राष्ट्र निर्माण में उच्च शिक्षा की भूमिका अहम: निशंक

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नई दिल्ली। केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में उच्च शिक्षा अहम भूमिका का जिक्र करते हुए कहा कि भारत में शिक्षा की पुरानी परंपरा रही है जिसने भारत को विश्वगुरु के रूप में स्थापित किया है। निशंक ने सोमवार को यहां राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित भारतीय विश्वविद्यालय …

नई दिल्ली। केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में उच्च शिक्षा अहम भूमिका का जिक्र करते हुए कहा कि भारत में शिक्षा की पुरानी परंपरा रही है जिसने भारत को विश्वगुरु के रूप में स्थापित किया है। निशंक ने सोमवार को यहां राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित भारतीय विश्वविद्यालय संघ के सभी कुलपतियों के वार्षिक राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि इतिहास गवाह है कि भारत ने हमेशा से ज्ञान का सही उपयोग किया है और उससे दुनिया को लाभान्वित किया है।

उन्होंने कहा, “राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में उच्च शिक्षा अहम भूमिका निभाती है। प्राचीन भारत में नालंदा, तक्षशिला, विक्रमशिला और वल्लभपुरी जैसे विश्वविद्यालयों का अस्तित्व इस बात का पर्याप्त प्रमाण है कि भारत में शिक्षा की पुरानी परंपरा रही है जिसने भारत को विश्वगुरु के रूप में स्थापित किया है।

शिक्षा के इन प्राचीन विश्वविद्यालयों ने तिब्बत, चीन, ग्रीस, फ्रांस और मध्य एशिया सहित दुनिया भर के विद्वानों को आकर्षित किया है। वेदों और उपनिषदों के रूप में भारत की ज्ञान प्रणालियों को क्रमशः 1800 ईसा पूर्व और 800 ईसा पूर्व में पता लगाया जा सकता है।”

नई शिक्षा नीति का उल्लेख करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा, “नई शिक्षा नीति का विज़न भारतीय विश्वविद्यालयों के लिए नए आयाम स्थापित करना और उन्हें साकार करना होगा। यह नीति न्यू इंडिया बनाने की दिशा में उच्च शिक्षण संस्थानों एवं विश्वविद्यालयों को उनकी भूमिका फिर से परिभाषित करने की स्वतंत्रता देगी।”

उन्होंने बताया कि भारत ने पिछले पांच वर्षों में ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में 29 स्थानों की वृद्धि की है, 2014 में भारत की रैंक 81 थी जबकि 2019 में भारत 52 स्थान पर है। उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात 2014-15 से 2018-19 तक 24.3 से बढ़कर 26.3 हो गया है। 2014-15 से 2019-20 तक विश्वविद्यालयों की संख्या 711 से बढ़कर 1028 हो गई है।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान में महिला छात्रों की संख्या 2015-16 में 1871 थी और 2019-20 में यह 3411 थी। पिछले पांच वर्षों के दौरान, शिक्षक प्रशिक्षण पर पंडित मदन मोहन मालवीय राष्ट्रीय मिशन से जुड़े संस्थानों और शिक्षकों की संख्या बढ़ी है जो एक सकारात्मक संकेत है। इस मिशन में 2015-16 में 5,410 की तुलना में 2019-20 में, 175301 शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया है।

उन्होंने कहा कि भारत के संस्थानों को विश्व के शीर्ष पर स्थापित करने एवं भारत को पुनः विश्व गुरु बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयास जैसे, इंस्टिट्यूट ऑफ़ एमिनेंस, जिसमें कुल 20 (10 सरकारी एवं 10 निजी संस्थानों), को एक निहित योजना के तहत विश्वस्तरीय बनाया जाएगा। प्रत्येक सरकारी संस्थान, जो इंस्टिट्यूट ऑफ़ एमिनेंस के तहत आते हैं, को अगले 5 वर्षों के दौरान 1000 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए जाएंगे।

हायर एजुकेशन फाइनेंसिंग एजेंसी (एचईएफए) की स्थापना 2017 में, संयुक्त उद्यम भागीदारी केनरा बैंक के साथ की गई थी, जो उच्च शिक्षण संस्थानों में बुनियादी ढांचे का वित्त पोषण करता है. 2022 तक 1,0000 करोड़ रुपये तक की वित्तीय परियोजनाओं को पोषित किया जाएगा। निशंक ने कहा कि मुझे खुशी है कि राष्ट्रीय नीति 34 लंबे वर्षों के बाद आई है।

इन सभी चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक बहुत ही व्यवस्थित और संगठित प्रयास किया गया है ताकि उच्च शिक्षा पारिस्थितिकी तंत्र के समग्र पुनर्गठन को नए भारत की आवश्यकताओं के अनुरूप बनाया जा सके। नई नीति के प्रस्तावों को देखते हुए हमारे विश्वविद्यालयों की पुनः कल्पना करने का यह सबसे अच्छा समय है, खासकर तब जब भारत अपने जनसांख्यिकीय लाभांश के रूप में अपने विशाल मानव संसाधनों का इस्तेमाल करने की ओर अग्रसर है।

भविष्य की असंख्य चुनौतियों का जवाब देने के लिए विश्वविद्यालयों को भविष्य के लिए तैयार संस्थान बनाया जाएगा। राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित इस वार्षिक सम्मलेन में समाज सुधारक कैलाश सत्यार्थी, गोविंद बल्लभ पंत कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर के कुलपति एवं भारतीय विश्वविद्यालय संघ के अध्यक्ष प्रोफ़ेसर तेज प्रताप, भारतीय विश्वविद्यालय संघ की महासचिव डॉ. पंकज मित्तल, राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रणबीर सिंह, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् के अध्यक्ष प्रो. अनिल सहस्रबुद्धे, यूजीसी के अध्यक्ष प्रो. धीरेन्द्र पाल सिंह और राष्ट्रीय मान्यता बोर्ड के अध्यक्ष प्रो. के के अग्रवाल ने वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिये हिस्सा लिया।

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