दलित साहित्य सवर्णों के साथ सांस्कृतिक संवाद: प्रख्यात मराठी लेखक शरण कुमार लिंबाले
नई दिल्ली। प्रख्यात मराठी लेखक शरण कुमार लिंबाले ने मंगलवार को कहा कि दलित साहित्य सवर्णों के साथ सांस्कृतिक संवाद और हर किसी के घर में किताबों के माध्यम से पहुंचकर उनके दिलों को बदलने का प्रयास हैं।
लिंबाले ने आज यहां साहित्य अकादेमी के दो दिवसीय अखिल भारतीय दलित लेखक सम्मेलन 2023 के समापन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि दलित साहित्य समाज में दलितों की आवाज है। इसका उद्देश्य समाज के मानस में परिवर्तन लाना है। उन्होंने कहा,"दलित साहित्य सवर्णों के साथ हमारा सांस्कृतिक संवाद है। हम हर किसी के घर मे किताबों के माध्यम से पहुंचकर उनके दिलों को बदलना चाहते हैं।"
समारोह में लिंबाले के अलावा धीरज्या ज्योति बसुमतारी (बर) एच टी पोटे (कन्नड), सत्यजीत आर (मलयालम) ने अपनी-अपनी कहानियों का पाठ किया। कविता-पाठ के सत्र की अध्यक्षता प्रख्यात पंजाबी कवि एवं लेखक बलबीर माधोपुरी ने की और कर्मशील भारती (हिंदी) बी एल पारस (राजस्थानी) दीप नारायण विद्यार्थी (मैथिली) एवं लीलाधर मंडलोई ने अपनी कविताएँ प्रस्तुत की। इसके अलावा प्रख्यात गुजराती कवि जयंत परमार, प्रख्यात कन्नड लेखक एच. एस. शिवप्रकाश, कल्याणी ठाकुर धराल (बाला). अशोक अंबर (डोगरी) वीनू बामनिया (गुजराती) रजत रानी मीनू (हिंदी). लीलेश कुडलकर (कोकणी) एवं मदन वीरा (पंजाबी) ने अपनी-अपनी रचनाएँ मूल के साथ हिंदी या अंग्रेजी अनुवाद में प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम के अंत मे साहित्य अकादेमी के सचिव के निवासराव ने कहा कि साहित्य अकादेमी 24 भारतीय भाषाओं के अलावा अन्य अलिखित भाषाओं के संवर्धन और संरक्षण का कार्य कर रही है। निकोल, कोटलेट हमारी दो ऐसी योजनाएँ हैं।
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