हल्द्वानी: पेट की बीमारियों में आयुर्वेदिक उपचार बेहद कारगर

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Published By Shweta Kalakoti
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अल्सरेटिव कोलाइटिस का समय से कराएं उपचार वरना होंगे गंभीर परिणाम

हल्द्वानी, अमृत विचार। आजकल ज्यादातर लोग पेट की बीमारियों से ग्रसित हैं। आज हम एक गंभीर आंत संबंधी रोग 'अल्सरेटिव कोलाइटिस' का जिक्र कर रहे हैं, जिसमें पाचन तंत्र में सूजन आ जाती है और आंतों में घाव हो जाते हैं।

यह आगे चलकर कैंसर का रूप भी ले सकता है। ऐसे में यदि समय से उपचार कराया जाए तो इसमें आयुर्वेदिक दवाएं बेहद कारगर साबित हो सकती हैं। इस बारे में विस्तार से जानकारी दे रहे हैं श्री: विश्वप्रांगण महाराष्ट्रीयन आयुर्वेद एवं पंचकर्म क्लीनिक, मुखानी के नाड़ी वैद्य डॉ. राहुल गुप्ता।

रोग के लक्षण, कारण

बार-बार शौच के लिए जाना, मल में खून एवं पस आना, मल का आवेग रोकने में सक्षम न होना, पेट में मरोड़ होना, बवासीर का उचित उपचार न होना, पत्ते वाली सब्जी, हरी मिर्च, मांसाहार भोजन, शराब और दही का अत्यधिक सेवन करना इत्यादि।

जांच एवं उपचार

डॉ. राहुल गुप्ता बताते हैं कि अल्सरेटिव कोलाइटिस जिसे आयुर्वेदिक शब्दावली में रक्तज/पित्तज प्रवाहिका भी कहा जाता है, यदि उपरोक्त कोई भी लक्षण दिखाई दें तो कोलोनोस्कॉपी एवं मल की जांच समय से कराकर इस रोग का पता लगाया जा सकता है। यदि शुरुआती दौर में आयुर्वेद चिकित्सा द्वारा उपचार कराया जाए तो मरीज 3-6 माह में पूरी तरह ठीक हो जाता है। इस रोग में पिच्छा बस्ती एवं पर्पटी कल्प से उपचार बेहद उपयोगी है। ऐसे में कुशल आयुर्वेदिक चिकित्सक से उपचार कराकर सर्जरी से भी बचा जा सकता है।

जागरूकता बेहद जरूरी
डॉ. राहुल के अनुसार, जागरूकता के अभाव में मरीज रोग को हल्के में ले लेते हैं जिसके कई बार गंभीर परिणाम सामने आते हैं। कोई भी रोग होने पर उसे दबाए नहीं, खान-पान का समय निर्धारित करें, पानी को उबालकर ठंडा कर उसका सेवन करें। गाय के घी का इस्तेमाल करें और तनाव एवं व्यसन मुक्त जीवन व्यतीत करें।

उदर रोग संबंधी बीमारी है तो...

यदि आपको उदर रोग संबंधी कोई भी बीमारी हो तो दर्द निवारक दवाओं का अत्यधिक सेवन न करें। एंटीबायोटिक दवाओं का अत्यधिक सेवन न करें। फास्ट फूड, जंक फूड, धूम्रपान, तंबाकू एवं शराब का सेवन बिल्कुल न करें। पेट संबंधी बीमारियों के लिए ताजा मट्ठा एवं बेल का मुरब्बा बेहद फायदेमंद होता है।

आयुर्वेद पुराने रोगों में बेहद कारगर 

चिकित्सा के क्षेत्र में आयुर्वेद का विशेष महत्व है। आयुर्वेद पुराने रोगों में बेहद कारगर है और यह लोगों का विश्वास ही है कि कुमाऊं के दूरदराज क्षेत्रों के अलावा उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, महाराष्ट्र एवं अन्य राज्यों के शहर एवं ग्रामीण क्षेत्रों से मरीज स्वयं हल्द्वानी आकर एवं ऑनलाइन संपर्क द्वारा उपचार कराकर स्वस्थ जीवन व्यतीत कर रहे हैं।

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