चैत्र नवरात्रि: शक्तिपीठों में तैयारियां शुरू, सजने लगा मां का दरबार  

चैत्र नवरात्रि: शक्तिपीठों में तैयारियां शुरू, सजने लगा मां का दरबार  

प्रयागराज, अमृत विचार। संगमनगरी में तीन पौराणिक देवी मंदिर हैं। जिनकी कहानी त्रेतायुगसे जुड़ी हुई है। इन मंदिरों में मां कल्याणी, मां ललिता और मां अलोप शंकरी के नाम से स्थापित है। तीनो मन्दिरो में चैत्र नवरात्रि को लेकर तैयारी पूरी कर ली गयी है। चैत्र नवरात्रि व्रत 22 मार्च यानि बुधवार से शुरू हो रहे हैं। जिसको देखते हुए तीनों मन्दिरो को मंदिर प्रशासन ने जिला प्रशासन से मिलकर भक्तों के दर्शनों के लिए सजा संवार कर तैयार किया है। मंदिर में भक्तों की सुविधाओं और सुरक्षा को लेकर तैयारियां अंतिम दौर में हैं।  

15 सौ साल पुरानी है मां कल्याणी की प्रतिमा
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, इस स्थान पर सती माता की दो उंगलियां गिरी थी। कल्याणी देवी का मंदिर प्रयागराज का अतिप्राचीन एवं पुराणों में वर्णित शक्तिपीठ है। ब्रह्मवैवर्त पुराण के मुताबिक, त्रेता युग में मां कल्याणी की 32 अंगुल ऊंची प्रतिमा की महर्षि याज्ञवल्क्य ने यहां पर स्थापना कर आराधना की थी। तब से ही इस स्थान पर देवी मां की पूजा अर्चना का दौर जारी है। प्रयागराज के पुरातत्व विभाग के क्यूरेटर डाॅ. सतीशचन्द्र काला के मुताबिक, माता रानी की ये प्रतिमा शोध में 1500 साल पुरानी पाई गई है।

पौराणिक आस्था की तीर्थ नगरी प्रयागराज में स्थित शक्तिपीठ माता कल्याणी देवी के दर पर रोजाना हजारों भक्त आते हैं। आश्विन व चैत्र नवरात्रि पर तो नौ दिनों तक भारी भीड़ यहां रहती है। संगम नगरी की 3 व 51 शक्तिपीठों में से एक है माता कल्याणी देवी का मंदिर है।


कर्ण करते थे सवा मन सोने का दान
प्रयागराज में मौजूद देवी कल्याणी का मंदिर महाभारत कालीन है। ग्रामीणों के मुताबिक, इलाके में प्रचलित दंतकथाओं में बताया जाता है कि, राजा कर्ण मंदिर के पास बैठकर रोजाना मां गंगा की पूजा-अर्चना के बाद सवा मन सोने का दान करते थे। यहां आने वाले श्रद्धालु माता रानी की परिक्रमा के बाद मंदिर की दीवारों पर गाय के गोबर से स्वास्तिक बनाकर अपनी मनोकामनाएं देवी को बताते हैं। 


मंदिर हुआ हाईटेक
बदलते समय के साथ तकनीक का फायदा अब धार्मिक स्थलों को होने लगा है। देवी कल्याणी का मंदिर भी अब हाईटेक हो गया है। मंदिर के महंत सुशील पाठक के मुताबिक, आने-जाने में असमर्थ बुजुर्गों और दिव्यांगों को माता रानी का दर्शन सहजता से हो सके इसके लिए पूरे इलाके को डिजिटल कर दिया है। बता दें कि, पूरी तरह से डिजिटल होने वाला यह यूपी का पहला मंदिर है। अब भक्त माता के दरबार में अपनी हाजिरी ऑनलाइन वेबसाइट के जरिए लगा सकते हैं। वेबसाइट पर मंदिर के इतिहास समेत श्रृंगार दर्शन, पूजा- अर्चना आदि की सारी जानकारी दी गई हैं। इसके अलावा श्रद्धालु ऑनलाइन प्रसाद भी प्राप्त कर सकते हैं। मंदिर प्रबंधन के मुताबिक, ये व्यवस्था पूरे साल रहती है।


यहां गिरा था देवी मां की भुजा का पंजा
ग्रेनाइट पत्थर के पिलर पर इस मंदिर को खड़ा किया गया है। ये विश्व का अनूठा मंदिर है। जहां मां ललिता के नाम से लोग जानते और पूजते है। इस जगह पर मां की भुजा का पंजा गिरा था। 51 शक्ति पीठो में एक यह मंदिर भी है ।

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मंदिर में होती है पालने की पूजा
51 शक्ति पीठों में तीसरी मंदिर प्रयागराज के संगम से कुछ दूर पहले अलोपीबाग में है। यहां मंदिर में देवी मां की कनिष्ठा अंगुली गिरी थी और विलुप्त हो गई थी। जिसके बाद से था लोग पालने की पूजा करते ही। और इस मंदिर को अलोप शंकरी के नाम से जानते है।

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