मुरादाबाद : डिफाल्टरों ने जरूरतमंदों के आवेदन पर जड़ दिया ताला
विभाग की लापरवाही से 14 साल के बाद भी 16.5 करोड़ रुपये बकाया, जरूरतमंद हो रहे परेशान
1.कार्रवाई से पूर्व अंतिम नोटिस का प्रारूप। 2. बकायेदारों को भेजे जा रहे हैं नोटिस।
धर्मेंद्र सिंह, मुरादाबाद, अमृत विचार। प्रदेश सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ विभाग की ओर से दिया गया करोड़ों रुपये का ऋण डूबता नजर आ रहा है। 1995 से 2008 तक छोटे कारोबार के लिए हजारों अल्पसंख्यकों को 3.50 करोड़ का लोन दिया था। जो ब्याज समेत छह गुना हो चुका है। मंडल के दो जिले संभल और अमरोहा में भी बकाएदार सैकड़ों की संख्या में है। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की ओर से वसूली के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं किया गया। बकाएदारों को नोटिस देकर विभागीय अधिकारियों ने खानापूर्ति कर ली। स्थिति यह है कि एक वर्ष की ऋण प्रक्रिया के दस्तावेज तक विभाग के पास नहीं हैं।
मंडल के मुरादाबाद, संभल और अमरोहा जनपद के 1145 लोगों को उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ विभाग के अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम ने 1996 से 2008 के बीच कारोबार और शैक्षिक ऋण योजना के अंतर्गत जिले में अल्पसंख्यक मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, पारसी व बौद्ध को व्यवसाय के लिए 3.50 करोड़ रुपये का ऋण दिया गया था। सभी ऋण धारियों ने 1995 से 2008 के बीच अल्पसंख्यक विभाग से ऋण लेकर ऋण वापसी के लिए धनराशि जमा नहीं की।
अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के बकायेदारों के घरों पर ऋण की वापसी के लिए डाक से नोटिस भेजे जा रहे हैं। नोटिस के जवाब में कुछ लोग मौके पर नहीं मिलें तो कुछ लोगों के मृत्यु होने की जानकारी डाक वापसी में विभाग को मिले हैं।16.50 करोड़ रुपये अभी बकाया है। इसे वसूलने के प्रयास किए जा रहे हैं। -अंजना सिरोही, जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी।
सूची तक नहीं भेज पाए अधिकारी
लखनऊ से जारी हुई बकाएदारों की सूची में जनपद संभल, अमरोहा के बकाएदारों के नाम आना जिला अल्पसंख्यक अधिकारी की सक्रियता पर सवाल पैदा करता है। 2017 से जिले में तैनात अधिकारी लखनऊ को अन्य जनपद के बकायेदारों की सूची नहीं दे पाईं हैं।
वसूली न होने पर लगा योजना पर प्रतिबंध
2008 के बाद विभाग की ओर से वसूली न होने पर शासन ने योजना पर प्रतिबंध लगा दिया। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि बकाएदारों से वसूली के लिए प्रयास किए गए। कुछ वसूली की गई। हालांकि 16.50 करोड़ का बकाया है। 2019-20 में एक साल के लिए योजना को दोबारा शुरू किया गया। 45 लोगों को 61 लाख रुपये ऋण दिया गया। इसके बाद 2020-21 में दोबारा आवेदन मांगे गए।
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