इस बार नवरात्र में नाव पर सवार होकर आएंगी मां जगदंबा, करेंगी सभी मनोकामना पूर्ण

इस बार नवरात्र में नाव पर सवार होकर आएंगी मां जगदंबा, करेंगी सभी मनोकामना पूर्ण

बरेली, अमृत विचार। इस बार चैत्र नवरात्र 22 मार्च से शुरू हो रहे हैं। वहीं इस बार मां जगदंबा अपने भक्तों के कष्ट हरने नाव पर सवार होकर आ रहीं हैं। इस बारे में आराध्य ज्योतिष केन्द्र के संचालक आचार्य रमाकांत दीक्षित ने बताया कि 19 वर्ष बाद दो श्रावण मास शुभ फल देंगे। लेकिन मंत्री राछसों के गुरु शुक्र होने से आसुरी शक्तियां बलवान होंगी। संवत 2080 में कही ख़ुशी तो कही  गम का माहौल रहेगा। 

विलक्षण योग से होगा प्रारम्भ पिंगल नाम सवत्सर सौरमण्डल में युवराज का स्थान प्राप्त
आध्यात्मिक शक्ति के प्रतीक नौ ग्रहों में चौथे ग्रह बुध 22 मार्च 2023 को चैत्र माह के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन अगला विक्रमी संवत 2080 प्रारंभ होगा। इसमें सौरमण्डल के ग्रहों की शासन व्यवस्था के लिए बुध राजा पद पर, मंत्री पद पर शुक्र आसीन होंगे और अन्य आठ विभागों में सस्येश का सूर्य, धान्येश का शनि, मेघेश का गुरु, रसेश का मंगल, नीरसेश का सूर्य, फलेश का गुरु, धनेश का सूर्य तथा दुर्गेश का गुरु को व्यवस्था का कार्यभार प्राप्त हुआ है।

संवत 2080 का राजा बुध, मंत्री पद पर राक्षसों के आचार्य शुक्राचार्य शुक्र के होने, षष्ठेश मंगल का अष्टम में होने, शनि में मंगल का नवम-पंचम योग होने तथा वर्ष 2004 के बाद 19 वर्षों के अंतराल से इस संवत में दो श्रावण माह होने के कारण कई अशुभ, उत्पात, आतंकवादियों द्वारा विस्फोट हिंसा, अग्निकाण्ड, घरेलू फसाद, उपघात, हिंदू पंचांग में बताया गया है कि चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का शुभारंभ 21 मार्च 2023 सुबह 10:02 पर होगा और इसका समापन 22 मार्च 2023 रात्रि 8:20 पर हो जाएगा। ऐसे में घटस्थापना 22 मार्च 2023 को किया जाएगा। इस विशेष दिन पर घटस्थापना मुहूर्त सुबह 6:29 से दोपहर 3 बजे तक 12 से 1:30 बजे का समय छोड़कर समय शुभ है। मान्यता है कि शुभ मुहूर्त में घटस्थापना करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। 

चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा के आगमन की सवारी 
इस साल चैत्र नवरात्रि 22 मार्च 2023 बुधवार से शुरू हो रही है। वहीं यदि बुधवार से नवरात्रि शुरू होती है तो माता का आगमन नाव पर होता है। मां जगदंबे का नौका यानी नाव  पर आगमन शुभ माना जाता है। नाव पर सवार होकर माता जब भी आती हैं तब अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं और सभी कष्ट हर लेती हैं।