि शिक्षण संस्थानों में मासिक धर्म की छुट्टी लागू करने की कोई योजना नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट बुधवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया, जिसमें भारत भर में महिला छात्रों और कामकाजी महिलाओं के लिए मासिक धर्म दर्द की छुट्टी की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया है कि मासिक धर्म की समाज, सरकार और अन्य हितधारकों द्वारा बड़े पैमाने पर अवहेलना की गई है, लेकिन कुछ संगठनों और राज्य सरकारों ने नोटिस लिया है। इसमें खास तौर पर Ivipanan, Zomato, Byju's, Swiggy, मातृभूमि, Magzter, Industry, ARC, FlyMyBiz और Gozoop जैसी कंपनियों का जिक्र है, जो पेड पीरियड लीव देती हैं. सुप्रीम कोर्ट याचिका पर 24 फरवरी को सुनवाई करेगा।
गौरतलब है कि मासिक धर्म का दर्द (Menstrual pain) कई महिलाओं के लिए एक बड़ी समस्या है। पीरियड्स के दिनों में महिलाओं को पेट के निचले हिस्से में ऐंठन या दर्द, सिरदर्द, मतली, थकान और सूजन जैसी कई चीजों को सहना पड़ता है।
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