हल्द्वानी: कुमाऊंनी ऐपण बना महिलाओं के लिए आय का जरिया

जिले में करीब डेढ़ हजार महिलाएं कर रही हैं ऐपण डिजाइनिंग का काम, 15 से 20 हजार रुपये की हो रही कमाई 

हल्द्वानी: कुमाऊंनी ऐपण बना महिलाओं के लिए आय का जरिया

हल्द्वानी, अमृत विचार। कुमाऊं में ऐपण (उंगुलियों की बनाई आकृति) सकारात्मक शक्तियों और शुभ कार्यों की हमेशा से पहचान रहा है। मंगल कार्य, देवपूजन, त्यौहार आदि मौकों पर घरों में ऐपण निकाले जाते हैं। ऐपण कला के माध्यम से देवी देवताओं का आह्वान किया जाता है। चावल, गेरू, प्राकृतिक लाल मिट्टी, रंगों आदि से इन्हें बनाया जाता है।

बदलते दौर में ऐपण कला महिलाओं की आय का जरिया बन गया है। जिले में करीब डेढ से दो हजार महिलाएं ऐपण क्राफ्ट से जुड़कर व्यवसाय कर रही हैं। वह ऐपण कला को विभन्न कलाकृतियों के माध्यम से आकर्षक रूप दे रही हैं। कपड़ा, लकड़ी, कागज पर उकेर कर इनके सुंदर चित्र बना रही हैं।

इसके बाद इनकी मार्केटिंग की जा रही है। एक ऐपण क्राफ्ट की कीमत 500 से 1000 रुपये के बीच है। शहर की कई दुकानों से लोग ऐपण पेटिंग को खरीदकर अपने घरों में सजा रहे हैं। 


अतिथियों को ऐपण कला भेंट करना बना परंपरा 

देश, विदेश से आने वाले अतिथितयों को उत्तराखंड में ऐपण कलाओं की सुंदर आकृति भेंट करना अब परंपरा बन गई है। हाल ही में रामनगर में आयोजित जी 20 सम्मेलन में विदेश से आए मेहमानों को ऐपण की कलाकृतियां भेंट की गई। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2022 में हल्द्वानी आगमन पर ऐपण से बनाई सुंदर आकृति प्रदान की गई। 


रूचि नैनवाल ऐपण क्राफ्ट से कमा रही हैं महीने के 20 हजार 

जिला उद्योग केंद्र के ग्रोथ सेंटर की सचिव रूचि नैनवाल समेत सैंकड़ों महिलाओं ने ऐपण क्राफ्ट का आय का जरिया बना लिया है। वह इससे महीने के 18 से 20 हजार रुपये कमा रही हैं। रूचि ने बताया कि वह करीब 27 वर्ष से ऐपण की सुंदर कलाकृतियों बना रही हैं। कपड़ा, लकड़ी आदि पर विभिन्न रंगों का उपयोग कर वह ऐपण कला को दर्शाती हैं। बताया कि एक बार पूरी कलाकृति तैयार होने के बाद वह बाजार में इसे बेचती हैं। ऐपण के बने चित्रों की डिमांड लोगों के बीच बढ़ रही है। बाहर के लोग भी इसे खरीदते हैं। 

"विभाग की ओर से ऐपण क्राफ्ट को लेकर किए सर्वे में सामने आया कि जिले में करीब डेढ़ से दो हजार महिलाएं इससे जुड़कर आय अर्जित कर रही हैं। उद्योग केंद्र ग्रोथ सेंटर के माध्यम से महिलाओं की इस कार्य में मदद कर रहा है। बाजार में ऐपण से बने कलाकृतियों को खरीदने वाले बढ़े हैं।" 
-सुनील कुमार पंत, महाप्रबंधक, जिला उद्योग केंद्र, हल्द्वानी