विरासत स्थलों के नाम पंजाब के नायकों के नाम पर रखे जाएं: सरचंद सिंह ख्याला

Amrit Vichar Network
Published By Ashpreet
On

अमृतसर। अल्पसंख्यक आयोग के सलाहकार प्रोफेसर सरचंद सिंह ख्याला ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष  इकबाल सिंह लालपुरा से पंजाब की सड़कों और अन्य ऐतिहासिक स्थानों के अंग्रेजों के नाम को बदल कर सिख गुरुओं, सिख जनरलों और स्वतंत्रता नायकों के नाम पर रखने के लिए पंजाब सरकार और संबंधित केंद्रीय मंत्रालय से वकालत करने की अपील की है।

प्रो सरचंद सिंह ख्याला ने रविवार को भाजपा कोर कमेटी के सदस्य डॉ. जसविंदर सिंह ढिल्लों, भाजपा प्रवक्ता कुलदीप सिंह कहलों और वरिष्ठ नेता यादविंदर सिंह बुट्टर के साथ कहा कि पंजाब की भगवंत मान की सरकार पंजाब के इतिहास और विरासत को बचाने के लिए प्रतिबद्ध होने की सिर्फ बातें करती है, लेकिन राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव में जमीनी स्तर पर कुछ नहीं किया जा रहा है।

उन्होने कहा कि पंजाब की कई सड़कों और ऐतिहासिक स्थानों को आज भी अंग्रेजों के नाम से पुकारा जाता है, जिन्होंने ब्रिटिश शासन के दौरान पंजाब और पंजाबियों पर अत्याचार किया। प्रो सरचंद ने कहा कि आजादी के 75 साल बीत जाने और भारत की आर्थिक महाशक्ति, सैन्य ताकत और सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उन्नत देश के रूप में पहचान होने के बावजूद ब्रिटिश काल के अंग्रेजों के नाम नहीं बदलना गुलामी की मानसिकता का परिचायक है।

उन्होंने कहा कि आजादी का 75वां अमृत महोत्सव मनाकर भारत अमृत काल में प्रवेश कर गया है, इसलिए इस मुद्दे को और गंभीरता से लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान ने इस संबंध में पहल की है और अंग्रेजी काल के संकेतों को बदल दिया है।  

सिंह ने अमृतसर साहिब का जिक्र करते हुए कहा कि महाराजा रणजीत सिंह जी द्वारा  गुरु रामदास साहिब जी के नाम पर शहर की समृद्ध ऐतिहासिक विरासत को अभिव्यक्त करने के लिए शहर में बनवाया गया राम बाग आज भी कंपनी बाग के नाम से जाना जाता है। इसी तरह गुरु साहिब के नाम वाला बाजार ब्रिटिश डिप्टी कमिश्नर कर्नल सी. एच. हॉल के नाम पर 'हाल बाजार' के नाम से जाना जाता है।

इस हॉल के नाम पर सिटी गेट को हॉल गेट के नाम से जाना जाता है और अब उसपर से शिलालेख 'अमृतसर सिफ्ती दा घर' मिटा दिया गया है। उन्होंने लॉरेंस रोड, टेलर रोड, अल्बर्ट रोड, निलकोड रोड, कूपर रोड, क्वींस रोड आदि का भी उल्लेख किया। प्रो. सरचंद सिंह ने बताया कि राज्य सरकारों की दिलचस्पी न होने के कारण शहर में सिख राज्य की कई धरोहरें नष्ट हो गई हैं। शेरे पंजाब के पिता महासिंह के नाम पर बनी सड़क अब कहां है, यह कोई नहीं जानता। किला महासिंह और सारागढ़ी स्मारक के पीछे किला अहलूवालिया पर अवैध कब्जा हो गया है।

टाउन हॉल के पास शेरे पंजाब की सास रानी सदा कौर की हवेली को लोग यादों से भूलते जा रहे हैं। इसके बारे में 'तवारीख-ए-लाहौर और अमृतसर' हमारे पास दस्तावेजी सबूत हैं। उन्होंने कहा कि सिख जरनैल और स्वतंत्रता के नायक हमारे राष्ट्र निर्माण और हमारी आने वाली पीढ़ियों के प्रेरणा स्रोत हैं।

भाजपा नेताओं ने कहा कि पंजाब सरकार को बुद्धिजीवियों, इतिहासकारों और विषय विशेषज्ञों की राय लेनी चाहिए और इन प्रीत स्वदेशी नामकरण के लिए तुरंत अधिसूचना जारी करनी चाहिए। ताकि ऐतिहासिक धरोहरों को संभाला जा सके और आने वाली पीढ़ियों तक स्वतंत्रता सेनानियों का संदेश पहुंचता रहे।

ये भी पढ़ें : सदस्यता अयोग्य ठहराए जाने पर बोले चिदंबरम, कहा- कांग्रेस पार्टी और मजबूद होगी

संबंधित समाचार