हल्द्वानीः जितनी जमीन बताई उतनी रेलवे को जरूरत नहीं- प्रशांत भूषण

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Published By Shobhit Singh
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हल्द्वानी, अमृत विचार। रेलवे प्रकरण में बीती सात फरवरी को उच्च न्यायालय में हुई सुनवाई में न्यायालय ने रेलवे को आठ सप्ताह का समय देते हुए आगामी दो मई को मामले की सुनवाई करने का फैसला सुनाया था। इससे पूर्व शनिवार को उच्चतम न्यायालय में हाजी अब्दुल मतीन सिद्दीकी की ओर से रेलवे पीड़ितों का मामला देख रहे अधिवक्ता प्रशांत भूषण हल्द्वानी पहुंचे। उन्होंने समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता हाजी अब्दुल मतीन सिद्दीकी के साथ विवादित भूमि का निरीक्षण किया।

अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने बताया कि मतीन सिद्दीकी के पुत्र के विवाह समारोह में शामिल न होने के चलते वह वर-वधु को आशीर्वाद देना था। उन्होंने विवादित भूमि का निरीक्षण किया और कहा, रेलवे प्रकरण भूमि पर काफी सरकारी निर्माण हुए हैं। जिसमें सरकारी स्कूल, ट्यूबवेल, बैंक, ऑगनबाड़ी के साथ पुराने मंदिर, मस्जिद और धर्मशाला बनी हुई हैं।

साथ ही 50 से 100 साल तक की पुरानी आबादी है। उन्होंने कहा कि इस मामले में हाईकोर्ट के निर्णय पर उच्चतम न्यायालय ने रोक लगाई है। ग्राउंड जीरो पर देखने से प्रतीत होता है कि रेलवे को इतनी जमीन की आवश्यकता नहीं है, जितनी कि बताई जा रही है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में जमीनी सच्चाई को भी ध्यान में रखते हुए अपना निर्णय देगा। 

उन्होंने उम्मीद जताई कि फैसला पीड़ित लोगों के हक में आएगा। वहीं, प्रदेश प्रभारी हाजी अब्दुल मतीन सिद्दीकी ने कहा कि वरिष्ठ अधिवक्ता रेलवे प्रकरण में मानवता को दृष्टिगत रखते हुए हर संभव न्याय दिलाने के लिए प्रयासरत हैं। हमें यकीन है कि फैसला हमारे हक में होगा।

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