हल्द्वानी: ताक पर आदेश, नदी में शुरू हुई ओवरलोडिंग की खन-खन!

इसी वर्ष 27 फरवरी को हाईकोर्ट ने लगाया था ओवरलोडिंग के शासनादेश पर रोक, 6 जुलाई 2023 तक थे रोक के आदेश

हल्द्वानी: ताक पर आदेश, नदी में शुरू हुई ओवरलोडिंग की खन-खन!

गौला खनन संघर्ष समिति ने वन निगम पर लगाया गंभीर आरोप सभी निकासी गेटों पर अपलोड किया ओवरलोड का सॉफ्टवेयर

हल्द्वानी, अमृत विचार। सरकारी खजाना भरने के लिए सरकार ने उपखनिज की निकासी के लिए ओवरलोडिंग का आदेश जारी कर दिया और इस शासनादेश पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी, लेकिन अब एक बार फिर गुपचुप तरीके से ओवरलोडिंग का खेल शुरू हो गया है।

आरोप है कि वन निगम ने ओवरलोडिंग वाले सॉफ्टवेयर को निकासी गेटों पर लगे कंप्यूटर पर अपलोड कर दिया है। हालांकि हाईकोर्ट ने आगामी 7 जुलाई तक यथास्थिति बरकरार रखने के निर्देश दिए थे। 

पिछले साल नदी से करीब 38 लाख घन मीटर उप खनिज की निकासी की गई थी। जिससे राज्य सरकार को करीब 200 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ था। इस वर्ष नंबर से खनन की शुरुआत हुई, लेकिन डंपर मालिकों और क्रशर स्वामियों के बीच रेट को लेकर बात नहीं बन पाई।

दिसंबर में भी वाहन मालिकों की हड़ताल की वजह से खनन सुचारू रूप से नहीं चल सका। 23 जनवरी को लीज खत्म होने पर निकासी फिर एक हफ्ते के लिए बंद हो गई। इन सबके बीच जब लगा कि राजस्व की प्राप्ति नहीं हो पाएगी तो सरकार ने ओवरलोडिंग के आदेश जारी कर दिए और गौला खनन संघर्ष समिति इसके खिलाफ हाईकोर्ट चली गई। बीती 27 फरवरी को हाईकोर्ट ने ओवरलोडिंग के आदेश पर रोक दिया और 6 जुलाई 2023 तक यथा स्थित बरकरार रखने को कहा। 

इन सबके बीच गौला खनन संघर्ष समिति के अध्यक्ष पम्मी सैफी ने बड़ा खुलासा किया। उन्होंने कहा, बीती 5 मार्च से वन निगम ने निकासी गेटों पर ओवरलोडिंग वाला सॉफ्टवेयर अपलोड कर दिया। अब गाड़ी वाले नदी से मनमाने तरीके से उपखनिज निकाल रहे हैं। सैफी ने कहा, यह हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना है और आरटीओ भी ओवरलोडिंग पर मौन है।   


केवल 5 प्रतिशत मालिकों ने बढ़वाई वाहनों की क्षमता

पम्मी का कहना है कि नदी में चलने वाले साढ़े 7 हजार खनन वाहनों में से केवल 5 प्रतिशत गाड़ी मालिकों ने ही अपने वाहनों की भार क्षमता को बढ़वाया है। जबकि 95 प्रतिशत वाहन पुरानी भार क्षमता पर ही चल रहे हैं। इन 5 प्रतिशत को छोड़ दिया जाए तो करीब 25 प्रतिशत खनन वाहन ओवरलोडिंग में जुटे हैं। जबकि वन निगम इसे सिरे से खारिज कर रहा है। 
 

संभव नहीं इस बार सरकार का खजाना भर पाना

पिछले साल हुई निकासी को देखते हुए सरकार को इस बार भी खनन से काफी उम्मीद थी, लेकिन किसी न किसी वजह से खनन प्रभावित होता रहा और मार्च से ठीक ढंग से खनन शुरू हो चुका है, लेकिन आधे वाहनों के साथ। जहां पिछले साल करीब 37 लाख घन मीटर उपखनिज निकला था तो इस बार 20-22 लाख घनमीटर ही निकासी ही उम्मीद है। 


जब आरसी पर भार क्षमता दर्ज तो सॉफ्टवेयर क्यों

 विभाग दावे कर रहा है कि खनन नियमों के तहत किया जा रहा है। अगर ऐसा है तो पुराने सॉफ्टवेयर पर काम क्यों किया जा रहा है। दरअसल, सभी वाहनों की आरसी पर उसकी भार क्षमता दर्ज होती है और वह उसी के अधीन नदी से निकासी करता है। निगम भी यही मानता है, लेकिन फिर भी पुराने सॉफ्टवेयर के तहत निकासी कराना तमाम सवाल खड़े करता है। 


वाहनों की फिटनेस से भी धीमा हुआ नदी में खनन

परिवहन संभागीय कार्यालय में करीब 12 हजार खनन वाहन पंजीकृत हैं। इसमें से अब सिर्फ 25 सौ वाहन ही बचे हैं, जिनकी अभी तक फिटनेस नहीं हो पाई। आम तौर पर फिटनेस खनन सीजन शुरू होने से पहले ही हो जाती है, लेकिन इस बार खनन सीजन खत्म होने को आ गया और फिटनेस पूरी नहीं हो पाई। ये भी वजह है कि उपखनिज की उचित निकासी नहीं हो सकी। 

 

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