Kanpur: आए दिन टेनरियां बंद कराने का लाभ उठा रहे हैं पड़ोसी देश, चमड़ा कारोबार के लिए चर्चित जाजमऊ की पहचान को संकट

कानपुर में चमड़ा कारोबार के लिए चर्चित जाजमऊ की पहचान को सकंट है।

Kanpur: आए दिन टेनरियां बंद कराने का लाभ उठा रहे हैं पड़ोसी देश, चमड़ा कारोबार के लिए चर्चित जाजमऊ की पहचान को संकट

कानपुर में चमड़ा कारोबार के लिए चर्चित जाजमऊ की पहचान को सकंट है। कभी 400 चार सौ से ज्यादा टेनरियां थी, लेकिन अब कुल जमा 200 बची।

कानपुर, अमृत विचार। लेदर इंडस्ट्री वेलफेयर एसोसिएशन की बैठक में आए दिन प्रदूषण को लेकर टेनरियों को बंद रखने के आदेश से चमड़ा कारोबारी आजिज आ गए हैं। आए दिन टेनरियों के बंद रहने का लाभ पड़ोसी देश उठा रहे हैं। बांग्लादेश का चमड़ा कारोबार काफी आगे निकल रहा है। यही वजह है कि चमड़ा कारोबारी पलायन को मजबूर हैं।  
 
जाजमऊ में हुई चमड़ा कारोबारियों की बैठक में कहा गया कि आए दिन टेनरियों की बंदी के निर्णय चमड़ा कारोबारी आजिज आ चुके हैं। महीने में औसतन 15 दिन भी देनरियां चल जाएं तो बड़ी बात होगी। यह एक बड़ी समस्या है। बैठक में इसको लेकर चमड़ा कारोबार पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है और इसका लाभ दूसरे देश उठा रहे हैं। 
 
वक्ताओं ने कहा कि पहल कपड़ा कारोबार के लिए संचालित मिलों के कारण कानपुर को उत्तर भारत का मैनचेस्टर कहा जाता था। मिलें बंद हुईं तो इसे उद्योगों का कब्रिस्तान कहा जाने लगा। अब चमड़ा कारोबार पर भी पहचान का संकट मंडराने लगा है। कानपुर के चमड़ा कारोबार की विश्व में धाक हुआ करती थी। बीते कुछ सालों में कानपुर के इस उद्योग पर जबरदस्त संकट मंडरा रहा है। वक्ताओं ने कहा कि कभी जाजमऊ में चार सौ टेनरियां हुआ करती थी पर अब घटकर दो सौ ही रह गयीं हैं। बाकी बंद हो चुकी हैं।
 
एसोसिएशन के वरिष्ठ पदाधिकारी गुलाम साबिर कहते हैं कि गंगा में दूषित जल ना जाए। इसके लिए ट्रीटमेंट प्लांट लगाया गया। संचालन के लिए टेनरी वाले ही पैसा देते हैं। फिर टेनरियां बंद करवा दी जाती हैं।असद कमाल इराकी कहते हैं कि चमड़ा उत्पादन और निर्यात में कानपुर की धाक हुआ करती थी वह अब समाप्त होती जा रही है। लोग बंगाल की ओर रुख कर रहे हैं।