रुद्रपुर: तराई में इस बार प्री-मैच्योर गेहूं बढ़ाएगा किसानों की टेंशन

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Published By Bhupesh Kanaujia
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बीरेन्द्र बिष्ट, रुद्रपुर, अमृत विचार। तराई में बारिश कम होने और लगातार बढ़ रहे तापमान से इस बार समय से पहले (प्री-मैच्योर) गेहूं की फसल तैयार होने से किसानों की टेंशन बढ़ सकती है। लगातार बढ़ रही गर्मी से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें छाने लगी हैं। तापमान बढ़ने से इस बार प्रति हेक्टेयर गेहूं का उत्पादन घटने की भी संभावना बनी हुई है। कृषि विभाग के अधिकारियों ने किसानों को खेतों में नमी बनाए रखने के लिए लगातार सिंचाई करने की अपील की है।

दरअसल, तराई में एक नवंबर से 25 नवंबर तक गेहूं की बुवाई की जाती है और अप्रैल के पहले सप्ताह से गेहूं की कटाई शुरू हो जाती है। लेकिन, इस बार फरवरी के दूसरे पखवाड़े से ही तापमान में लगातार वृद्धि देखने को मिल रही है। इस दौरान अधिकतम तापमान 28 से 29 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है।

तराई में वर्तमान में 99048 हेक्टेयर में गेहूं का उत्पादन होता है। एक लाख दो हजार किसान गेहूं की खेती में लगे हुए हैं। कृषि विभाग के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो तराई में वर्ष 2019-20 में 104706 हेक्टेयर में गेहूं की फसल बोई गई थी। जबकि उत्पादन 408144 मीट्रिक टन हुआ। यह उत्पादन प्रति हेक्टेयर 38.98 कुंतल था।

वर्ष 2020-21 में गेहूं के क्षेत्रफल में थोड़ी गिरावट आयी है। इस वर्ष तराई में 103842 हेक्टेयर में गेहूं बोया गया। मौसम के अनुकूल रहने के चलते इस वर्ष गेहूं का उत्पादन 459501 मीट्रिक टन रहा। यह उत्पादन प्रति हेक्टेयर 44.25 कुंतल रहा जो विगत वर्ष की तुलना में 5.27 कुंतल प्रति हेक्टेयर अधिक रहा। वहीं, वर्ष 2020-21 में गेहूं के क्षेत्रफल के साथ उत्पादन भी घटा है। इस वर्ष तराई में 99046 हेक्टेयर में गेहूं की फसल बोई गई थी। जबकि 384199 मीट्रिक टन रहा। यह उत्पादन विगत वर्ष की तुलना में 38.79 कुंतल प्रति हेक्टेयर रहा।

रात का तापमान 16 डिग्री सेल्सियस रहे तो बच सकता है गेहूं
रुद्रपुर। कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार दिन के तापमान में वृद्धि के साथ अगर रात का तापमान 16 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहे तो गेहूं के बीज को कोई नुकसान नहीं होगा। रात का तापमान बढ़ने पर किसानों को दिक्कत आ सकती है। अधिकारियों के अनुसार किसानों को अपनी फसल बचाने के लिए खेत में नमी बनाए रखनी चाहिए। इसके लिए खेतों में सिंचाई करते रहें।

धान खरीद सीजन में बारिश होने से किसान पहले ही उजड़ चुका है। नवंबर माह में गेहूं की बुवाई के बाद से बारिश काफी कम मात्रा में हुई है। गर्मी लगातार बढ़ती जा रही है। इससे समय से पहले गेहूं का बीज तैयार होने से उत्पादन कम होने की संभावना बनी हुई है। अगर ऐसा हुआ तो किसानों पर दोहरी मार पड़ेगी।
-विक्रम जीत सिंह विर्क, किसान

इस बार पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय नहीं होने के कारण बारिश काफी कम हुई है। इस कारण तापमान में लगातार वृद्धि होती जा रही है। अगर तापमान ऐसे ही बढ़ता रहा तो इससे किसानों का गेहूं समय से पहले तैयार हो जाएगा। इससे उत्पादन घटेगा और किसानों को काफी आर्थिक नुकसान पहुंचेगा।
-डॉ.आरके सिंह, मौसम वैज्ञानिक, जीबी पंत विश्वविद्यालय

दिन के तापमान बढ़ने के साथ ही अगर रात का तापमान 16 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहे तो गेहूं के बीज को कोई नुकसान नहीं होगा। अगर यह तापमान बढ़ा तो किसानों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। इससे बचने के लिए किसान खेतों में नमी बनाये रखने के लिए बीच-बीच में सिंचाई करते रहें।
-एके वर्मा, मुख्य कृषि अधिकारी, ऊधमसिंह नगर

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