Kanpur: न पूजा से 'रहीम' को एतराज न नमाज से 'राम' को, जिला जेल में 585 बंदियों ने व्रत तो 335 ने रखा रोजा

कानपुर जिला जेल में 585 बंदियों ने व्रत तो 335 ने रोजा रखा है।

Kanpur: न पूजा से 'रहीम' को एतराज न नमाज से 'राम' को, जिला जेल में 585 बंदियों ने व्रत तो 335 ने रखा रोजा

कानपुर जिला जेल में 585 बंदियों ने व्रत तो 335 ने रोजा रखा है। जेल प्रशासन ने भी रोजा और व्रत को देखते हुए खानपान में परिवर्तन किया है।

कानपुर, [मोहित गौर]। जिला कारागार में इन दिनों कौमी एकता का अद्भुत माहौल बना हुआ है। नवरात्र के साथ रमजान का महीना एक साथ पड़ने से यहां के माहौल में भक्ति और अकीदत की पावन बयार बहने लगी है। हिंदू बंदी/कैदी जहां पर माता रानी का उपवास रखकर पूजा-अर्चना कर रहे हैं वहीं मुस्लिम बंदी रोजे रखकर इबादत में डूबे हुए हैं। इस कौमी एकता पर जेल प्रशासन भी अपनी भूमिका बखूबी निभा रहा है। व्रत और रोजा रखने वालों के लिए जेल प्रशासन की ओर से खान-पान का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। 
 
कभी धर्म-जाति के नाम पर उन्माद फैलाने व कत्लेआम करने वाले भी इस मौके पर एकता का परिचय दे रहे हैं। न जाति एक और और न ही मजहब, खून का रिश्ता भी दूर-दूर तक नहीं है और सभी की इबादत व मान्यताएं भी अलग हैं। इसके बाद भी जेल के अंदर धर्म को लेकर कोई फसाद नहीं हैं। न तो राम के नवरात्र व्रत पर रहीम को कोई एतराज है और न ही रहीम की नमाज से राम को कोई दिक्कत।
 
मौजूदा समय में जिला कारागार में धर्मों के मिलन का यह अद्भुत संगम नजर आ रहा है। दिन निकलने के साथ ही सभी की दिनचर्या की शुरुआत अपने-अपने धर्म के हिसाब से पूजा और इबादत से शुरू होती है। इस मौके पर जेल प्रशासन भी उनके खान-पान का विशेष ध्यान रख रहा है।
 

जुर्म की दुनियां में आकर भी आस्था से नहीं भटके

22 मार्च से माता के नवरात्र शुरू हो चुके हैं। जबकि शुक्रवार को रमजान के पाक माह की शुरुआत हो गई है। यह दोनों ऐसे मौके हैं जो हिन्दू व मुस्लिम समुदाय के लोगों की आस्था के साथ जुड़े हुए हैं। इस मौके पर जहां हिन्दू समुदाय के लोग माता के उपवास रखकर नौ दिन तक पूजा-अर्चना करते हैं तो वहीं मुस्लिम समुदाय के लोग एक माह तक रोजा रखकर अल्लाह की इबादत करते हैं। इनमें तमाम ऐसे लोग भी हैं जो किन्हीं कारणों से जरायम के दलदल में आकर फंस गए हैं, इसके बाद भी वह अपने धर्म के प्रति आज भी आस्थावान हैं। 
 

585 बंदी रख रहे हैं माता के व्रत, 335 का है रोजा

मौजूदा समय में जिला कारागार में 2763 बंदी/कैदी हैं। जिसमें से 585 बंदी नवरात्र में माता के व्रत रखकर उपवास कर उनकी पूजा-अर्चना कर रहे हैं। जबकि 335 बंदी रोजा रखकर अल्लाह की इबादत कर रहे हैं। हालांकि जेल परिसर के अंदर कोई मंदिर या फिर मस्जिद न होने के कारण यह लोग मैदान पर बैठकर अपने धर्म के अनुसार पूजा-अर्चना और इबादत कर रहे हैं। खासबात यह है कि किसी को न तो माता के जयकारों से दिक्कत है और न ही नमाज से।
 

खान-पान कर खा जा रहा है ध्यान

आस्था के इस पर्व पर जेल प्रशासन भी खान-पान का विशेष ध्यान रख रहा है। वैसे तो खाना जेल मैनुअल के अनुसार ही दिया जा रहा है लेकिन इस मौके पर रोजा रखने वालों के लिए खजूर व व्रत रखने वालों के लिए उबले आलू की व्यवस्था की जा रही है। साथ ही दोनों समुदाय के लोगों को दूध भी उपलब्ध कराया जा रहा है। जेल अधीक्षक वीडी पांडेय ने बताया कि जेल में कई बंदी व्रत और रोजा रखे हैं। उनके खानपान का विशेष ख्याल रखा जा रहा है। आपसी सौहार्द के साथ ही दोनों समुदाय के लोग अपनी-अपनी पूजा-अर्चना व इबादत कर रहे हैं।