अयोध्या : यहां बाबुओं का राज, निजी खर्चे पर चल रही सरकारी व्यवस्था
जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय में लगा इंटरनेट व टेलीफोन कनेक्शन भी बाबू की है निजी मिल्कियत
अयोध्या, अमृत विचार। प्रदेश सरकार भ्रष्टाचार पर जीरो टारलेंस का दावा कर रही है, लेकिन जिले का एक सरकारी विभाग ऐसा भी है जहां बाबुओं का राज चलता है। इस कार्यालय में कम्प्यूटर तो हैं लेकिन उसकी व्यवस्था सरकारी नहीं बल्कि बाबुओं के निजी खर्च से चल रही है। टेलीफोन का कनेक्शन हो या इंटरनेट का। वह भी एक बाबू के नाम पर चल रहा है। ऐसे में जब बाबुओं की जेब सरकारी काम पर ढीली होगी तो क्या विभाग भ्रष्टाचार से बच पाएगा, यह बड़ा सवाल है।
जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय में कम्प्यूटर से लेकर हाईकोर्ट में केस की पैरवी करने का खर्च कर्मचारी अपनी जेब से करते हैं। डीआईओएस कार्यालय अभी तक विभागीय स्तर पर कम्प्यूटराइज्ड नहीं हो सका है। यहां कार्यरत एक लिपिक के कक्ष में लगा कम्प्यूटर, प्रिंटर बाबू की अपनी मिल्कियत हैं। डीआईओएस कार्यालय में लगा इंटरनेट कनेक्शन और बेसिक टेलीफोन तक लिपिक नीरज शुक्ला के नाम पर है। नीरज शुक्ल कहते हैं कि यह कम्प्यूटर और प्रिंटर हमारा निजी है। विभाग से कंटीजेंसी के नाम पर फूटी कौड़ी भी नहीं मिलती है। इंटरनेट का खर्चा उन्हें आज तक कार्यालय से नहीं मिला। हाईकोर्ट में केस की पैरवी के लिए 3000 रुपये तीन साल पहले मिलते थे, अब वह भी नहीं मिल रहा है। इस बारे में डीआईओएस से बात करने का प्रयास किया गया लेकिन उनसे सम्पर्क नहीं हो सका। वित्त एवं लेखाधिकारी माध्यमिक वीरेश वर्मा का कहना है कि यह व्यवस्थाएं राजकीय प्रबंध से होती हैं। टेलीफोन व इंटरनेट के भुगतान उनके द्वारा तो नहीं किया जाता है।
शिक्षा भवन के कार्यालयों में कार्मिकों के बायोमेट्रिक उपस्थिति की व्यवस्था नहीं
प्रदेश सरकार के निर्देश पर राजकीय व माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की उपस्थिति बायोमेट्रिक होती है। लेकिन शिक्षा भवन में स्थित कार्यालयों में कार्यरत कर्मचारियों के लिए आज तक बायोमेट्रिक सिस्टम नहीं लगाया गया। कर्मचारी और अधिकारी आज भी मैनुअल रूप से रजिस्टर पर ही उपस्थिति बनाते हैं। जिससे कर्मचारियों को मनमानी की खुली छूट है। डीआईओएस कार्यालय में सीसीटीवी कैमरे भी मात्र दिखावा साबित हो रहे हैं।
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