हल्द्वानीः सुशीला तिवारी अस्पताल में जल्द बनेगा 42 बेड का पीआईसीयू

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Published By Shobhit Singh
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हल्द्वानी, अमृत विचार। डॉ. सुशीला तिवारी राजकीय अस्पताल में गंभीर बीमार बच्चों को अब पहले से और बेहतर इलाज की सुविधा मिलेगी। दरअसल, अस्पताल के बाल रोग विभाग के अधीन 42 बेड का पीआईसीयू बनाया जा रहा है। जल्द ही इसका निर्माण शुरू हो जायेगा। इसके बनने में लगभग 3 करोड़ 89 लाख रुपये की लागत आयेगी।

करीब 750 बेड की क्षमता वाला सुशीला तिवारी अस्पताल कुमाऊं का एकमात्र ऐसा सरकारी अस्पताल है, जहां मरीजों को सबसे सस्ती दर पर इलाज की सुविधा मिलती है। जिस कारण यहां दूरदराज से बड़ी संख्या में मरीज इलाज कराने आते हैं। मरीजों की संख्या को देखते हुए अस्पताल में सुविधाएं भी तेजी से बढ़ रही हैं। इसी कड़ी में 42 बेड का पीआईसीयू बनाया जा रहा है।

राजकीय मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अरुण जोशी ने बताया कि बाल रोग विभाग के अधीन बन रहे 42 बेड के पीआईसीयू के लिए मेडिसिन विभाग के पास जगह चिन्हित की गई है। इसका निर्माण नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) के तहत किया जा रहा है। कार्यदायी संस्था एचएलसीएल कंपनी को पीआईसीयू निर्माण का जिम्मा सौंपा गया है, जो जल्द ही कार्य शुरू कर देगी। बताया कि वर्तमान में बाल रोग विभाग के अधीन करीब 12 बेड का पीआईसीयू है जिसमें गंभीर रूप से बीमार बच्चों को भर्ती किया जाता है। 42 बेड के बढ़ने से पीआईसीयू में बेड की संख्या 54 हो जायेगी। इससे मरीजों को लाभ मिलेगा।

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सीएमओ डॉ. भागीरथी जोशी ने बताया कि एनएचएम के तहत एसटीएच में 42 बेड का पीआईसीयू बनाया जा रहा है। जिसमें करीब 3.89 करोड़ रुपये की लागत आयेगी। एचएलसीएल कंपनी कार्यदायी संस्था है। वर्तमान में तैनात स्टाफ ही पीआईसीयू की देखरेख करेगा।

राजकीय मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अरुण जोशी ने बताया कि पीआईसीयू के लिए मेडिसिन विभाग के पास जगह ढूंढ ली गई है। जल्द ही एचएलसीएल कंपनी इसका निर्माण शुरू कर देगी। पीआईसीयू का विस्तार होने से निश्चित ही मरीजों को लाभ मिलेगा।

वहीं, एसटीएच में वर्तमान में 12 बेड का पीआईसीयू है। जिसके संचालन के लिए एक प्रोफेसर तथा तीन एसोसिएट प्रोफेसर नियुक्त हैं, जबकि कुछ पैरामेडिकल स्टाफ भी तैनात हैं। इन सभी पर मरीजों का दबाव है। ऐसे में सवाल उठता है कि 42 बेड के पीआईसीयू का संचालन और उसकी देखरेख कैसे होगी? जबकि स्वास्थ्य अधिकारियों ने अतिरिक्त स्टाफ की नियुक्ति से इंकार किया है।

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